Go-Green Campaign
संजीव कौशिक, रोहतक:
पर्यावरण को समर्पित कुछ कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने आधे दिन का अवकाश लेकर पांच घंटे से ज्यादा समय तक श्रमदान करके वटवृक्ष को बचाने का काम किया। ह्सुनो नहरों की पुकारह् मिशन और गो-ग्रीन कैंपन से डॉ. जसमेर सिंह और दीपक छारा ने बताया कि झज्जर रोड पर गांव मायना वाले नहरी पुल के पास वर्षों पुराना वटवृक्ष लगा हुआ है।
दो दिन पहले अंधविश्वासियों ने लगा दी थी आग Go-Green Campaign
इसके आसपास पुराने कपड़े, पुरानी खंडित मूर्तियां, शीशे की मूर्तियां, टूटे गिलास, प्लास्टिक की थैलियां व अन्य पूजा-पाठ का सामान गिरा हुआ था तथा दो दिन पहले अंध विश्वासी सज्जन द्वारा इसकी मूल जड़ों में आग लगा दी। जिससे पेड़ की जड़ें व तना आधे से ज्यादा जले हुए थे। इस वटवृक्ष के जीर्णाेद्वार को लेकर कई पर्यावरणविद् वहां पर इकट्ठे हुए और उन्होंने अपने कार्यालय से मंगलवार को आधे दिन का अवकाश लेकर लगभग पांच घंटे तक वटवृक्ष के आसपास सफाई की। वहीं कई मिट्टी की ट्रॉलियां मंगलवार बोरियां में रेत भरकर उसके आसपास दीवार रूपी चबूतरा तैयार किया। बुधवार सुबह टहलने को निकले शहरवासी और ग्रामीण वहां सेल्फी लेते दिखाई दिए।
नेक काम में इन लोगों ने दिया साथ Go-Green Campaign
इस स्वच्छता और वटवृक्ष को बचाने के मिशन में डॉ. जसमेर सिंह, दीपक छारा, पर्यावरणविद् मुकेश नानकवाल पांच एसआर, ओ-पॉजीटिव रक्तवीर अजय हुड्डा, शमशेर सुरहेती, स्टेट अवार्डी शिक्षिका स्वीटी मलिक, एडवोकेट मोनिका सिंह, सीएमओ आॅफिस से डॉ. देवेंद्र संभरवाल, विकास, हेल्थ इंस्पेक्टर रविंद्र मलिक, वन विभाग से सुखविंद्र, रक्तदानी हितेश जाखड़, जतिन, आरडब्ल्यूए प्रवीन सहगल, प्रदीप सहगल, शैलेंद्र शर्मा ने श्रमदान किया।
सहायक प्रोफेसर ने रखी अपनी बात
जाट कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉ. जसमेर सिंह ने बताया कि नहरों के आसपास इकट्ठा की गई 2000 से ज्यादा प्लास्टिक की थैलियों को 15 से ज्यादा दो लीटर की प्लास्टिक की बोतलों में भरा गया था, को भी इस वटवृक्ष की दीवार में प्रयोग किया गया। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक की थैलियों को बोतलों में भरकर ईंटों की तरह प्रयोग करके पर्यावरण को प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से बचाया जा सकता है।
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