Constitutional Journey, Good Governance, डॉ दिलीप अग्निहोत्री, आज समाज डेस्क: भारतीय संविधान के निर्माता डॉक्टर भीम राव राम जी आंबेडकर देश में सुशासन की स्थापना चाहते थे। इसके प्रति उनका स्पष्ट विजन था। संविधान की भावना में यह तथ्य प्रमुखता से समाहित हुआ है। भारत को विकसित देश बनाने के लिए सुशासन को अपरिहार्य माना गया। इसमें समग्र विकास को महत्व दिया गया। गरीबों को विकास की मुख्य धारा में शामिल करना, उनका जीवन स्तर ऊपर उठाना, शिक्षा का प्रसार, लोक कल्याण की योजनाओं को बिना भेदभाव के संचालित करना, औद्योगिकरण, सभी प्रकार की कनेक्टिविटी का जाल बिछाना, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार, भ्रष्टाचार घोटालों से मुक्त व्यवस्था आदि सुशासन के ही अंग होते है।
वाजपेयी ने कायम की थी सुशासन की मिसाल
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में सुशासन की मिसाल कायम की थी। इसीलिए उनके जन्मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार देश में सुशासन सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। जिससे सुशासन के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़े। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार सुशासन के प्रति समर्पित थी। यह संविधान और विचारधारा की प्रेरणा थी। दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को साकार करने प्रयास किया गया।
अनवरत इस दिशा में प्रयास आवश्यक होता है। समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति के विकास पर सरकारों का ध्यान होना चाहिए। उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने का संकल्प दिखना चाहिए। इसके लिए अटल बिहारी वाजपेई ने अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया था। जहां शरीर, मन, बुद्धि एकात्म के साथ आगे बढ़ती है, वहीं सम्पूर्ण संतुष्टि मिलती है। यही एकात्म मानववाद है। इसी में अंत्योदय विचार समाहित है। इसी के अनुरूप सुशासन का संचालन किया जाता है।
पीएम मोदी के सुशासन के दृष्टिगत 11 संकल्प
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुशासन के दृष्टिगत ग्यारह संकल्प संसद में प्रस्तुत किए। नागरिक और सरकार दोनों अपने कर्तव्यों का पालन करें। समाज के सभी वर्गों को विकास का लाभ मिले। सबका साथ सबका विकास चरितार्थ हो। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस हो। भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता न हो। कानून, नियम और परंपराओं के पालन में देश के नागरिकों को गर्व होना चाहिए। गुलामी की मानसिकता से मुक्ति हो।
देश की विरासत पर गर्व हो। देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्ति मिले। संविधान का सम्मान हो, राजनीति स्वार्थ के लिए संविधान को हथियार न बनाया जाए। संविधान की भावना के प्रति समर्पण रखते हुए जिनको आरक्षण मिल रहा है, उसको न छीना जाए और धर्म के आधार पर आरक्षण की हर कोशिश पर रोक लगे। महिला नेतृत्व में विकास हो और भारत दुनिया के लिए मिसाल बने। राज्य के विकास से राष्ट्र का विकास हमारा मंत्र बने। एक भारत, श्रेष्ठ भारत का ध्येय सर्वोपरि हो।
सरकार ने 7 वर्ष पहले भारतमाला परियोजना को दी मंजूरी
भारतमाला परियोजना के तहत 26 हजार किलोमीटर से अधिक की लंबाई वाली राजमार्ग परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। अठारह हजार किलोमीटर से अधिक का निर्माण किया जा चुका है। सरकार ने सात वर्ष पहले भारतमाला परियोजना को मंजूरी दी थी। इसके अंतर्गत देश में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए करीब पैंतीस हजार किलोमीटर की लंबाई शामिल है। भारतमाला परियोजना के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को राज्यवार निधि का आवंटन किया जा रहा है। परियोजना के तहत एनएचएआई द्वारा किया गया कुल व्यय करीब पौने पांच लाख करोड़ रुपए है। अब तक चार सौ किलोमीटर से अधिक लंबाई वाली अठारह परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। बंदरगाह एवं तटीय संपर्क सड़क श्रेणी के अंतर्गत निर्माण किया जा चुका है।
बंदरगाहों को संपर्क प्रदान कर रही विभिन्न परियोजनाए
भारतमाला योजना के अंतर्गत परिकल्पित विभिन्न परियोजनाएं गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न तटीय राज्यों में विभिन्न प्रमुख व छोटे बंदरगाहों को संपर्क प्रदान कर रही हैं। लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुशासन सप्ताह का शुभारंभ किया। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का यह जन्म शताब्दी वर्ष है। देश प्रदेश में सुशासन सप्ताह मनाया जा रहा है।
अटल जी सुशासन का प्रतीक : योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटल जी सुशासन का प्रतीक माने जाते हैं। राजनीतिक अस्थिरता को स्थिरता में बदलना, सुशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करना,देश के अंदर अंत्योदय की योजना,हर गरीब-वंचित को अधिकार देना, अंत्योदय कार्ड राशन उपलब्ध कराना, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, अनुसूचित जाति-जनजाति पिछड़े वर्ग को उनका अधिकार दिलाना, स्वर्णिम चतुर्भुज, विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर व हाईवे अटल जी की देन है।
बलरामपुर व लखनऊ से कई बार उन्होंने संसद में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। विदेश मंत्री, प्रधानमंत्री के रूप में भी उन्होंने देश को सक्षम नेतृत्व प्रदान किया। अटल जी कवि, पत्रकार, साहित्यकार व राजनेता थे। वह समन्वय के साथ सबको लेकर चलने का सामर्थ्य रखते थे। भारतीय राजनीति के अजातशत्रु कहे जाते थे। छह दशक का सार्वजनिक जीवन बिना किसी कलंक के रहा। वर्तमान सरकार ने सुशासन यात्रा को तेजी से आगे बढ़ाया। पचास करोड़ से अधिक जनधन खाते खुलवाए गए। पहले ये लोग बैंकिंग सेवा से वंचित थे। आयुष्मान,उज्ज्वला और निर्धन आवास योजनाएं संचालित की गई। देश खुले में शौच से मुक्त हो गया। सरकार ने घर-घर बिजली पहुंचाई। आठ करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन दिए।
उत्तर प्रदेश सरकार भी सुशासन यात्रा में अपना उल्लेखनीय योगदान दे रही है। प्रदेश की पंचायतों की भूमिका को पहले से अधिक महत्वपूर्ण और जवाबदेह बनाया गया है। पंचायतों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए गए हैं। रोजगार मेले,किसान विकास योजनाएं और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से गांवों में समग्र विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। डिजिटल तकनीक के समावेश ने पंचायतों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बना दिया है।
पंचायत निधि के बेहतर और सार्थक उपयोग पर जोर
पंचायत निधि के बेहतर और सार्थक उपयोग पर जोर दिया जा रहा है। इसका लाभ सीधे वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है। पंचायतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसी योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। ऐसे नए कार्य करने का आह्वान भी किया गया, जो पंचायतों को विशिष्ट पहचान दें। पंचायतों को नए और नवाचारी प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है सामुदायिक शौचालयों और सार्वजनिक स्थानों की सफाई को प्राथमिकता दी जा रही है। गांवों में कम्युनिटी सेंटर बनाकर उसका आर्थिक रूप से उपयोग करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे न केवल पंचायतों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ होगी। रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
पंचायतों में बड़े पैमाने पर किए जा रहे कार्य
पंचायतों में आदर्श गांव, विकसित गांव और आत्मनिर्भर गांव बनाने की दिशा में बड़े पैमाने पर कार्य किए जा रहे हैं। ग्राम चौपाल की पहल ने यह सुनिश्चित किया है कि सरकार खुद चलकर ग्रामीणों और गरीबों के पास जाए। यह पहल शासन और जनता के बीच विश्वास को बढ़ाने के साथ साथ समस्याओं के समाधान को सरल और सुलभ बना रही है। प्रदेश के प्रत्येक विकास खंड की दो ग्राम पंचायतों में प्रत्येक शुक्रवार को ग्राम चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। गांव की समस्या गांव में समाधान के मूलमंत्र के साथ आयोजित इन चौपालों ने ग्रामीणों की समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित किया है।
ग्राम चौपालों में न केवल व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान हो रहा है, बल्कि सार्वजनिक मुद्दों पर भी कार्रवाई की जा रही है। इन चौपालों से गांवों में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की जमीनी हकीकत का पता चलता है और सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी आई है। ग्राम चौपालों की सफलता के लिए गांवों में सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
चौपालों से पहले व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाता है ताकि अधिक से अधिक लोग इनसे जुड़ सकें। यह पहल यह भी सुनिश्चित करती है कि सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद तक पहुंचे। यह पहल न केवल गांवों को सशक्त बना रही है बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की ओर भी अग्रसर है। ग्रामीण विकास के इस मॉडल ने पंचायतों को नए अवसरों और जिम्मेदारियों के साथ मजबूती प्रदान की है, जिससे उत्तर प्रदेश देशभर में एक मिसाल बनता जा रहा है।
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना को उत्तर प्रदेश में मिल रहे नए आयाम
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना को उत्तर प्रदेश में नए आयाम मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश केंद्र सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में शीर्ष राज्यों में पहुंच गया है। बिजली बचत,आय वृद्धि और हरित ऊर्जा के लक्ष्य को पूरा करने वाली इस योजना से प्रदेश के लाखों घर लाभान्वित हो रहे हैं। यूपी सोलर रूफटॉप इंस्टालेशन के मामले में गुजरात और महाराष्ट्र के बाद देशभर में तीसरे स्थान पर है। सरकार सोलर रूफटॉप लगाने के लिए आकर्षक सब्सिडी प्रदान कर रही है।
सोलर पैनल लगवाने से न केवल बिजली के बिलों में भारी कमी आ रही है, बल्कि लोग अतिरिक्त ऊर्जा का उपयोग करके आय में वृद्धि भी कर रहे हैं। खास बात यह है कि सौर ऊर्जा के उपयोग से पर्यावरण को भी स्वच्छ और हरित बनाया जा रहा है। योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतों को सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा मिल रहा है। सोलर पैनल इंस्टालेशन से तकनीकी विशेषज्ञों, श्रमिकों और अन्य संबंधित क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए रोजगार के द्वार खुले हैं।
उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन
प्रदेश में उच्च शिक्षा को सुलभ और उन्नत बनाने के लिए उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन किया गया है। इसके तहत विद्या विश्वविद्यालय मेरठ, विवेक विश्वविद्यालय बिजनौर तथा चंडीगढ़ विश्वविद्यालय उन्नाव नए विश्वविद्यालयों की स्थापना का निर्णय लिया गया है। इन विश्वविद्यालयों की स्थापना से न केवल छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। राज्य में तीन नए निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना और विदेशी विश्वविद्यालय परिसरों के लिए मार्ग प्रशस्त किया गया है। यह प्रदेश को शैक्षिक हब बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। नए विश्वविद्यालयों और विदेशी परिसरों के माध्यम से छात्रों को उनके गृह राज्य में ही विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
प्रदेश के छात्रों को अब नहीं जाना पड़ेगा बाहर
विदेशी विश्वविद्यालय के आने से प्रदेश के छात्रों को अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा, उन्हें उच्च स्तरीय शिक्षा अपने प्रदेश में ही अब सस्ती और सहज मिलेगी। उन्होंने कहा कि अभी तक उत्तर प्रदेश में ही रजिस्टर्ड संस्थायें यहाँ पर विश्वविद्यालय स्थापित कर सकती थी परन्तु अब इस नये संशोधन विधेयक द्वारा किसी भी अन्य राज्य में रजिस्टर्ड संस्थायें, कम्पनियाँ, ट्रस्ट जिनका ट्रैक रिकार्ड भी अच्छा हो, उत्तर प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय खोलने के लिए अर्ह होगें।
यदि यूजीसी द्वारा विदेशी विश्वविद्यालय जिनको उत्तर प्रदेश द्वारा मान्यता दी जाती है तो ऐसी संस्थाये भी उत्तर प्रदेश में विश्वविद्यालय स्थापित कर सकेगी। यह बदलाव केवल नए विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह छात्रों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा। यह पहल उत्तर प्रदेश को शैक्षिक उत्कृष्टता का केंद्र बनाने के साथ-साथ स्थानीय और वैश्विक स्तर पर रोजगार और शोध के अवसरों को भी बढ़ावा देगी। ऐसे सभी कार्य सुशासन यात्रा को आगे बढ़ाने में सहायक हैं।
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