- टीबी रोग जागरुकता पर मीडिया कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग ने दी जानकारी
- सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज व स्वास्थ्य केन्द्रों पर नि:शुल्क दवा उपलब्ध
(Gurugram News) गुरुग्राम। टीबी (क्षय रोग) के प्रति आमजन में जागरुकता लाने के उद्देश्य से डीसी अजय कुमार के मार्गदर्शन व सीएमओ डॉ. वीरेंद्र यादव के दिशा निर्देशन में 19 मार्च को मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डिप्टी सीएमओ डॉ. केशव शर्मा ने बताया कि गुरुग्राम में 154 में से 60 पंचायतें टीबी मुक्त हो गई हैं। उन्होंने कहा कि टीबी लाईलाज रोग नहीं है। इसका सम्पूर्ण नि:शुल्क इलाज सरकारी अस्पतालों पर उपलब्ध है। सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीबी की दवा नि:शुल्क उपलब्ध है।
देश को क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए जनभागीदारी अभियान चलाया जा रहा
डॉ. केशव शर्मा ने बताया कि टीबी हारेगा, देश जीतेगा के नारे के तहत देश को क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए जनभागीदारी अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें युवाओं की भी अहम भूमिका है। उन्होंने युवाओं से सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए इस रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील की।
डॉ. केशव ने बताया कि टीबी (क्षय रोग) एक संक्रामक रोग है, जो मुख्यत: फेफड़ों को प्रभावित करता है और माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। यह हवा के माध्यम से फैलता है और इसका इलाज संभव है, लेकिन नियमित और पूर्ण अवधि तक उपचार लेना आवश्यक है।
टीबी के मरीजों को निशुल्क दवा और उपचार उपलब्ध
साथ ही उन्होंने बताया कि टी. बी के जीवाणु शरीर में रहते तो है लेकिन यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर होने पर यह शरीर में सक्रिय होकर व्यक्ति को बीमार कर सकते है। टी. बी. संक्रमण की सम्भावना सबसे अधिक 5 साल से कम उम्र के बच्चे, सामान्य से कम वजन के लोग, शराब और तंबाकू का सेवन करने वाले लोग, डायबिटीज, किडनी के रोगी, एच.आई.वी. से संक्रमित लोग और टी. बी. संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में रहने वाले लोगों को होती है।
डॉ. केशव ने बताया कि टीबी के मरीजों को निशुल्क दवा और उपचार उपलब्ध है। निक्षय पोषण योजना के तहत मरीजों को 1000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। निक्षय मित्रों के माध्यम से मरीजों को पोषण किटें प्रदान की जा रही हैं।
टीबी की पूरी जानकारी टोल फ्री नंबर-1800116666 पर मिस कॉल करके ली जा सकती है। दवा के कोर्स से टी.बी संक्रमण को टी.बी रोग में बदलने से रोका जा सकता है। कार्यशाला में डॉ. अरुण सैनी एएसएमओ, पूनम देवी, मनीषा देवी और ह्यूमन एनजीओ से प्रोजेक्ट लीड रोकी भी मौजूद रहे।
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