Punjab News : सरकार के प्रयास विफल, खेतों में जल रही पराली

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Punjab News : सरकार के प्रयास विफल, खेतों में जल रही पराली
Punjab News : सरकार के प्रयास विफल, खेतों में जल रही पराली

प्रदेश सरकार ने जारी किया था मास्टर प्लान, पंचायत स्तर पर किए जाने हैं प्रयास

Punjab News (आज समाज), चंडीगढ़ : हर साल की तरह इस बार भी धान के अवशेषों को खेतों में जलाए जाना जारी है। प्रदेश सरकार के लाख प्रयास के बावजूद भी इसपर रोक लगती दिखाई नहीं दे रही। हालांकि अभी धान खरीद शुरू नहीं हुई है और काफी कम संख्या में ही किसानों ने अभी धान कटवाई है लेकिन फिर भी प्रदेश की हवा में जहर घुलना शुरू हो गया है।

सरकारी आंकड़ों की बात करें तो 15 सितंबर से लेकर अब तक प्रदेश में धान के अवशेष जलाए जाने के 81 मामले सामने आ चुके हैं। मंगलवार को 12 नए केस रिपोर्ट हुए। नए रिपोर्ट हुए 12 केसों में से चार जिला अमृतसर, चार कपूरथला, 1 फिरोजपुर और 3 एसएएस नगर से सामने आए हैं।

हर साल धान अवशेष बनते हैं समस्या

प्रदेश सरकार हर साल धान के अवशेषों से निपटने के लिए प्लान तैयार करती है लेकिन धान कटाई का समय शुरू होते ही सरकार के प्रयास व्यर्थ जाने लगते हैं। किसान सरकार की बात नहीं मानते और अवशेषों को खेतों में ही जला देते हैं जिससे वायु प्रदूषण बहुत उच्च मात्रा में होता है और एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब होता जाता है।

ये था सरकार का प्लान

धान के अवशेषों से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने किसानों को धान की पराली के प्रबंधन में मदद के लिए 11,052 फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनें खरीदने के लिए मंजूरी पत्र जारी किए हैं। ये मशीनें मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता को संरक्षित करते हुए खेतों को कुशलतापूर्वक साफ करने में किसानों की सहायता करके टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण हैं।

पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयार की है। पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाए जाने को अक्टूबर और नवंबर में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे एक कारण माना जाता है।

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