Punjab Stubble Burning : सरकार के प्रयास विफल, किसान जला रहे धान के अवशेष

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Punjab Stubble Burning : सरकार के प्रयास विफल, किसान जला रहे धान के अवशेष
Punjab Stubble Burning : सरकार के प्रयास विफल, किसान जला रहे धान के अवशेष

प्रदेश में गुरुवार तक 179 मामले आए सामने

Punjab Stubble Burning (आज समाज), चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार के लाख प्रयास के बावजूद किसान धान के अवशेषों को खेतों में ही आग लगा रहे हैं। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान, कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां लगातार किसानों से अपील कर रहे हैं कि वे धान के अवशेषों को खेतों में न जलाकर इनका वैज्ञानिक विधि से निष्पादन करें। इसके लिए प्रदेश सरकार उनको हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।

दूसरी तरफ ज्यादात्तर किसानों पर सरकार की इस अपील का असर दिखाई नहीं दे रहा। जिसके चलते किसान धड्ल्ले से अपने खेतों में अवशेषों को आग लगा रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो गुरुवार को पराली जलाने के आठ नए मामलों के साथ कुल गिनती 179 हो गई। इनमें से सबसे अधिक तीन मामले जिला अमृतसर से, दो गुरदासपुर, एक जालंधर और दो तरनतारन से रहे। इस बार पराली जलाने में 86 मामलों के साथ जिला अमृतसर पहले नंबर पर है।

सरकार हुई सख्त 9 शहरों में ड्रोन से निगरानी

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने इन पर नजर रखने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। विशेषकर 9 शहरों पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है, क्योंकि इन शहरों को केंद्र की तरफ से गैर प्राप्ति शहरों की सूची में शामिल किया गया था। यही कारण है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी प्रदेश में अपनी निगरानी बढ़ा दी है। ये 9 शहर डेराबस्सी, गोबिंदगढ़, जालंधर, खन्ना, लुधियाना, नया नंगल, पठानकोट, पटियाला और अमृतसर हैं।

रेड एंट्री कर रही सरकार

सरकार के बार-बार आह्वान करने के बाद भी कई किसान बड़े स्तर पर धान के अवशेषों में आग लगा रहे हैं। इसी के चलते सरकार अब इनपर सख्त कार्रवाई करने के मूढ़ में हैं। सरकार ने अब किसानों पर जुर्माने के साथ-साथ उनकी रेड एंट्री भी शुरू कर दी है। जिसके चलते किसानों को आने वाले समय में परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

किसान संगठन जता रहे विरोध

धान के अवशेषों में आग लगाने पर सरकार द्वारा किसानों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसी के चलते किसान संगठन सरकार के विरोध में उतर आए हैं। किसान संगठनों का कहना है कि सरकार द्वारा मुहैया करवाई जा रही मशीनरी इतनी ज्यादा नहीं है कि प्रदेश का हर किसान इसका लाभ उठा सके। उन्होंने कहा कि किसानों के पास कोई दूसरा विकल्प न होने के चलते मजबूरी में उन्हें धान के अवशेषों को जलाना पड़ रहा है।

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