पिछले एक साल में सोने से 40 प्रतिशत तो चांदी से मिला 34 प्रतिशत रिटर्न
Gold-Silver (आज समाज), बिजनेस डेस्क : वैश्विक मांग हो या फिर कोई और कारण लेकिन निवेशकों को शेयर मार्केट के अलावा सबसे ज्यादा पंसद आ रहा है दोनों कीमती धातुओं में निवेश। हो भी क्यों न दरअसल इन दोनों धातुओं ने निवेशकों को निराश नहीं किया है। बल्कि बहुत ही बड़ा रिटर्न दिया है। यदि आंकड़ो की बात करें तो पिछले एक साल में सोने की कीमत में 40% से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि चांदी में लगभग 34% की वृद्धि हुई है। चांदी वर्तमान में 33 डॉलर प्रति औंस के आसपास है जबकि भारत में स्पॉट सिल्वर की कीमत लगभग 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास बनीं हुई है। आज सोने की कीमत लगभग 3,030 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस है। इस बीच भारत में, स्पॉट गोल्ड की कीमत 88,500 रुपये प्रति 10 ग्राम है।
इसलिए आ रही चांदी में तेजी
2025 में, दुनियाभर में चांदी की डिमांड 1.20 बिलियन औंस के आसपास स्थिर रहने की उम्मीद है, जबकि इसकी सप्लाई 3 फीसदी बढ़ने की संभावना है, जो 11 साल में सबसे अधिक 1.05 बिलियन औंस तक पहुंच जाएगी। मतलब डिमांड और सप्लाई के बीच एक अंतर है, और यह असंतुलन चांदी की कीमतों में तेजी के लिए जिम्मेदार हो सकती है।
इस तरह तय होता है गोल्ड-सिल्वर रेशियो
गोल्ड-सिल्वर रेशियो सोने और चांदी की कीमतों के बीच संबंध को दर्शाता है, और यह यह बताता है कि एक औंस सोने के बराबर वैल्यू हासिल करने के लिए कितने औंस चांदी की आवश्यकता होती है। गोल्ड-सिल्वर रेशियो, जो सोने और चांदी की कीमतों की तुलना करने वाला एक मीट्रिक है, 1980 के दशक के अंत से काफी बढ़ चुका है, जब औसतन यह 70:1 हुआ करता था। आजकल, यह रेशियो करीब 91:1 है, क्योंकि सोने की कीमत लगभग 3,030 यूएस डॉलर है और चांदी की कीमत 33 डॉलर के आस-पास है।
इसका मतलब यह है कि चांदी अब भी सस्ती है और इसकी कीमत में वृद्धि का संभावना है। इसका अर्थ यह है कि या तो चांदी की कीमत तेजी से बढ़ेगी, या फिर सोने की कीमत घटेगी या स्थिर रहेगी, ताकि गोल्ड-सिल्वर रेशियो अपने दीर्घकालिक औसत 70:1 के करीब पहुंच सके
आने वाले दिनों में सोना होगा और भी मजबूत
हमारे देश में सोने को हमेशा ही भरोसेमंद और मजबूत जरिया माना जाता है जिसमें हम निवेश करने में दिलचस्पी दिखाते हैं। सोने में निवेश उस समय ज्यादा बढ़ जाता है महंगाई बढ़ रही हो। हाल के सालों में, दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने हर साल रिकॉर्ड 1,000 टन से अधिक सोने की खरीदारी करने लगे हैं। साथ ही, ट्रम्प की टैरिफ नीतियां भौगोलिक क्षेत्रों में आर्थिक अनिश्चितताएं पैदा कर रही हैं। पहले से ही, अमेरिका में मंदी की चर्चा जोरों पर हैं। अगर अनिश्चितता बढ़ती है और आर्थिक विकास कमजोर होता है, तो अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जिससे डॉलर कमजोर होगा और सोने की कीमतें बढ़ सकती हैं।
दोनों धातुओं में लंबे समय का निवेश दिलाएगा लाभ
यदि आप अभी भी सोने और चांदी में निवेश करना चाहते हैं तो आप यह निवेश छोटी अवधि के लिए न करके लंबी अवधि के लिए करें। ऐसा करने से आपको अच्छा और मोटा रिटर्न मिलने की ज्यादा संभावना बनेगी। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यदि आप इन दोनों में से किसी भी धातु में निवेश करने जा रहे हैं तो कम से कम 10 से 15 वर्ष की अवधि मानकर निवेश करें। ऐसा इसलिए भी है कि आप पिछले 15 साल में सोने और चांदी का भाव देंख लें और आज का भी भाव देख लें आपको पता चल जाएगा की इन धातुओं में निवेश सुरक्षित होने के साथ-साथ कितना फायदेमंद भी रहेगा।
ये भी पढ़ें : Business News Update : टैरिफ वार की आहट में भारत की खास उपलब्धि
ये भी पढ़ें : Train travel in India : भारत में यातायात का सस्ता व सुगम माध्यम है रेल : वैष्णव