गुरदासपुर: बरसात के मौसम में गन्ने की ओर ध्यान देने की जरूरत:  विशेषज्ञ

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गगन बावा, गुरदासपुर
गन्ना शाखा कृषि एवं किसान भलाई विभाग की ओर से केन कमिश्नर पंजाब डॉक्टर गुरविंदर सिंह खालसा के निर्देश पर गन्ने की फसल पर कीटों के हमले का निरीक्षण करने के लिए प्रदेश भर में एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत हर बुधवार को गन्ना उत्पादकों के खेतों का दौरा किया जाता है ताकि किसी तरह की समस्या आने पर उसका समाधान किया जा सके। इस मुहिम के तहत डॉक्टर अमरीक सिंह सहायक गन्ना विकास अधिकारी के नेतृत्व में गन्ना विशेषज्ञों की टीम की ओर से गुरदासपुर सहकारी चीनी मिल के अधिकृत क्षेत्र के गांव धारोचक, खरल, पनियार और जाफलपुर का दौरा किया गया।
इस टीम में डॉ विक्रांत सिंह गन्ना विशेषज्ञ क्षेत्रीय खोज केंद्र पीएयू गुरदासपुर, धर्मेंद्र कुमार कृषि विकास अधिकारी, रंजीत सिंह व नछत्तर सिंह सर्वेयर शामिल थे। टीम की ओर से मिल की ओर से किए गए सर्वे के अलावा टिशु कल्चर सिंगल बट तकनीक से तैयार पौधों की, खोज केंद्र द्वारा उपलब्ध करवाए बीज और किसानों द्वारा अपने तौर पर तैयार किए जा रहे बीजों की नर्सरी का निरीक्षण भी किया गया।
गांव खरल के गन्ना काश्तकार नवीन कुमार के फार्म और बीज नर्सरी का निरीक्षण करने के बाद डॉक्टर अमरीक सिंह ने कहा कि गन्ने की प्रति हेक्टेयर पैदावार और चीनी रिकवरी में वृद्धि करने के लिए जरूरी है की सीओ 0238 के नीचे से कुछ रकबा कम करके नई किस्में सीओपीबी 95, 96 और सीओ 15023 की बुवाई में वृद्धि की जाए। उन्होंने कहा कि गन्ना काश्तकारों को नई किस्म के बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि गन्ने के बीज बदलने की दर में वृद्धि की जा सके। फिलहाल गन्ने की फसल पर किसी कीट या बीमारी का हमला नहीं हुआ है।
फिर भी गन्ने की फसल का निरंतर निरीक्षण करने की जरूरत है ताकि समय पर कीट प्रबंध प्रणाली अपनाकर रोकथाम की जा सके। डॉ विक्रांत सिंह ने कहा कि गन्ने की फसल को गिरने से बचाने के लिए अगस्त माह की अंत तक बंधवाई करा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा गन्ने की फसल में विभिन्न किस्म के कीटों से प्रभावित पौधे उखाड़ कर नष्ट कर देने चाहिए। गन्ने के तने के बीमार होने की रोकथाम के लिए मित्र कीट ट्राइकोडरमा किलोनस 20,000 प्रति एकड़ के हिसाब से जुलाई से अक्टूबर तक 10 दिनों के अंतराल में खेत में छोड़ना चाहिए।