गुरदासपुर: छठे पे कमिशन की रिपोर्ट को दरकिनार कर डॉक्टर और स्टाफ बैठा धरने पर

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गगन बावा, गुरदासपुर
सेहत मंत्री पंजाब के आश्वासन पर डॉक्टरों ने पे कमीशन के खिलाफ धरना कुछ दिन पहले स्थगित कर दिया था, लेकिन कमीशन की त्रुटियां दूर न होने के कारण जिला गुरदासपुर के समूह सरकारी डॉक्टरों के संगठनों ने सूबा सरकार के खिलाफ दोबारा मोर्चा खोल दिया है। सरकारी अस्पताल बब्बरी में विभिन्न डॉक्टरी संगठनों जैसे पीसीएमएस एसोसिएशन, वेटनरी डॉक्टर एसोसिएशन, रुरल डॉक्टर एसोसिएशन, डेंटल डॉक्टर एसोसिएशन और आयुष डॉक्टर एसोसिएशन ने संयुक्त रुप से रोष धरना दिया। धरने में सरकारी डॉक्टरों का एनपीए व हाई रिस्क अलाउंस जोकि पहला 25 प्रतिशत बुनियादी वेतन का हिस्सा होता था, उसको घटाकर 20 प्रतिशत करने उपरांत बुनियादी वेतन से पृथक करने का जोरदार रुप से मुद्दा उठाया।
संबोधित करते हुए पीसीएमएस एसोसिएशन के जिला प्रधान डॉ. लव कुमार हंस ने बताया कि भारतीय संविधान अनुसार महंगाई की दर को ध्यान में रखते हुए हर दस साल बाद पे कमीशन का गठन किया जाता है और राज्य के समूह सरकारी मुलाजिमों के वेतनों में बढ़ोतरी की जाती है। उन्होंने कहा कि पूरा देश कोरोना महामारी में बहुत से डॉक्टरों व पेरा मेडिकल कर्मियों ने पूरी तनदेही से सेवाएं दी और कईयों ने अपनी जान भी गंवाई ,लेकिन सरकार ने वेतन आयोग में उनकी सेवाओं को पूरी तरह दरकिनार कर दिया। उधर, सीनियर उपाध्यक्ष डॉ. हरपाल सिंह ने वेतन आयोग की रिपोर्ट पूरी तरह लोकविरोधी बताया। उन्होंने बताया कि अभी सिर्फ ओपीडी सेवाएं और इलेक्टिव आपरेशन बंद किए हैं, बाद में सारा काम बंद कर दिया जाएगा।