(Ghaziabad News) गाजियाबाद। देश को स्वस्थ व समृद्ध बनाने में परिवार नियोजन की अहम भूमिका है। सीमित संसाधनों के समुचित उपयोग की दृष्टि से भी सीमित परिवार के बड़े फायदे हैं। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. भवतोष शंखधर ने कहीं। उन्होंने बताया- इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सकल प्रजनन दर कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण के तहत इसे 2.1 पर लाने की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है और यह आम आदमी की जागरूकता से ही सम्भव है।
“विकसित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दम्पति की शान” स्लोगन पर इस साल मनाया जाएगा विश्व जनसंख्या दिवस
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने सकल प्रजनन दर में कमी लाने के उद्देश्य से ही इस साल के विश्व जनसँख्या दिवस (11 जुलाई) का नारा दिया है-“विकसित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दम्पति की शान।” इसके साथ ही इस विशेष दिवस की थीम- माँ और बच्चे की सेहत के लिए गर्भधारण का सही समय और अंतर” तय की गयी है। इसके तहत परिवार कल्याण कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुँचाने और सेवाओं का लाभ उठाने के लिए एक महीने का विशेष अभियान प्रदेश भर में चलाया जा रहा है। इसके तहत 10 जुलाई तक कम्युनिटी मोबिलाइजेशन पखवारा मनाया जा रहा है। इसके तहत सारथी वाहन के माध्यम से जनपद से लेकर ब्लाक स्तर तक परिवार कल्याण कार्यक्रमों और परिवार नियोजन साधनों के प्रति जागरूकता लायी जा रही है। सास बेटा बहू सम्मेलन के माध्यम से परिवार नियोजन की उपयोगिता के बारे में समझाया जा रहा है और बच्चों के जन्म के बीच पर्याप्त अंतर रखने के फायदे समझाए जा रहे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया कैम्पेन के जरिये भी जागरूकता की अलख जगाई जा रही है। आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से भी लक्ष्य दम्पति की बास्केट ऑफ़ च्वाइस के बारे में काउंसिलिंग की जा रही है। इसके बाद 11 से 24 जुलाई तक सेवा प्रदायगी पखवारा चलाया जाएगा, जिसके जरिये लोगों को परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी साधनों की सेवाएं प्रदान की जाएंगी। पखवारे के दौरान सेवा प्रदाताओं के कठिन परिश्रम, नवाचारों आदि के लिए पुरस्कृत और सम्मानित भी किया जाएगा।
10 जुलाई तक कम्युनिटी मोबिलाइजेशन पखवाड़ा
पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल -इंडिया (पीएसआई-इंडिया) के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर मुकेश कुमार शर्मा का कहना है कि सरकार के “बास्केट ऑफ़ च्वाइस” में तमाम अस्थायी व स्थायी गर्भनिरोधक साधनों की मौजूदगी के बाद भी अनचाहे गर्भधारण की स्थिति किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं प्रतीत होती, क्योंकि इसके चलते असुरक्षित गर्भपात जोखिम भरा होता है। जल्दी-जल्दी गर्भधारण करना मातृ एवं शिशु के स्वास्थ्य के लिए भी सही नहीं होता। इस तरह गर्भ निरोधक साधनों को अपनाकर जहाँ महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है वहीँ मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है। स्वास्थ्य केन्द्रों पर परिवार नियोजन किट (कंडोम बॉक्स) की भी व्यवस्था की गयी है ताकि पुरुषों को बिना झिझक वहां से कंडोम या अन्य परिवार नियोजन के साधन प्राप्त करने में आसानी हो। इसमें कंडोम के साथ प्रेगनेंसी चेकअप किट और आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों को भी शामिल किया गया है। इसमें पुरुषों खासकर पति और परिवार का पूर्ण सहयोग मिले तो इस जोखिम से बचा जा सकता है, क्योंकि सकल प्रजनन दर में कमी लाकर ही विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है ।
क्या कहते हैं आंकड़े :
छोटे परिवार के बड़े फायदे को लेकर समुदाय में अनवरत जागरूकता अभियान चलाने का असर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में भी स्पष्ट देखा जा सकता है। 2015-16 में हुए सर्वेक्षण-4 में प्रदेश की सकल प्रजनन दर जहाँ 2.7 थी वहीँ 2019-21 में हुए सर्वेक्षण-5 में यह घटकर 2.4 पर पहुँच गयी। अब सरकार से लेकर स्वास्थ्य विभाग व सहयोगी संस्थाओं की हरसंभव कोशिश है कि अन्य राज्यों की भांति उत्तर प्रदेश की सकल प्रजनन दर को भी 2.1 या उससे कम किया जाए।
परिवार नियोजन के उपलब्ध साधन :
परिवार नियोजन के स्थायी साधन के रूप में जहाँ पुरुष व महिला नसबंदी की सेवा उपलब्ध है वहीँ अस्थायी साधन के रूप में त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा, साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली छाया, प्रसव पश्चात इंट्रायूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी), गर्भपात पश्चात इंट्रायूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीएआईयूसीडी), कॉपर टी, माला-एन, आकस्मिक गर्भनिरोधक गोली (ईसीपी) और कंडोम की सुविधा उपलब्ध है।