गुरदासपुर : 25 से शुरू होगा सावन माह, 26 को पहला व्रत

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Acharya Indra Das
Acharya Indra Das

गगन बावा, गुरदासपुर :

हिंदू धर्म में सावन का विशेष महत्व है। भगवान महादेव की विशेष पूजा अर्चना का महीना सावन इस बार 25 जुलाई से शुरू होगा। दूसरे ही दिन 26 जुलाई को सावन का पहला सोमवार रहेगा। इस वर्ष सावन का महीना 29 दिन का ही रहेगा। आचार्य इंद्र दास ने बताया कि सावन में शिवजी की अराधना करने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती हैं। सावन महीने में पड़ने वाले सोमवार का खास महत्व है। कहा जाता है कि सावन सोमवार व्रत करने वालों पर महादेव विशेष कृपा बरसाते हैं। वहीं, सावन में पूरी विधि-विधान के साथ भगवान शिव और माता गौरी की पूजा करने से मनचाहा जीवनसाथी का भी आशीर्वाद मिलता है। सावन में कृष्ण पक्ष की द्वितीया और शुक्ल पक्ष की नवमी क्षय है। आचार्य बताते हैं कि कृष्ण पक्ष में छठ 2 हो गई हैं। ऐसे में कृष्ण पक्ष पूरे 15 दिन का होगा, लेकिन शुक्ल पक्ष 14 दिन ही रहेगा। पूरे सावन महीने में श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना करते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार सावन में 4 सोमवार व 2 प्रदोष व्रत के विशेष पर्व रहेंगे। नाग पंचमी मरुस्थलीय 28 जुलाई व कल्कि जयंती नाग पंचमी 13 अगस्त को मनाई जाएगी। सावन में 27 जुलाई को चौथ मंगलवार अंगारक योग व 8 अगस्त को अमावस्या पितृ कार्य के लिए विशेष रहेगी।
सावन माह में आने वाले सोमवार :
पहला सोमवार 26 जुलाई
दूसरा सोमवार 2 अगस्त
तीसरा सोमवार 9 अगस्त
चौथा सोमवार 16 अगस्त
ऐसे करें महादेव की पूजा :
आचार्य ने बताया कि सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें। भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें। भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
सावन मास व्रत नियम :
आचार्य ने बताया कि मान्यता है कि सावन महीने में मास-मंदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इस महीने वाद-विवाद से भी बचना चाहिए। घर-परिवार में स्नेह बना रहना चाहिए। सावन महीने में लहसुन और प्याज के सेवन करने की मनाही होती है। इसके अलावा मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि के सेवन की भी मनाही होती है। शास्त्रों में बासी और जले हुए खाने को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है। शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। अगर आप व्रत रखने में असमर्थ हैं तो भगवान शिव से माफी मांग कर न करें।