आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली,(Global Millets Conference): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि मिलेट्स यानी श्री अन्न: (मोटा अनाज) भारत में समग्र विकास का माध्यम बन रहा है। उन्होंने कहा, इसमें गांव और गरीब भी जुड़ा है। पीएम ने शनिवार को नई दिल्ली में होने वाली ग्लोबल मिलेट्स (मोटा अनाज) कांफ्रेंस का शुभारंभ करते हुए ये बातें कहीं। देश कके 75 लाख से ज्यादा किसान वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़े थे। दिल्ली के इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर (आईएआरआईक) कैंपस में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 पर एक डाक टिकट और सिक्के का भी अनावरण किया। इसी के साथ उन्होने बायर सेलर मीट और प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया ग्लोबल मिलेट्स कांफ्रेंस का शुभारंभ
- डाक टिकट व सिक्के का भी अनावरण, मिलेट्स से जुड़ा है गांव और गरीब
कार्यक्रम में 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के प्रस्ताव और प्रयासों के बाद ही संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है। जब विश्व अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मना रहा है तब भारत इस अभियान की अगुआई कर रहा है। ग्लोबल मिलेट्स कांफ्रेंस इसी दिशा का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह के आयोजन न केवल वैश्विक भलाई के लिए जरूरी हैं, बल्कि वैश्विक भलाई में भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का भी प्रतीक हैं। कार्यक्रम में 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह 19 मार्च को खत्म होगा। इसके मद्देनजर यह साल भारत के लिए बहुत ही अहम माना जा रहा है, क्योंकि भारत 2023 में जी20 की मेजबानी कर रहा है। सरकार ने मिलेट्स को जी20 बैठकों का भी एक हिस्सा बनाया है।
मोटे अनाज को दी गई फ्री अन्न की पहचान
पीएम मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मोटे अनाज को फ्री अन्न की पहचान दी गई है। यह खेती केवल खाने तक सीमित नहीं है। जो लोग भारत की परंपराओं से परिचित हैं, वे यह भी जानते हैं कि किसी के आगे ‘श्री’ ऐसे ही नहीं जुड़ता है, जहां ‘श्री’ होती है, वहां ‘समृद्धि’ भी होती है, ‘समग्रता’ भी होती है। उन्होंने श्री अन्न का अलग-अलग मतलब भी समझाया। पीएम ने कहा, श्री अन्न यानी देश के छोटे किसानों की समृद्धि का द्वार, करोड़ों लोगों के पोषण का कर्णधार, देश के आदिवासी समाज का सत्कार, कम पानी में ज्यादा फसल की पैदावार, केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार व श्री अन्न क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटने में मददगार है।
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