Government Medical College, Amritsar gets treatment for treatment of corona patients through plasma therapy: Sony”: सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर को मिली प्लाज्मा थैरेपी के द्वारा कोरोना मरीजों के इलाज की मज़ूरी : सोनी

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चंडीगढ़ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने शुक्रवार को एक पत्र जारी करके सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर को प्लाज्मा थैरेपी के द्वारा कोरोना पीडि़त मरीजों के इलाज की मंज़ूरी दे दी। अगले कुछ दिनों में प्लाज्मा थैरेपी से अस्पताल में इलाज शुरू कर दिया जाएगा। यह जानकारी पंजाब के चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संबंधी मंत्री ओम प्रकाश सोनी ने दी।
उन्होंने बताया कि सरकारी मैडीकल कॉलेज अमृतसर, प्लाज्मा थैरेपी के द्वारा कोरोना पीडि़त मरीजों के इलाज के लिए पहले ही तैयारियां मुकम्मल कर चुका है और अगले कुछ दिनों में इस विधि से इलाज शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि अमृतसर मेडीकल कॉलेज के पास इस संबंधी अपेक्षित बुनियादी ढांचा और योग्य मरीज व प्लाज्मा डोनर उपलब्ध हैं, जिसके चलते वह इस विधि के द्वारा इलाज करने में पूरी तरह समर्थ है।
सोनी ने बताया कि राज्य के चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संबंधी विभाग के प्रमुख सचिव डीके तिवाड़ी, सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर की प्रिंसीपल डॉ. सुजाता शर्मा और डॉ. जतिंदर सिंह प्रोफेसर ऐमीरेट्स और मेंबर सचिव आईईसी, डॉ. नीरज शर्मा प्रोफेसर प्रमुख ट्रांसफ्यूशन मेडिसिन विभाग, डॉ. रंजना खेतरपाल प्रोफेसर एनसथीसिया और क्रिटिकल केयर के यत्नों से यह मंजूरी आईसीएमआर से मिली है। उन्होंने बताया कि इससे पहले आईसीएमआर द्वारा नेशनल क्लीनिकल ट्रायल के अधीन सरकारी मेडिकल कॉलेज फरीदकोट को प्लाज्मा थैरेपी के द्वारा इलाज करने की मंजूरी दी गई थी और यह इस थैरेपी की शुरुआत करने वाला देश का एक अग्रणी संस्थान बन गया है। सरकारी मेडिकल कॉलेज फरीदकोट में प्लाज़्मा थैरेपी के नतीजे उत्साहजनक हैं।
इस थैरेपी के अधीन कोविड संक्रमण से ठीक हुए मरीज का प्लाज्मा लेकर स्टोर किया गया था। उन्होंने आगे बताया कि यह प्लाज्मा कोरोना वायरस से गंभीर रूप में पीडि़त व्यक्ति को चढ़ाया गया। प्लाज्मा थैरेपी के बाद मरीज की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है और वह निगरानी अधीन है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोनवेलेसेंट प्लाज्मा कोविड-19 के लक्षणों वाले ठीक हुए किसी भी मरीज से लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार जब मरीज की रिपोर्ट (आरटी-पीसीआर) नेगेटिव हो जाती है, तो वह 14 दिनों बाद अपना प्लाज्मा दान कर सकता है, क्योंकि उसके खून में एंटी-बॉडीज़ होती हैं, जो कि बीमारी को ठीक करने में सहायता कर सकती हैं। सोनी ने इस स्वास्थ्य संकट में जीत प्राप्त करने के लिए इस काम में शामिल सभी डॉक्टरों और अमले की सराहना की।