Categories: Others

Guru ji Guruji chamchatiya: गुरु जी गुरु जी चामचटिया

हम बच्चे प्रायमरी स्कूल में ‘गुरु जी गुरु जी चामचटिया, गुरु जी मर गए उठाओ खटिया’ जैसा चटपटी हिंसा का दोहा मासूमियत के साथ ताली बजा बजाकर गाते थे। गुमान नहीं था कि हम सहपाठी भारतीय शिक्षा की स्थिति का भविष्यवाचन कर रहे हैं। प्रकट में गुरु हमारे लिए मां बाप से ज्यादा बड़ा संरक्षक, तानाशाह और जिन्न होता था। उसमें हमारे भविष्य को अपनी समझ की मुट्ठी या संभावनाओं की बोतल में कैद करने की ताकत होती थी। हम शिक्षक, गुरुजी, सर या मास्टरजी के बिना पानी पीने या पेशाब करने का अधिकार भी नहीं रखते थे।
हमारे दिमाग का अंतरिक्ष नजर का एक बिन्दु बनकर गुरु के व्यक्तितत्व पर टिका होता था। उसका असर, साया या प्रभाव स्थायी प्रभाव की तरह ही पड़ चुका है। आज भी कभी-कभी शुरूआती कक्षाओं के छात्र बनकर सपनों में भी उनकी यादों से मुक्त नहीं हो पाते हैं। यह अजीब रिश्ता घुट्टी में पिलाए गए संस्कारों के उपचेतन में बैठ गया है। हिंदुस्तानी शिक्षक पेशेवर ज्ञानदाता भर नहीं है। वह ईश्वर से भी बड़ा अपरिपक्व बुद्धि के बच्चों को समझ आता रहा है।
रस्मअदायगी, शगल, औपचारिकताएं वगैरह नागरिक जीवन के चोचले हैं। कैलेंडर का एक-एक दिन समाज के किसी वर्ग या गतिविधि के लिए बुद्धि द्वारा कैद कर दिया जाता है। मसलन स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, गांधी जयंती और पुण्यतिथि, वेलेंटाइन डे, मदर्स, फादर्स और डॉटर्स डे, बड़ा दिन और नए साल का आगाज तयशुदा अंग्रेजी तारीखों पर आकर अपनी तीक्षणता के अनुपात में हलचल करने की कोशिश करते हैं। उत्सवों की फेहरिस्त में पांच सितंबर भारत के राष्ट्रपति रहे प्रसिद्ध दार्शनिक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन ढूंढ़ा गया। डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वोच्च विदेशी उपाधियां हासिल कर सीधे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त किए गए थे। इस इलाके में उनकी असाधारण प्रतिभा को चुनौती नहीं दी जा सकती। संविधान बनाने वाली सभा के सदस्य भी थे। आजादी की आधी रात संविधान सभा में उनका भाषण भी कराया गया। उनके बनिस्बत शिक्षक और शिक्षा की मूलक्रांति का श्रेय मदनमोहन मालवीय का बनता है।
यक्ष प्रश्न है क्या डॉक्टर राधाकृष्णन औसत भारतीय शिक्षक के समानार्थी माने जा सकते हैं। जो मुंह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा होते हैं, राधाकृष्णन इस अंग्रेजी जुमले के भारतीय संस्करण हैं। इसके बरक्स हिंदुस्तान के लाखों लाख स्कूलों से विश्वविद्यालयों तक गफलत, जलालत, अपमान और आर्थिक बदहाली में जीते रहे हैं। वेतन आयोग और सुधार आयोगों का मकड़जाल होता है। होता कुछ भी नहीं है। सरकारी शिक्षण संस्थानों में पहले से बेहतर वेतन है। सरकारी संस्थाओं को धीरे धीरे उस तरह मारा भी जा रहा है जैसे विष्णुगुप्त चाणक्य ने कांटे के पौधे की जड़ में मठा डाला था। शिक्षा का निजी रोजगार फैल चुका है कि कैंसर भी उससे शरमा रहा है। लगभग बेशर्मी और षड़यंत्र के साथ सेठियों के बड़े बड़े तिजारती-कुल कालाबाजारी, जमाखोरी और मुनाफाखारी से कमाए गए धन को सुरक्षित व्यापार में लगाने शिक्षादाता बन गए। धंधे में राइस मिल, आइल मिल, खनिकर्म, पेट्रोल पंपों की तरह पुलिस और इंस्पेक्टरों के छापों और लाइसेंस की परेशानियां नहीं झेलनी पड़तीं। कमाने की खुली छूट है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 सदस्यीय बेंच के फैसले में यहां तक कह दिया यदि अच्छी शिक्षा पाना है तो मुनासिब फीस देनी पड़ेगी। यह भी कि अच्छी और ऊंची शिक्षा पाने का किसी विद्यार्थी को मौलिक अधिकार नहीं है लेकिन शिक्षा का व्यवसाय करना मूल अधिकार है।
अधिकांश निजी संस्थाओं के शिक्षक पूरी तनख्वाह नहीं पाते। मालिकों की गैरशिक्षकीय चाकरी बजानी पड़ती है। शिक्षकों को प्रधानमंत्री से लेकर विधायक तक की परेडों में बच्चों सहित शामिल होना पड़ता है। उन्हें मर्दुमशुमारी, अकाल, बाढ़, महामारी मतदाता सूची और तरह तरह की सरकारी शतरंजों का प्यादा बनाया जाता है। समाज में भी उनकी अहमियत नहीं होती। पहले भी कहां थी? गुरु द्रोणाचार्य को दरबारी शिक्षक होने के बावजूद बेटे अश्वत्थामा को पानी में खड़िया घोलकर दूध कहते बरगलाया जाता था। अपनी पीठ ठोकने वाले सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों को इसका जवाब नहीं सूझता।
मुख्यमंत्री का बेटा विधायक, सांसद से लेकर मुख्यमंत्री तक बने। कलेक्टर का बेटा किसी तरह कलेक्टर बन ही जाए। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद तक बाप बेटों की युति रही है। शिक्षक का बेटा बहुत कुछ बन जाने का प्रारब्ध समेटे भारत की धरती पर क्यों नहीं आता? शिक्षक की बेटियां ब्याह के बाद बेहतर घर परिवार क्यों नहीं पातीं? मां बाप का बेहतर इलाज क्यों नहीं होता? शिक्षकों की कौम भी पूरी तरह दोषमुक्त नहीं है। गांवों और आदिवासी इलाकों के शिक्षक पढ़ाने नहीं जाते। कभी कभार मासूम बच्चियों के साथ उनके द्वारा अनाचार की शिकायतें उजागर होती हैं। विधायकों और मंत्रियों सहित पंचों, सरपंचों की ड्योढ़ी पर कोर्निश बजाते हैं। चुनाव प्रचार करते हैं। भूमियां हड़पते हैं। कई धंधों में पैसा भी फंसाते हैं। ऐसे में शिक्षक दिवस की किस तरह याद की जाए। शिक्षा नीति को लॉर्ड मैकाले ने लंदन के हाउस आॅफ कॉमन्स में भाषण के जरिए बर्बाद करने का षड़यंत्र सुनाया था।
विवेकानन्द ने सबसे पहले केवल शिक्षा को भारतीय जीवन की नैतिकता की इस्पाती बुनियाद कहा था। शिक्षित, अशिक्षित, अल्पशिक्षित, अर्धशिक्षित राजनेता चेते नहीं हैं। विधायिका में लगभग आधे सदस्य अपराधी वृत्ति के हैं। वहां शिक्षक दिवस पर सोचने की किसे फुरसत है? नकल मारने के कारण बर्खास्त हुए छात्र, विधायक और मंत्री बनकर अपने ही गुरुओं से सम्मान कराते हैं। अभद्र भाषण, गलत उच्चारण और व्याकरणहीन संबोधन के जरिए वे कभी कभी शगल में बच्चों को पढ़ाने चले जाते हैं। वहां उन्हें शिक्षक दिवस पर झूठे कार्यकमों की बाढ़ आती है। किसी के मन में सम्मान या सद्भावना नहीं होती। पहाड़ा याद नहीं आता। शब्दों का हिज्जा नहीं कर पाते। उत्कृष्टता का शिक्षा से जनाजा ही उठता जा रहा है। दुनिया के पहले दो सौ विश्वविद्यालयों में भारत नहीं है। पता नहीं शिक्षक दिवस पर स्तुतिनुमा झूठे वाचन कब तक नासमझी की प्रतिध्वनि बनते रहेंगे?(लेखक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)
admin

Recent Posts

Chandigarh News: डीएसपी बिक्रम सिंह बराड़ की अगुवाई में थाना लालडू में शिकायत निवारण कैंप का किया आयोजन

Chandigarh News: डेराबस्सी डीएसपी बिक्रम सिंह बराड़ की अगुवाई में थाना लालडू में शिकायत निवारण…

3 hours ago

Chandigarh News: पंजाब के राज्यपाल ने प्रयागराज से ऐतिहासिक स्वामित्व योजना कार्यक्रम में लिया वर्चुअली भाग।

Chandigarh News: चंडीगढ़ आज समाज चंडीगढ़ ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते…

3 hours ago

Chandigarh News: रोड पर बारिश के पानी की निकासी के लिए लगाए गए ढक्कन भी टूटने लगे

Chandigarh News: स्थानीय लोहगढ़ गांव में 2 महीने पहले इंटरलॉक टाइल लगाकर एक सड़क बनाई…

3 hours ago

Chandigarh News: एसडी कॉलेज के जेंडर चैंपियंस क्लब ने जेंडर सेंसिटाइजेशन वर्कशॉप का किया आयोजन

Chandigarh News: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की पहल के…

3 hours ago

Chandigarh News: सड़क सुरक्षा फोर्स तथा फायर ब्रिगेड की समझदारी से टला बड़ा हादसा

Chandigarh News: शनिवार सुबह-सुबह एक कार जीरकपुर के के-एरिया लाइट प्वाइंट पर डिवाइडर से टकरा…

3 hours ago

Chandigarh News: मार्बल मार्केट में लगी आग से चार दुकानें जली

Chandigarh News: चंडीगढ़ के धनास के पास सारंगपुर में भीषण आग लगने का मामला सामने…

4 hours ago