कहा, प्रदेश में बहुत ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए गए हैं, मगर उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा
Himachal Bilaspur News (आज समाज), बिलासपुर। प्रदेश सरकार हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रयासरत है, जिसके लिए हिमाचल के किसानों, बागवानों और मछुआरों विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लाभ दिया जा रहा है। यह बात नगर एवं ग्रामीण नियोजन और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने बिलासपुर में 1 करोड़ 72 लाख रुपए की लागत से बनी कृषि उपज मंडी समिति बिलासपुर के बहुउद्देशीय परिसर का लोकार्पण के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में जायका परियोजना के अंतर्गत बहुत ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए गए हैं, मगर उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। उन्होंने एपीएमसी को जायका परियोजना के अंतर्गत बने भवनों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया ताकि इन भवनों का उचित इस्तेमाल हो सके।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर खर्च होंगे 93 करोड़
उन्होंने बताया कि जिला मुख्यालय के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर 93 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल पर 10 करोड़ रुपए से अधिक की राशि व्यय किए जा रहे है। क्षेत्रीय अस्पताल के कैंटीन ब्लॉक के निर्माण में 150 करोड़ रुपए खर्च होंगे और गुरुद्वारा के समीप कर पार्किंग पर 5 करोड़ से अधिक की राशि व्यय होगी। इसी प्रकार उपनिदेशक कृषि विभाग के कार्यालय में भी 5 करोड़ 18 लाख रुपए से कार्य करवाए जाएंगे।
सिटी लाइवलीहुड सेंटर का कार्य प्रगति पर
तकनीकी शिक्षा मंत्री ने बताया कि उनके विभाग के अंतर्गत एशियन डेवलपमेंट बैंक की सहायता से बिलासपुर में 4 करोड़ 46 लाख रुपए की लागत से बन रहे सिटी लाइवलीहुड सेंटर का कार्य प्रगति पर है और बिलासपुर में ही मॉडल कैरियर सेंटर भी बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में प्रयासरत है।
वेट से 2200 करोड़ रुपए अर्जित किए
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष प्रदेश सरकार ने ठेकों की नीलामी पर 450 करोड़ रुपए अर्जित किए थे और वेट के माध्यम से 2200 करोड़ रुपए अर्जित किए गए। इन अर्जित किए गए पैसों से प्रदेश के गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि हिमाचल सरकार क्वालिटी एजुकेशन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुणवत्ता पर फोकस कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए कम छात्रों की संख्या वाले स्कूलों को मर्ज किया जा रहे हैं।
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