Haryana Assembly Session: सरकार खाद की व्यवस्था करने व उचित वितरण के लिए प्रशासनिक रूप से सक्षम: श्याम सिंह राणा

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सरकार खाद की व्यवस्था करने व उचित वितरण के लिए प्रशासनिक रूप से सक्षम: श्याम सिंह राणा
Haryana Assembly Session: सरकार खाद की व्यवस्था करने व उचित वितरण के लिए प्रशासनिक रूप से सक्षम: श्याम सिंह राणा

हरियाणा विधानसभा में पेश ध्यानाकर्षण पर कृषि मंत्री ने दिया जवाब
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री श्याम सिंह राणा ने डीएपी से संबंधित ध्यानाकर्षण का जवाब देते हुए बताया कि प्रदेश सरकार राज्य में सभी प्रकार के खाद की व्यवस्था करने तथा किसानों की आवश्यकताओं के अनुसार उनके उचित वितरण के लिए प्रशासनिक रूप से सक्षम है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार खादों की मौसमवार एवं माहवार आवश्यकताओं का आकलन करती है और योजना तैयार कर संबंधित राज्य को भेजी जाती है। हरियाणा का कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी प्रतिदिन यूरिया एवं डीएपी एवं अन्य खादों की आवश्यकताओं, आपूर्ति, बिक्री एवं स्टॉक स्थिति की निगरानी करता है। भारत सरकार भी प्रत्येक मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से खाद आपूर्तिकर्ताओं सहित राज्य के साथ आपूर्ति योजना की समीक्षा करती है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि तिलहन फसलों की बुवाई लगभग समाप्त हो चुकी है तथा गेहूं की बुवाई जोरों पर है।

बुवाई के दौरान फॉस्फेटिक खादों का उपयोग/ड्रिल किया जाता है तथा यूरिया का उपयोग आमतौर पर फसलों में छिड़काव के रूप में किया जाता है। पिछले वर्ष रबी सीजन में डीएपी की बिक्री 2 लाख 30 हजार मीट्रिक टन थी और चालू रबी सीजन 2024-25 में भी इतनी ही बिक्री होने की उम्मीद है। भारत सरकार ने चालू रबी सीजन 2024-25 के लिए 2 लाख 60 हजार मीट्रिक टन डीएपी आवंटित किया है। डीएपी का अक्टूबर और नवंबर 2024 का आवंटन 2 लाख 25 हजार मीट्रिक टन है। इस वर्ष रबी सीजन की शुरूआत में राज्य के पास 54,000 मीट्रिक टन का स्टॉक था और 16 नवंबर 2024 तक एक लाख 52 हजार मीट्रिक टन डीएपी भारत सरकार से प्राप्त हुई है।

2 लाख 6 हजार मीट्रिक टन डीएपी खाद उपलब्ध कराया गया

राज्य के लिए अब तक 2 लाख 6 हजार मीट्रिक टन डीएपी खाद उपलब्ध कराया गया है जिसमें से 15 नवंबर 2024 तक एक लाख 86 हजार मीट्रिक टन की खपत हो चुकी है। पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान एक लाख 65 हजार मीट्रिक टन डीएपी की खपत हुई थी। इससे यह स्पष्ट है कि इस वर्ष इसी अवधि के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में खपत अधिक रही है। जिलों में अभी भी 21,000 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के किसान केवल डीएपी पर ही निर्भर नहीं हैं, बल्कि रबी की फसल उगाने के लिए अपनी पसंद के अनुसार एनपीके और सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) खादों का भी उपयोग करते हैं। फसल के संपूर्ण पोषक तत्व सुनिश्चित करने के लिए ये खाद भी राज्य के किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं।

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