(Gurugram News) गुरुग्राम। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव यानि कि कृष्ण जन्माष्टमी के बाद भगवान श्रीकृष्ण की छठी का आयोजन शहर के सैक्टर 9ए स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर, सैक्टर 4 स्थित श्रीकृष्ण मंदिर, सूर्य विहार के माता वैष्णों मंदिर सहित आदि मंदिरों में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने बढ़-चढकर भाग लिया और बड़े भक्ति भाव से लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना भी की तथा भजन कीर्तन का आयोजन भी किया। सैक्टर 9ए स्थित श्रीगौरी शंकर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की छठी का आयोजन किया गया।
जिसमें क्षेत्र की महिला श्रद्धालुओं ने बढ़-चढकर भाग लिया। जैसे परिवार में जन्मे बच्चे की छठी मनाई जाती है, उसी प्रकार से भगवान श्रीकृष्ण की भी छठी मनाई गई। प्रसाद भी श्रद्धालुओं को वितरित किया गया। मंदिर के आचार्य हरीश उपाध्याय ने भगवान श्रीकृष्ण की छठी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान कृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था। वासुदेव ने रातोंरात भगवान कृष्ण को नंद के घर गोकुल गांव में पहुंचा दिया था। कंस जब कारागार में आया तो उसको बताया गया था कि देवकी ने लडकी को जन्म दिया है और कंस ने उस लडकी को भी मार दिया था।
पंडित जी का कहना है कि दुष्ट कंस ने राक्षसी पूतना को आदेश दिया कि जितने भी 6 दिन के बच्चे हैं, उनको मार दिया जाए। जब पूतना गोकुल गांव पहुंची तो यशोदा ने बाल कृष्ण को छिपा दिया था। जब वे 6 दिन के हो गए थे तो उनकी छठी नहीं हो पाई थी और न ही नामकरण हुआ था। बताया जाता है कि यशोदा ने माता पार्वती का ध्यान किया और उनसे बाल कृष्ण की सुरक्षा की प्रार्थना भी की। कार्तिकेय भगवान ने बाल कृष्ण की पूरी रक्षा की। यशोदा माता ने कान्हा के जन्म से 364 दिन बाद सप्तमी को छठी का पूजन किया था। तभी से श्रीकृष्ण की छठी मनाई जाती आ रही है। हालांकि बच्चों के जन्म के 6 दिन बाद छठी पूजन उनकी सुरक्षा और आरोग्य के लिए किया जाता है।