FARIDABAD (AAJ SAMAJ) AGRICULTURE : कृषि विज्ञान केंद्र फरीदाबाद के वरिष्ठ समन्वयक डॉ. विजयपाल यादव ने बताया कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र, फरीदाबाद के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा गांव सिडाक में प्रगतिशील किसान नरेश शर्मा के खेत पर प्राक्रतिक खेती अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन योजना के अंतर्गत लगाई गई। ग्रीष्म कालीन मूंग फसल बारे में खेत दिवस का आयोजन किया गया। जहां गांव के अन्य किसानों को इसके माध्यम से ग्रीष्म कालीन मूंग फसल सम्बन्धी सम्पूर्ण वैज्ञानिक जानकारी दी गई।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के सस्य वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि इस खेत दिवस आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्राक्रतिक खेती द्वारा लगाई गई मूंग फसल की उन्नत किस्म एमएच 421 की वास्तविक स्थिति जैसे पौधों की बढ़वार, एक पौधे पर फलियों की संख्या, एक फली में दानों की संख्या तथा पैदावार क्षमता का आकलन करना व दूसरे किसानों को इनसे अवगत कराना होता है ताकि वह इन से प्रभावित होकर आसपास गावों के व सिडाक गांव के ज्यादा से ज्यादा किसान इस फसल को लगाकर अपने परिवार की आय बढ़ा सकते हैं। इस योजना के प्रभारी डॉ विनोद कुमार ने बताया की इस वर्ष केवीके भोपानी फरीदाबाद द्वारा सिडाक, मोहना,अलीपुर व चीरसि गावों में प्राक्रतिक खेती द्वारा ग्रीष्म कालीन मूंग किस्म एम.एच. 421 पर चुनिंदा किसानों के खेतों पर 12 प्रदर्शन लगवाए गए।
केंद्र के प्रधान सस्य वैज्ञानिक डॉ.राजेंद्र कुमार ने बताया कि जिला फरीदाबाद में गेहूं धान मुख्य फसल चक्र है जिले में इस फसल चक्र के अंतर्गत किसानों द्वारा फसल सिंचाई के लिए जमीनी पानी का काफी प्रयोग किया जाता है ऐसा करने से जल स्तर बढ़ता जा रहा है इसलिए जिले में दाल वाली फसलों को बढ़ावा देने के लिए धान की कार्य को कम करवाने तथा खेतों की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की उन्नत किस्म के प्रदर्शन चुनिंदा किसानों के खेतों पर हर वर्ष लगाए जाते हैं। मूंग की उन्नत किस्म एमएच 421 के बारे में किसानों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया कि यह फसल मध्य मार्च से मार्च मांह के अंत तक लगाई जाती है तथा वर्षा ऋतु शुरू होने से पहले जून माह में काट ली जाती है। यह फसल लगभग 4 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार देती है इस फसल के उगाने में ज्यादा खर्च भी नहीं आता है। मूंग फसल से पैदावार लेने के साथ-साथ खेत में नत्रजन तत्व की मात्रा में बढ़ोतरी होती है । उन्होंने बताया कि इस फसल के बाद किसान सब्जियां फूल वाली फसलें अथवा ज्वार, बाजरा, ग्वार इत्यादि फसलें लगा सकते हैं तथा एक साल में ज्यादा फसलें लगाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
इस अवसर पर केंद्र के वरिष्ठ वानिकी वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार देसवाल ने उपस्थित किसानों को कृषि वानिकी के बारें में जानकारी दी व् बारिश के मौसम में अधिक से अधिक पेड़ लगाने का आह्वान किया । कार्यक्रम को सफल बनाने में केंद्र के प्रशिक्षण सहायक डॉ जग नारायण व गांव के प्रगतिशील किसानों श्री शिवनारायण शर्मा,वीरेंदर, ओमपाल मौर्या,कृपाल,प्रेम, खजांची,सुरेश का विशेष योगदान रहा ।