गगन बावा, गुरदासपुर:
भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी व्रत करने का बहुत महत्वपूर्ण विधान है। यह दिन नवदुर्गा को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे दिल और श्रद्धा से की जाने वाली कामना जरूर पूरी होती है। इस माह मासिक दुर्गाष्टमी 17 जुलाई को आ रही है। मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन भक्त मनोवांछित फल प्राप्त करने के उदेश्य से जीवन में चल रही किसी समस्या के समाधान के लिए या किसी भी दुख का निवारण करने के लिए मां दुर्गा अष्टमी का पूजन करते है। इस दिन भक्त दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए उपवास रखते है। हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए दुर्गा अष्टमी व्रत एक महत्वपूर्ण आराधना है।
यह है पूजा की विधि :
आचार्य इंद्रदास ने बताया कि देवी दुर्गा जी के नौ रूप है हर एक विशेष दिन देवी के एक विशेष रूप का पूजन किया जाता है। मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन विशेष रूप से मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। इस दिन महागौरी के रूप की तुलना शंख, चंद्रमा या चमेली के सफेद रंग से की जाती है। इस रूप में महागौरी एक 8 वर्ष की युवा बच्चे की तरह मासूम दिखती हैं, इस दिन वह विशेष शांति और दया बरसाती हैं। इस दिन के रूप में उनके चार हाथों में से दो हाथ आशीर्वाद और वरदान देने की मुद्रा में होते हैं और अन्य दो हाथ में त्रिशूल व डमरू रहता है। दुर्गा अष्टमी के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करके देवी दुर्गा की प्रार्थना करें। पूजन के लिए लाल फूल, लाल चंदन, दीया, धूप आदि का प्रयोग करें। देवी को अर्पण करने के लिए विशेष रूप से नैवेध तैयार करें। साथ ही देवी के पसंद का गुलाबी फूल, नारियल, पान के पत्ते, लौंग, इलायची, सूखे मेवे आदि प्रसाद के रूप में अर्पित करें। वेदी बनाकर उसपर अखंड ज्योति जलाएं और हाथों में फूल, अक्षत को लेकर मंत्रों का जाप करें। व्रत करने वाले भक्तों को आराम और विलासिता से दूर रहते हुए नीचे सोना चाहिए।