आज समाज डिजिटल, शिमला : राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सोमवार को यहां कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अन्तर्गत 48 क्रियाशील जन औषधि केंद्रों के माध्यम से लोगोें को सस्ते मूल्यों पर गुणवत्तायुक्त जेनेरिक औषधियां उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उन्होंने लोगों से इस परियोजना का लाभ लेने और नजदीक के केंद्र से सस्ते इलाज करवाने की अपील की है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में 7 मार्च को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अन्तर्गत पांचवां जन औषधि दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष का विषय ‘‘जन औषधि-सस्ती भी, अच्छी भी’’ निर्धारित किया गया है। इसके अन्तर्गत प्रथम मार्च से प्रदेशभर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ताकि लोगों मेें जन औषधि दवाओं के प्रति विश्वास बढ़े।
राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि अब तक देशभर में 9177 से अधिक जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं और प्रदेश में भी इनकी संख्या 60 है। उन्होंने कहा कि जन औषधि जेनेरिक दवाइयों के मूल्य खुले बाजार मेें उपलब्ध ब्रांडेड दवाइयों के मूल्य की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक कम है।
इसलिए प्रतिदिन दवाई लेने वाले व्यक्तियों के लिए यह योजना काफी लाभप्रद है। उन्होंने कहा कि इन केंद्रों पर 1759 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयां एवं 280 सर्जिकल व अन्य उत्पाद उपलब्ध करवाए गए हैं, जिन्हें केवल डब्ल्यू.एच.ओ.-जी.एम.पी. सर्टिफाइड दवा उत्पादक कंपनियों से ही खरीदा जाता है। इन्हें बिक्री के लिए भेजने से पूर्व इन दवाइयों के प्रत्येक बैच को एन.ए.बी.एल. प्रत्यायित प्रयोगशालाओं से परीक्षण कराया जाता है। उन्होंने प्रदेश के सभी चिकित्सकों से भी अनुरोध किया है कि ज्यादा से ज्यादा जेनेरिक दवाएं लिखें ताकि गरीब और सभी वर्गों को इसका लाभ मिल सके।
राज्यपाल ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में देश में जन औषधि केंद्रों की संख्या में लगभग 100 गुना वृद्धि हुई है और इसी प्रकार जन औषधि इवाइयों की बिक्री भी 100 गुना बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष 2022-23 में देश में अब तक 1100 करोड़ रुपये की बिक्री प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों से की गई है, जिससे आम जनता के लगभग 6600 करोड़ रुपये बचाये गए हैं।
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि हिमाचल प्रदेश मेें इस वित्त वर्ष 2022-23 में जन औषधि केंद्रों से बिक्री के माध्यम से करीब 30 करोड़ रुपये की बचत सुनिश्चित बनाई गई है। इसके अतिरिक्त, आयुष्मान व हिम केयर कार्ड के माध्यम से भी 50 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इस प्रकार आम जनता के लगभग 80 करोड़ रुपये बचाये गए हैं।
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