Government, Congress doing event management, not economic: इकनॉमिक नहीं, इवेंट मैनेजमेंट कर रही सरकार-कांग्रेस

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नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ‘इकनॉमिकट मैनेजमेंट’ नहीं, बल्कि ‘इवेंट मैनेजमेंट’ कर रही है तथा अपने दूसरे कार्यकाल में देश के लिए ‘आर्थिक एवं राजनीति विपत्ति लेकर आई है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि सरकार का यह कदम डगमगाते सेंसेक्स बाजार को संभालने के लिए है, जबकि इससे अर्थव्यवस्था मंदी की मार से बाहर नहीं निकलने वाली है क्योंकि मध्यम वर्ग और वेतनभोगी लोगों को कोई राहत नहीं दी गई है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘अर्थव्यवस्था मंदी की मार से डूब रही है, नौकरियां जा रही हैं और फैक्टरियां बंद हो रही हैं। लेकिन सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि सबकुछ ठीक है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ”दूसरे कार्यक्रम में मोदी सरकार राजनीतिक और आर्थिक विपत्ति लेकर आई है। वित्त मंत्री और उनके सहयोगियों के पास बीमार अर्थव्यवस्था के लिए न दवाई है और न कोई सुझाव है। यह सरकार एक कदम आगे और चार कदम पीछे चलती है।’उन्होंने यह भी कहा, मुझे खेद से कहना पड़ रहा है कि प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था को नौसिखयों की तरह चला रहे हैं। सुरजेवाला ने दावा किया, कारपोरेट जगत को 1.45 लाख करोड़ रुपये की छूट दी गई है। यह सिर्फ डगमगाते सेंसेक्स को संभालने के लिए किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बताएं कि 1.45 लाख करोड़ रुपये की भरपाई कहां से होगी? क्या मध्यम वर्ग, किसानों और छोटे कारोबरियों पर तरह तरह के कर लगाकर इसकी भरपाई की जाएगी? वित्तीय घाटा बढ़ेगा और उसको पूरा करने के लिए आपके पास क्या योजना है? महंगाई पर काबू पाने के लिए क्या उपाय है?

सुरजेवाला ने यह भी पूछा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बजट की पूरी प्रक्रिया का मजाक क्यों बना रहे हैं? 45 दिनों के भीतर बजट की घोषणाओं को खारिज कर दिया, या फिर संशोधन कर दिया। संसदीय प्रणाली की ऐसी अहवेलना क्यों की गई? उन्होंने यह सवाल भी किया, वेतनभोगी वर्ग और मध्यम वर्ग को कर रियायत से उपेक्षित क्यों रखा गया? छोटे कारोबारियों को राहत क्यों नहीं दी गई? क्या केवल कारपोरेट कर में राहत देने से मंदी दूर हो जाएगी?इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, ‘पिछले बजट के तीन महीनों के बाद और आगामी बजट के चार महीने पहले मोदी सरकार ने कारपोरेट कर की दर में कटौती की है। इस कदम का स्वागत है, लेकिन इस पर संदेह है कि इससे निवेश की स्थिति बेहतर हो जाएगी। गौरतलब है कि सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिये शुक्रवार को कई बड़ी घोषणाएं की। इन घोषणाओं में कंपनियों के लिये आयकर की दर करीब 10 प्रतिशत घटाकर 25.17 प्रतिशत करना तथा नयी विनिर्माण कंपनियों के लिये कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर घटाकर 17.01 प्रतिशत करना शामिल है।