Aaj Samaj (आज समाज), Govt Study Report, नई दिल्ली: भारत में बहुसंख्यक हिंदुओं की संख्या में तेजी से गिरावट आई है, जबकि मुसलमानों सहित अन्य अल्पसंख्यक समूहों (ईसाई, बौद्ध, सिख) की जनसंख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) द्वारा दुनिया भर के 167 देशों के रुझानों का अध्ययन करने के दौरान यह जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित भारत के अन्य पड़ोसी देशों में भी बहुसंख्यक आबादी वाले मुसलमानों की हिस्सेदारी में जबरदस्त उछाल आया है।

65 वर्षों में हिंदुओं की आबादी में 7.8 फीसदी की गिरावट

रिपोर्ट में बताया गया है कि 1950 और 2015 के बीच यानी 65 वर्षों में हिंदुओं की आबादी में 7.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, इस अवधि में जैन और पारसियों की संख्या में भी कमी आई है। सरकारी अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार 1950 और 2015 के बीच भारत में मुस्लिम आबादी में 43.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं ईसाइयों में 5.38 प्रतिशत, सिखों में 6.58 फीसदी और बौद्धों में मामूली बढ़ोतरी सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1950 में भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 84 फीसदी थी जो 2015 तक घटकर 78 फीसदी रह गई है। इसी अवधि में मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84 फीसदी से बढ़कर 14.09 फीसदी हो गई है।

बांग्लादेश, पाक, अफगानिस्तान, भूटान व श्रीलंका की स्थिति

बांग्लादेश की बहुसंख्यक आबादी में 18.5 फीसदी का इजाफा हुआ है। ठीक इसी तरह पाकिस्तान में 3.75 फीसदी और अफगानिस्तान में 0.29 फीसदी बहुसंख्यक आबादी (मुस्लिम) में इजाफा हुआ है। इसके अलावा, मालदीव में उसकी बहुसंख्यक आबादी (सुन्नी) में 1.47 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। भारत के दो और पड़ोसी देश भूटान और श्रीलंका में बहुसंख्यक आबादी में इजाफा हुआ है। भूटान में 17.6 फीसदी तो श्रीलंका में 5.25 फीसदी बहुसंख्यक आबादी बढ़ी है। बता दें कि श्रीलंका और भूटान में बौद्ध धर्म के लोग बहुसंख्यक हैं।

भारत अपने पड़ोसी देशों में दूसरे नंबर पर

म्यांमार के बाद भारत अपने पड़ोसी देशों में दूसरे नंबर पर है, जिसकी बहुसंख्यक आबादी में कमी आई है। म्यांमार में 10 फीसदी और भारत में 7.8 फीसदी बहुसंख्यक आबादी घटी है। भारत के अलावा नेपाल में बहुसंख्यक समुदाय (हिंदू) की आबादी में 3.6 फीसदी की गिरावट देखी गई है।

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