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भारतीय सेना की 14 पंजाब रेजिमेंट के सिपाही गुरप्रीत सिंह का राजौरी सेक्टर में तैनाती के दौरान हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। उनकी तैनाती आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्र सोपोर में हुई थी। चार महीने पहले उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में थी। मंगलवार को वह मुस्तैदी के साथ ड्यूटी दे रहे थे। इसी वक्त उन्हें कुछ घबराहट महसूस हुई तो उन्हें सैन्य अस्पताल ले जाया गया। जहां उनका देहांत हो गया।
मलकपुर में पूरे सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार
बुधवार को उनके पैतृक बटाला के गांव मलकपुर में पूरे सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार कर दिया गया। तिब्बड़ी कैंट से पहुंची सेना की 11 गढ़वाल यूनिट के जवानों ने शहीद सैनिक गुरप्रीत सिंह को सलामी दी। इससे पहले तिरंगे में लिपटी सिपाही गुरप्रीत सिंह की पार्थिव देह को श्रीनगर से एयरलिफ्ट कर अमृतसर राजासांसी एयरपोर्ट लाया गया। जहां से सैन्य वाहन में पार्थिव शरीर गांव मलकपुर लाया गया। तिरंगे में लिपटा गुरप्रीत का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो हर ग्रामीण की आंखें नम हो गईं।
मां अगर मुझे कुछ हो जाए तो रोना मत, कहता था बेटा
तिरंगे में लौटे सिपाही गुरप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर जब घर पहुंचा तो मां कुलविंदर कौर सूनी आंखों से एक टक शहीद बेटे को निहार रही थीं। मां कुलविंदर कौर ने बताया कि शहीद गुरप्रीत सिंह कहता था कि अगर ड्यूटी के दौरान कभी मुझे कुछ हो गया तो रोना मत क्योंकि जब एक सैनिक वर्दी पहन लेता है तो उसकी जिंदगी देश की अमानत बन जाती है। इसलिए मैं रोऊंगी नहीं। मां कुलविंदर के इस जज्बे को देख हर कोई नम आंखों से उन्हें सलामी दे रहा था।
नम आंखों से बेटे को अंतिम विदाई
शहीद सिपाही गुरप्रीत सिंह की मां कुलविंदर कौर ने वीरता का सुबूत देते हुए जब अपने बेटे की अर्थी को कंधा देकर श्मशान ले जाने लगी तो अंतिम यात्रा में शामिल सैकड़ों लोग शहीद की माता जिंदाबाद, भारत माता की जय, भारतीय सेना जिंदाबाद, सिपाही गुरप्रीत सिंह अमर रहे के जयघोष करने लगे। शहीद की चिता को मुखाग्नि उनके बड़े भाई सुमित पाल सिंह ने दी।
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