Government will not remove Article 371, confusion is being spread about it – Home Minister Amit Shah: अनुच्छेद 371 नहीं हटाएगी सरकार, इसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा-गृहमंत्री अमित शाह

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर संबोधित करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान खत्म कर दिए गए हैं जिसके बाद भ्रम फैलाया जा रहा है कि अनुच्छेद 371 भी खत्म किया जाएगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा। गृहमंत्री ने कहा कि 33 वर्ष पहले आज ही के दिन अरुणाचल राज्य की स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि 6 वर्षों में केंद्र में पीएम मोदी ने यहां पेमा खांडू जी के नेतृत्व में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि नार्थ ईस्ट भारत के लिए हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण रहा है, इस दुर्गम क्षेत्र में बसने वाली जनजातियां भारतीय संस्कृति के लिए एक श्रृंगार से कम नहीं हैं। भारत की संस्कृति नार्थ ईस्ट की संस्कृति के बिना अपंग है। मैं आज समग्र नार्थ ईस्ट को बताना चाहता हूं कि धारा 371 को कोई हटा नहीं सकता और न ही हटाने की किसी की मंशा है। शाह ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले तक पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के बाकी हिस्सों के साथ केवल भौगोलिक रूप से जुड़ा था, असल जुड़ाव तो मोदी सरकार में हुआ है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार चाहती है कि पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र उग्रवाद, सीमाओं को लेकर अंतर-सरकारी संघर्ष जैसी समस्याओं से मुक्त हो। अब चीन ने गृहमंत्री अमित शाह के अरुणाचल प्रदेश जाने पर आपत्त् िजाहिर की है। अरुणाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के पर अमित शाह के राज्य की यात्रा पर चीन बौखला गया। चीनी विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि उनकी यात्रा बीजिंग की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है और आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार करती है। चीन ने कहा कि वह उनकी यात्रा का दृढ़ता से विरोध करता है। बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानते हुए उस पर अपना दावा करता है और भारत के किसी भी नेता की इस पूर्वोत्तर राज्य की यात्रा पर आपत्ति जताता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने एक प्रश्न के उत्तर में यहां आॅनलाइन मीडिया से कहा कि चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से के बारे में या चीन के तिब्बत क्षेत्र के दक्षिणी हिस्से के बारे में चीन की राय बिल्कुल स्पष्ट और अपरिवर्तित है। चीन की सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी। चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन किया है, सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिरता को कमतर किया है, आपसी राजनीतिक विश्वास पर प्रहार किया है और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन किया है। सीमा विवाद के हल के लिए विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत के 22 दौर हो चुके हैं।