Government Veterinary Hospital : अश्वों की बीमारियों को लेकर करनाल में लगाया गया शिविर

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अश्वों की बीमारियों को लेकर करनाल में लगाया गया शिविर
अश्वों की बीमारियों को लेकर करनाल में लगाया गया शिविर

Aaj Samaj (आज समाज), Government Veterinary Hospital, करनाल , 17 जून , इशिका ठाकुर

देश में घोड़ों की बढ़ेगी उपयोगिता, गधी के दूध से किसान होंगे मालामाल , पशुपालन विभाग के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय संस्था घोड़ों ,खच्चरोंऔर गधी फार्म को रोजगार का बना रही जरिया , अश्वों की बीमारियों को लेकर करनाल में लगाया गया शिविर।

घोड़ा , खच्चर प्राचीन काल से ही भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग रहे है लेकिन समय के साथ मशीनीकरण के चलते इसकी उपयोगिता कम होती चली गई। अब एक बार फिर घोड़ों, खच्चरों और गधों की उपयोगिता को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

पशुपालकों को उपकरणों के सही उपयोग की तकनीक बताई गई

अश्व पालने वाले पशुपालकों को प्रोत्साहन देने और उन्हें इनकी बीमारियों से बचाव के प्रति जागरूक करने हेतु आज करनाल के राजकीय पशु चिकित्सालय में अंतरराष्ट्रीय संस्था ब्रुक इंडिया की तरफ से एक जांच शिविर लगाया गया जिसमें करनाल सहित अनेक जिलों के पशुपालकों ने भाग लिया। इस अवसर पर पशुओं के देखरेख से संबंधित विभिन्न उपकरणों की प्रदर्शनी भी लगाई गई और पशुपालकों को इन उपकरणों के सही उपयोग की तकनीक बताई गई। ग्रुक इंडिया लिमिटेड के अधिकारी डॉ एस एफ जमान ने बताया कि घोड़ा , खच्चर हमारे समाज में आजीविका का एक प्रमुख माध्यम रहा है। आज भी अनेक क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता बरकरार है।

अश्व पालन समाज के कई वर्गों के रोजगार का एक प्रमुख जरिया है। युवाओं को अश्व पालन से जोड़ने के लिए उनकी संस्था निरन्तर प्रयासरत है, क्योंकि घोड़ा, खच्चर और गधी का व्यवसायिक उपयोग रोजगार का एक बड़ा माध्यम बन सकता है। काफी युवा आज इनके फार्म खोल रहे हैं और लाखों रुपए कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गधी का दूध 5 से 7 हजार प्रति लीटर बिकता है क्योंकि उसमें चिकित्सकीय गुण पाए जाते हैं। वैज्ञानिक रिसर्च भी इस बात को प्रमाणित करती है।

भारत में 11 राज्यों में इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं

डॉ जमान ने कहा कि आज के शिविर में पशुपालकों को अश्वों की देखरेख और उसकी बीमारियों के बारे में बताया जा रहा है, जिसमें मुख्य रुप से उनके वेक्सिनेशन और नाल लगाने के बारे में बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अश्वों का सही रखरखाव किया जाए तो वह हमारे लिए काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम भारत में 11 राज्यों में इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा हम सरकारी संस्थान के साथ मिलकर घोड़ों के जर्म प्लाजा को संरक्षित करने का भी काम करते हैं।

पशुपालन विभाग के सर्जन डॉ तरसेम राणा ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में अंतरराष्ट्रीय संस्था के साथ मिलकर उनका विभाग पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर एक संयुक्त अभियान चला रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग घोड़ा खच्चर या गधे पालते हैं कई बार अज्ञानता की वजह से वह इनकी बीमारियों को नहीं पहचान पाते जिस कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। शिविर लगाने का उद्देश्य उन्हें अश्वों की बीमारियों के बारे में जागरूक करना और उसे ज्यादा से ज्यादा उपयोगी बनाना है।

डॉ तरसेम राणा ने कहा कि पशुपालक समय पर अपने पशुओं का टीकाकरण अवश्य कराएं ताकि उनका बीमारियों से बचाव हो सके। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा पशुपालकों को विभिन्न योजनाओं के तहत व्यवसाय करने के साथ बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है जिसका उन्हें लाभ उठाना चाहिए।शिविर में आए पशुपालकों ने बताया कि वे काफी समय से घोड़ा पालन का व्यवसाय कर रहे हैं।

अगर इसे सही तरीके से किया जाए तो उसमें काफी फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि शिविर में आकर उन्हें घोड़ों की देखरेख और उनकी बीमारियों के बारे में काफी जानकारी मिली है जिसका वह अपने व्यवसाय में प्रयोग करेंगे।

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