• पशु-पक्षियों की सेवा को समर्पित रहा उनका जीवन
  • 25 मार्च 1937 में जन्में डा. नारायण का 9 दिन बाद था 89वां जन्म दिन

(Gurugram News) गुरुग्राम। पशु-पक्षियों की सेवा में जीवन पर्यन्त लगे रहे डा. नारायण सिंह यादव अब हमारे बीच नहीं रहे। 88 साल की उम्र में उन्होंने यहां अंतिम सांस ली। पशु-पक्षियों के साथ दोस्ताना जीवन जीते हुए उन्हें अपनी उम्र के दिन बिताए। उनके निधन से विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने दुुख व्यक्त किया है।

उन्हें समाजसेवा की सीख विरासत में मिली थी

डॉ. नारायण सिंह यादव का जन्म 25 मार्च 1937 को महेंद्रगढ़ जिला की नारनौल तहसील के गांव मांदी में हुआ था। पिता मान सिंह से उन्हें समाजसेवा की सीख विरासत में मिली थी। प्रारंभिक शिक्षा नारनौल में प्राप्त की। उन्होंने पंजाब के फरीदकोट कालेज से वैटनरी का डिप्लोमा किया। फिर राजस्थान के बिकानेर से वेटनरी सर्जन की डिग्री हासिल की। वर्ष 1958 में हरियाणा पशुपालन विभाग में पशु चिकित्सक की उनकी नौकरी लगी। प्रोफेशन भी ऐसा था कि उन्होंने नौकरी को सदा सेवा मानकर किया। बेजुबानों की सेवा में उन्होंने कभी कमी नहीं छोड़ी।

पशु-पक्षियों से उनका विशेष लगाव

एक साक्षात्कार में डॉ. नारायण सिंह यादव ने कहा था कि अपने सेवाकाल के दौरान नौकरी के कारण नहीं, पशु प्रेम की विचारधारा सेे वे बेजुबानों की सेवा में लगे थे। पशु-पक्षियों से उनका विशेष लगाव था। उनके पशु प्रेम को परिवार का हमेशा समर्थन मिला। माता-पिता की सदा आशीर्वाद रहा। हरियाणा के अलग-अलग जिलों में उनकी नियुक्ति रही। हर जगह पर उन्होंने अपने पशु-पक्षी पे्रम की छाप छोड़ी। पशु-पक्षियों के लिए काम करने वाली संस्थाओं से भी उनका जुड़ाव रहा। उनकी पत्नी सुमित्रा यादव ने अपने बच्चों में उनके ही विचार और संस्कार भरने का काम किया।

उनकी बड़ी बेटी उर्मिल यादव अध्यापिका रहीं। एक बेटी मंजू ने निजी व्यवसाय किया। बड़ा बेटा उनके नक्शे कदम पर चला और राजस्थान में पशु चिकित्सक बना। छोटा बेटा विनय यादव गुरुग्राम में ही एक निजी कंपन में अच्छे ओहदे पर है। संयुक्त परिवार की वे सदा सिफारिश करते थे। डॉ. नारायण सिंह कहते थे कि परिवारों में एकजुटता होना बहुत जरूरी है।

पशुओं की देखभाल के लिए अनाथ पशु एवं जीव कल्याण समिति बनाई

वर्ष 1996 में अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर उन्होंने पशुओं की देखभाल के लिए अनाथ पशु एवं जीव कल्याण समिति बनाई। 15 साल से अधिक समय तक वे इस समिति के अध्यक्ष रहे। वे यादव कल्याण परिषद व अन्य सामाजिक संस्थाओं में भी जुड़े रहे।

उन्हें पशु-पक्षियों की सेवा के लिए डीएलएफ में एनीमल वेलफेयर सोसायटी द्वारा सम्मानित भी किया गया। गुरुग्राम जिला की गौशालाओं में वे नियमित रूप से जाते और वहां गायों की देखभाल करते थे। उन्हें कोई बीमारी होती तो उनका उपचार करते। गौशालाओं में चारा, गुड़, खल व दवाइयां वे हर साल भेजते थे।

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