पराली जलाने के 28 दोषी किसानों की रेड एंट्री
Punjab Stubble Burning (आज समाज), चंडीगढ़ : प्रदेश में धान कटाई सीजन शुरू होने से पहले ही धान के अवशेषों (पराली) में आग लगाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। खेतों में पराली में आग लगाने की घटनाएं 15 सितंबर से शुरू हो गई थीं। जोकि अब तेजी से बढ़ रहीं हैं। इसके चलते प्रदेश में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लगा है। दूसरी तरफ कंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तथा एनजीटी इस मामले में प्रदेश पर खास नजर रखे हुए हैं।
इसी के चलते प्रदेश सरकार ने भी अब सख्त रुख एख्तियार कर लिया है। गत दिवस प्रदेश में पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ रेड एंट्रियां दर्ज की गई हैं। वहीं पांच के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। इसके साथ ही किसानों पर 1 लाख 5000 रुपये का जुमार्ना भी ठोक दिया गया है।
अभी तक 100 के करीब मामले आ चुके हैं सामने
15 सिंतबर से लेकर अब तक प्रदेश में करीब 100 जगह पराली में आग लगाने के मामले सामने आएं हैं। इनमें अमृतसर में सबसे ज्यादा 59 मामले सामने आए हैं। ज्ञात रहे कि पिछले कुछ दिनों में प्रदेश में बारिश के चलते धान कटाई का काम बाधित रहा जिसके चलते आग लगाने के मामलों में कमी दर्ज की गई। लेकिन जैसे ही धान कटाई का कार्य तेज होता है वैसे ही आग के मामले भी तेजी से बढ़ने लगते हैं।
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क्या मतलब है रेड एंट्री का
रेड एंट्री वाले किसान न तो अपनी जमीन को बेच पाते हैं और न ही इसे गिरवी रख पाते हैं। इसके साथ ही रेड एंट्री होने पर प्रभावित किसान खेती ऋण भी नहीं ले सकता है। इस सख्त कार्रवाई का सरकार की मंशा केवल यही है कि प्रदेश के किसान सरकार का सहयोग करें। वे फसल अवशेषों को खेतों में आग न लगाएं और सरकार द्वारा मुहैया करवाई जा रही मशीनरी का प्रयोग करते हुए इन अवशेषों को खेतों की मिट्टी में ही मिला दें।
इस साल सरकार ने बनाया था मास्टर प्लान
किसानों को धान के अवशेष जलाने से रोकने और वातावरण साफ रखने के लिए प्रदेश सरकार ने इस सल मास्टर प्लान तैयार किया था। जिसमें धान के सबसे ज्यादा अवशेष जलाने वाले 663 गांवों को चिन्हित किया है। सरकार के मुताबिक बीते तीन सालों में इन गांवों के करीब 75 फीसदी हिस्से पर पराली जलाई गई है। एक्शन प्लान के मुताबिक विभिन्न विभागों की भागीदारी से इन गांवों में एसडीएम, तहसीलदार, कलस्टर व नोडल अफसरों की निगरानी में पराली जलाने पर रोक लगाई जाएगी। गांव स्तर पर 2800 जागरूकता कैंपों के अलावा पराली प्रबंधन मशीनें चलाने की सिखलाई देने को 500 कैंप भी लगेंगे।
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