Guru Tegh Bahadur Ji Shaheedi Diwas 2024 | भारत के इतिहास में श्री गुरु तेग बहादुर जी का त्याग और बलिदान एक मिसाल है। जिस समय मानवधिकार शब्द भी इजाद नहीं हुआ था उस समय गुरु तेग बहादुर जी ने किसी दूसरे के धर्म और अस्तित्व को बचाने के लिए बलिदान दिया था। इस साल गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस 6 नवंबर 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन पूरा भारत वर्ष और दुनिया गुरु तेग बहादुर के बलिदान को याद करता है और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेता है।
Guru Tegh Bahadur Ji Famous Quotes
- हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो, घृणा से विनाश होता है.
- एक सज्जन व्यक्ति वह है जो अनजाने में किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचाए.
- गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती है, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने की साहस हो.
- हार और जीत यह आपकी सोच पर ही निर्भर है, मान लो तो हार है ठान लो तो जीत है.
- डर कहीं और नहीं, बस आपके दिमाग में होता है.
- दिलेरी डर की गैरमौजूदगी नहीं, बल्कि यह फैसला है कि डर से भी जरूरी कुछ है.
- महान कार्य छोटे-छोटे कार्यों से बने होते हैं.
- हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो, घृणा से विनाश होता है
- साहस ऐसी जगह पाया जाता है जहां उसकी संभावना कम हो
- प्यार पर एक और बार और हमेशा एक और बार यकीन करने का साहस रखिए.
- ਬਲੁ ਛੁਟਕਿਓ ਬੰਧਨ ਪਰੇ ਕਛੂ ਨ ਹੋਤ ਉਪਾਇ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਅਬ ਓਟ ਹਰਿ ਗਜ ਜਿਉ ਹੋਹੁ ਸਹਾਇ ॥੫੩॥
- ਬਲੁ ਹੋਆ ਬੰਧਨ ਛੁਟੇ ਸਭੁ ਕਿਛ ਹੋਤ ਉਪਾਇ ਨਾਨਕ ਸਭੁ ਕਿਛੁ ਤੁਮਰੈ ਹਾਥ ਮੈ ਤੁਮ ਹੀ ਹੋਤ ਸਹਾਇ॥੫੪॥
- ਭੈ ਕਾਹੂ ਕਉ ਦੇਤ ਨਹਿ ਨਹਿ ਭੈ ਮਾਨਤ ਆਨ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਨਿ ਰੇ ਮਨਾ ਗਿਆਨੀ ਤਾਹਿ ਬਖਾਨਿ ॥੧੬॥
अमृतसर में हुआ था गुरु तेग बहादुर जी का जन्म
गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 21 अप्रैल, 1621 को अमृतसर में हुआ था। वह छठम गुरु श्री गुरु हरिगोबिंद साहिब जी के पुत्र थे। बचपन से ही वो भगवान की भक्ति में विलीन रहते थे, उनके तपस्वी स्वभाव के कारण उन्हें त्यागमल भी कहा जाता था। गुरु जी महान संत और दार्शनिक थे.
जनेऊ की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने कटवाया शीश
औरंगजेब के शासन काल में धर्म परिवर्तन के लिए लोगों पर दबाव डाला जा रहा था। कश्मीर जो कि उस समय मुस्लिम बहुल इलाका था, वहां कश्मीरी पंडितों पर धर्म परिवर्तन करने के लिए औरंगजेब द्वारा जुल्म किए जा रहे थे। जिसके बाद कश्मीरी पंडितों ने गुरु तेग बहादुर जी के पास शरण ली और औरंगजेब के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने की गुहार लगाई।
जिसके बाद गुरु तेग बहादुर धर्म की रक्षा के लिए दिल्ली औरंगजेब से मिलने के लिए पहुंचे। जहां औरंगजेब ने गुरु जी को इस्लाम धर्म अपनाने का आदेश दिया, लेकिन गुरु जी ने साफ इनकार कर दिया और कहा कि वह शीश कटवा लेंगे लेकिन धर्म नहीं बदलेंगे। औरंगजेब के आदेश पर सन 1675 को दिल्ली में चांदनी चौक में गुरु तेग बहादुर को शहीद कर दिया गया.
गुरु जी ने लिख बलिदान की अद्भुत गाथा
गुरु जी ने औरंगजेब से कहा था कि यदि वह उनका धर्म परिवर्तन कर देगा तो सभी कश्मीरी पंडित भी इस्लाम कबूल लेंगे। लेकिन अगर वह उनका धर्म परिवर्तन नहीं कर पाया तो वह कभी किसी का धर्म परिवर्तन करने का सोचेगा भी नहीं।
गुरु जी को न मना पाने के कारण औरंगजेब को मुंह की खानी पड़ी और अपनी झूठी शान को बनाए रखने के लिए उसने गुरु तेग बहादुर जी का सिर कलम करने का आदेश दिया। गुरु जी का बलिदान हमें सिखाता है कि धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का त्याग करना भी आवश्यक हो सकता है. गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस हमें उनके बलिदान को याद करने और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का अवसर प्रदान करता है.