- गोबर गैस प्लांट से साल में करीब 30 हजार की होगी बचत
- 12 हजार मिलेगी सब्सिडी
नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की टीम ने आज गांव ताजीपुर के किसान सुरेश के घर में लगाए गए गोबर गैस प्लांट का जायजा लिया। गांव ताजीपुर के किसान सुरेश ने अपने घर पर लगवाए गोबर गैस प्लांट की स्थापना से उन्हें अब काफी फायदा हो रहा है। इससे वह काफी उत्साहित है। गोबर गैस की स्थापना से उनको न शहर से गैस सिलेंडर खरीदने की जरूरत और न ही फसलों के लिए डीएपी व यूरिया खाद खरीदने की चिंता।
उत्साह से लबरेज प्रगतिशील किसान सुरेश बताते हैं कि गोबर गैस की स्थापना ने उनकी जिंदगी जीने का स्टाइल ही बदल दिया। मसलन अब वे साल में करीब 30 हजार की बचत कर रहे हैं। साथ ही कृषि विभाग से उनको 12 हजार अनुदान भी मिल गया है।
सहायक कृषि अभियंता इंजीनियर डीएस यादव ने बताया कि गोबर गैस प्लांट किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस से न सिर्फ कुकिंग गैस मिलती है बल्कि इस से निकली सलरी बेहतरीन खाद का काम करती है। उन्होंने बताया कि हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की और से 3 घन मीटर गोबर गैस प्लांट स्थापित करवाने पर 12 हजार रुपए सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने बताया कि यदि किसान गोबर गैस प्लांट को शौचालय से जुड़वा लेता है तो अलग से 1200 रुपए का अनुदान दिया जाता है।
गोबर गैस प्लांट के लिए सुरेश को ऐसी मिली प्रेरणा
किसान सुरेश यादव ने बताया कि शहर से गैस सिलेंडर लाना उनके लिए एक मुसीबत बन गयी थी और दिनों दिन गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतें उनके लिए अलग से परेशानी का सबब बन गयी थी। समाचार पत्रों में एक दिन अटेली गांव के एक किसान की कहानी प्रकाशित करवाई जिसमें गोबर गैस प्लांट से किसान को होने वाले लाभों को दर्शाया गया था । इस से प्रेरित होकर गोबर गैस प्लांट की स्थापना के लिए नारनौल के सहायक कृषि अभियंता कार्यालय में संपर्क किया।
अब गैस सिलेंडर खरीदने की जरूरत नहीं
किसान सुरेश बताते हैं कि उनके पास महज 2 एकड़ जमीन है और तीन चार पशु हैं। पशुओं का खाना बनाने एवं परिवार का खाना बनाने के लिए साल मे करीब 15 से 16 गैस सिलेंडर की खपत औसतन हो जाती थी। इससे साल में 16 से 17 हजार का खर्च हो जाता था। अब इसकी कोई जरूरत नहीं रही। अब रसोई का सारा काम गोबर गैस प्लांट से मिलने वाली गैस से हो जाता है। पशुओं का चाट भी इसी गैस से पकाया जाता है । वे औसतन 20 से 30 किलो गोबर सलरी बनाकर गोबर गैस प्लांट में डाल देते हैं।
गोबर गैस प्लांट से यूरिया व डीएपी खाद का विकल्प भी मिल गया
किसान सुरेश बताते हैं कि गोबर गैस प्लांट लगवाने से पहले वे यूरिया व डीएपी खाद पर साल में करीब 5 हजार रुपये खर्च हो जाते थे। अब ये खर्च भी बच गया है। अब वे खेत में गोबर गैस प्लांट से निकला हुआ खाद डालते हैं जिस से फसल भी बेहतर होती है और प्राकृतिक तरीके से जमीन की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहती है। गोबर गैस प्लांट से मिले खाद की गुणवत्ता बेमिसाल है। सबसे खास बात यह है कि जहां ये खाद डाली जाती है वहां फसल में खरपतवार पैदा नहीं होते।
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