Gurudwara Dashmesh Prakash Sahib : यमुना नदी का पानी तट पर स्थित गुरूद्वारा साहिब में नहीं करता है प्रवेश, दोनों समय यमुना नदी को लगाया जाता हैँ लगर प्रशाद का भोग

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गुरूद्वारा दशमेश प्रकाश साहिब
गुरूद्वारा दशमेश प्रकाश साहिब
  • गुरुद्वारा साहिब से 50 मीटर की दूरी पर बहती है यमुना नदी
  • ग्रहण कर रहे है, गुरूद्वारा साहिब के स्कूल में दंसवी कक्षा तक नि:शुल्क पढाई भी करवाई जाती है

Aaj Samaj (आज समाज), Gurudwara Dashmesh Prakash Sahib ,इंद्री ,14 जुलाई , इशिका ठाकुर:

अगर आपने कुदरत का चमत्कार देखना हो तो इन्द्री के गांव नबीयाबाद स्थित गुरूद्वारा दशमेश प्रकाश साहिब में आकर देखें। यमुना नदी के तट पर स्थित इस ऐतिहासिक गुरूद्वारे में आज तक यमुना नदी का पानी प्रवेश नहीं कर पाया है। यह एक चमत्कार ही है। यमुना नदी में चाहे कितने लाख क्यूसिक पानी ही क्यों ना हो लेकिन यह पानी गुरूद्वारा के समीप से होकर गुजर जाता है। पिछले कुछ दिनों से इन्द्री हल्के में यमुना नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाया हुआ है ओर हल्के के दर्जनों गांव इस बाढ़ के पानी की चपेट में आए हुए है। इस पानी के कारण यमुना नदी से सटे गांवों की लाखों एकड़ भूमि में खडी फसले तबाह हो गई है ओर यह पानी लोगों के घरों में भी घुस गया है।

लेकिन यह एक करिश्मा ही है कि यमुना नदी के तट से चंद मीटर की दूरी पर स्थित इस ऐतिहासिक गुरूद्वारा साहिब में बाढ़ का पानी आज तक प्रवेश नहीं कर पाया है। इस के पीछे भी एक कहानी है। इस की जानकारी देते हुए नबीयाबाद स्थित दशमेश प्रकाश गुरूद्वारा साहिब के मुखी बाबा मेहर सिंह जी ने बताया कि मानसून के मौसम में यमुना नदी अपना रौद्र रूप दिखाती है ओर अपने मूल प्रवाह से हटकर हजारों एकड़ जमीन व कई गांवों को अपने आगोश में ले लेती है। उन्होंने कहा कि यमुना नदी से चंद मीटर दूर स्थित गुरुद्वारे की चार दीवारी को यमुना नदी ने कभी पार नहीं किया मानों यमुना नदी श्री गुरुग्रंथ साहिब के प्रकाश को देखने आती है ओर फिर यह पानी गुरुद्वारे की दहलीज को छूकर आगे बढ़ जाता है।

इस बार भी ऐसा ही हुआ है। उन्होंने बताया कि नबियाबाद गुरुद्वारे की नींव 1984 में रखी गई थी। 1986 में इस गुरूद्वारे में बाबा जगदीश सिंह जी आए थे। उन्होंने गुरुद्वारे में भक्ति व सेवा कार्यों को आगे बढ़ाने का काम किया। उस समय यमुना गुरुद्वारे से करीब 3 किलोमीटर दूर उत्तरप्रदेश की सीमा की ओर बहा करती थी। लेकिन 1988 में यमुना ने अपना रास्ता बदलकर हरियाणा की ओर कर लिया। उन्होंने बताया कि एक बार बारिश के दिनों में यमुना नदी का पानी गुरुद्वारे के पास तक आ गया था ओर तब लगा कि पानी गुरुद्वारे के अंदर भी जा सकता है। तब बाबा जगदीश सिंह जी ने यमुाना माता से प्रार्थना की कि गुरुद्वारे में श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का प्रकाश है। आप कृपया अपना रास्ता बदल लें।

नबीयाबाद गुरूद्वारा साहिब में रोजाना लगभग 200 लोग रोजाना लंगर प्रशाद

आप को रोजाना दो समय लंगर प्रशाद का भोग नियमित रूप से लगाया जायेगा। उनकी प्रार्थना सुनने के कुछ ही समय बाद यमुना नदी का पानी उतरने लगा ओर गुरूद्वारे की सीमस से दूर होकर बहने लगा। उन्होंने बताया कि उस दिन के बाद आज तक यमुना नदी में कितना भी पानी आ जाए लेकिन वो गुरूद्वारे की सीमा को नहीं छूता है ओर आज भी रोजाना दो समय लंगर प्रसाद से यमुना नदी में भोग लगाया जाता है। यहां से नदी शांति से बहती है। बाबा मेहर सिंह ने बताया कि 12 जुलाई 1999 को बाबा जगदीश सिंह जी ने चोला त्याग दिया था। उन्होंने बताया कि बाढ़ के दिनों में व आम दिनों में भी गुरूद्वारा साहिब में लंगर प्रशाद नियमित रूप से चलता रहता है। अभी भी इस गुरुद्वारे में करीब 200 लोगों की लंगर सेवा की जा रही है। बाबा मेहर सिंह ने बताया कि पिछले पांच दिनों से गुरुद्वारे के चारों ओर पानी ही पानी था।

गुरूद्वारा साहिब के स्कूल में दंसवी कक्षा तक नि:शुल्क पढाई भी करवाई जाती है

बाढ़ के समय गुरुद्वारे तक अन्य किसी भी साधन से पहुंचना संभव नहीं है। महज ट्रैक्टर-ट्राली से ही गुरुद्वारे तक पहुंचा जा सकता है। गुरुद्वारे में एक नाव भी है। लेकिन वह तेजी से चलने की स्थिति में नहीं है। गांववासियों को स्वच्छ पेयजल व दूध भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। गुरूद्वारा साहिब की ओर से गरीब बच्चों को दंसवी कक्षा तक नि:शुल्क पढ़ाई भी करवाई जाती है। स्कूल के बच्चें लंगर प्रशाद भी गुरूद्वारें में ग्रहण करते है। बाबा मेहर सिंह का कहना है कि खेतों में फसल खराब होने से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। गांवों में भी लोग बेहाल है। ऐसे में उनकी प्रशासन व सरकार से मांग है कि किसानों को जल्दी ही मुआवजा राशि प्रदान की जाए।

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