Indian Wheat and Barley Research Institute, करनाल : हरियाणा में किसानों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञानियों ने 6 साल के शोध के बाद गेहूं की 2 नई प्रजातियां विकसित की गई है. DBW- 377 और DBW- 359 नाम की ये किस्में कम पानी में बेहतर पैदावार देगी. किसानों को सितंबर के आखिर में इन दोनों किस्मों का बीज वितरित किया जाएगा.
DBW- 377 का दाना अभी तक की गेहूं की सभी प्रजातियों से मोटा है. वहीं, DBW- 359 केवल दो पानी में ही अधिकतम पैदावार देगी. दोनों प्रजातियों को सभी तरह के रोगों से लड़ने में सक्षम बनाया गया है. 6 साल के शोध के बाद ये दोनों किस्में विकसित की गई हैं.
इससे पहले संस्थान की ओर से बीते सीजन रिलीज की गई गेहूं की प्रजाति DBW- 370, 371 और 372 ने अब तक की सर्वाधिक 33.7 क्विंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार दी है.
DBW- 359 किस्म कम पानी में अधिक पैदावार देगी. इस प्रजाति को कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है. सामान्य तौर पर गेहूं की फसल को 4 से 5 बार सिचाई की जरूरत होती है, जबकि गेहूं की इस नई किस्म में केवल दो ही सिंचाई से फसल ली जा सकती है. इस किस्म की पैदावार 56 से 58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.
DBW- 377 किस्म का दाना अब तक की गेहूं की सभी किस्मों से मोटा है. हालांकि, इस प्रजाति में नाइट्रोजन समेत अन्य खाद दूसरी प्रजाति की तुलना में डेढ गुना लगता है, लेकिन इससे पैदावार भी बढ़ती है. इस किस्म की पैदावार 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो सर्वाधिक है.
इन किस्मों की रोटी गेहूं की अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा सफेद होगी. आटा गूंथने में भी आसानी होगी और समय भी बचेगा. इन किस्मों के गेहूं के आटे से बनी रोटियां ज्यादा स्वादिष्ट भी होंगी.
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