सामने आई बड़ी जानाकरी, अब केंद्रीय कर्मचारियों को करना होगा सरकार के अंतिम निर्णय का इंतजार
8th pay commission (आज समाज), बिजनेस डेस्क : हर 10 साल बाद लागू होने वाली वेतन आयोग की सिफारिशें सरकारी कर्मचारियों के लिए बहुत ज्यादा अहम होती हैं। केंद्र सरकार हर 10 साल बाद महंगाई की दर को देखते हुए अपने कर्मचारियों के वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि करती हैं। इसी वृद्धि को आधार बनाते हुए राज्य सरकारें, निगम, बोर्ड भी अपने कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करते हैं।
2016 में सरकार ने 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को मानते हुए इसे लागू किया था। अब जबकि अगले साल 8वें वेतन आयोग को लागू करने का दवाब केंद्र की उसी भाजपा सरकार पर है जोकि 2016 में भी सत्ता में थी तो इसको देखते हुए कर्मचारियों को सरकार से बहुत उम्मीदें हैं।
सरकार ने यह लिया फैसला
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशन पाने वालों की आमदनी में महंगाई भत्ता काफी महत्वपूर्ण होता है, जो बढ़ती कीमतों के बीच अपना खर्च चलाने में उनकी मदद करता है। नियम के मुताबिक कर्मचारियों का महंगाई भत्ता और पेंशनर्स को मिलने वाली महंगाई राहत को 50 फीसदी से ऊपर हो जाने पर उसे बेसिक सैलरी और पेंशन में मर्ज करने का नियम है।
फिलहाल डीए की मौजूदा दर 53 फीसदी है, इसलिए यह सवाल बार-बार उठता है कि क्या सरकार 8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने से पहले इसे केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक सैलरी या पेंशन में मर्ज करने का फैसला लेगी? सरकार से इस बारे में संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में यही सवाल समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान ने पूछा, जिसके लिखित जवाब में मोदी सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है।
सरकार ने राज्यसभा में यह जवाब दिया
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा सांसद जावेद अली खान के सवाल का लिखित जवाब देते हुए साफ कहा है कि 8वें वेतन आयोग से पहले महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी या पेंशन में मर्ज करने की उसकी कोई योजना नहीं है। सरकार ने कहा कि डीए की दरों को हर 6 महीने में संशोधित किया जाता है।
यह संशोधन आॅल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर किया जाता है, जिसे लेबर ब्यूरो, श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। वित्त राज्यमंत्री ने जवाब में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई भत्ता और महंगाई राहत इसलिए दिया जाता है, ताकि वे महंगाई के बीच अपना खर्च चला सकें। उन्होंने बताया कि यह कर्मचारियों, पेंशनर्स को महंगाई के असर से बचाने का एक तरीका है ताकि उनकी बेसिक सैलरी और पेंशन की परचेजिंग पावर बनी रहे।
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