***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनांक:-27/11/2022, रविवार
चतुर्थी, शुक्ल पक्ष,
मार्गशीर्ष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मिथुन
किसी जानकार प्रबुद्ध व्यक्ति का सहयोग प्राप्त होने के योग हैं। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। किसी राजनयिक का सहयोग मिल सकता है। लाभ के दरवाजे खुलेंगे। चोट व दुर्घटना से बचें। व्यस्तता रहेगी। थकान व कमजोरी महसूस होगी। विवाद से बचें। धन प्राप्ति होगी। प्रमाद न करें।
तिथि———– चतुर्थी 16:24:54 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——– पूर्वाषाढा 12:37:16
योग————- गण्ड 21:32:06
करण——- विष्टि भद्र 16:24:54
करण————– बव 26:57:48
वार———————— रविवार
माह———————- मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि——– धनु 18:03:38
चन्द्र राशि—————— मकर
सूर्य राशि—————— वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)———————नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2079
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:50:25
सूर्यास्त—————- 17:22:59
दिन काल————- 10:32:34
रात्री काल————- 13:28:11
चंद्रोदय—————- 10:23:18
चंद्रास्त—————- 20:49:56
लग्न—- वृश्चिक 10°35′ , 220°35′
सूर्य नक्षत्र—————– अनुराधा
चन्द्र नक्षत्र—————- पूर्वाषाढा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
पद, चरण
फा—- पूर्वाषाढा 07:11:36
ढा—- पूर्वाषाढा 12:37:16
भे—- उत्तराषाढा 18:03:38
भो—- उत्तराषाढा 23:30:49
जा—- उत्तराषाढा 28:58:55
ग्रह गोचर
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृश्चिक 10 :29 अनुराधा , 3 नू
चन्द्र =धनु 23°23, ज्येष्ठा , 3 फा
बुध =वृश्चिक 20 ° 34′ ज्येष्ठा ‘2 या
शुक्र=वृश्चिक 19°05, ज्येष्ठा ‘ 1 नो
मंगल=वृषभ 26°30 ‘ मृगशिरा’ 1 नो
गुरु=मीन 04°30 ‘ उ o भा o, 1 दू
शनि=मकर 25°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 17°50 भरणी , 2 लू
केतु=(व) तुला 17°50 विशाखा , 4 ता
शुभा$शुभ मुहूर्त
राहू काल 16:04 – 17:23 अशुभ
यम घंटा 12:07 – 13:26 अशुभ
गुली काल 14:45 – 16:04 अशुभ
अभिजित 11:46 – 12:28 शुभ
दूर मुहूर्त 15:59 – 16:41 अशुभ
वर्ज्यम 19:53 – 21:20 अशुभ
चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:50 – 08:09 अशुभ
चर 08:09 – 09:29 शुभ
लाभ 09:29 – 10:48 शुभ
अमृत 10:48 – 12:07 शुभ
काल 12:07 – 13:26 अशुभ
शुभ 13:26 – 14:45 शुभ
रोग 14:45 – 16:04 अशुभ
उद्वेग 16:04 – 17:23 अशुभ
चोघडिया, रात
शुभ 17:23 – 19:04 शुभ
अमृत 19:04 – 20:45 शुभ
चर 20:45 – 22:26 शुभ
रोग 22:26 – 24:07* अशुभ
काल 24:07* – 25:48* अशुभ
लाभ 25:48* – 27:29* शुभ
उद्वेग 27:29* – 29:10* अशुभ
शुभ 29:10* – 30:51* शुभ
होरा, दिन
सूर्य 06:50 – 07:43
शुक्र 07:43 – 08:36
बुध 08:36 – 09:29
चन्द्र 09:29 – 10:21
शनि 10:21 – 11:14
बृहस्पति 11:14 – 12:07
मंगल 12:07 – 12:59
सूर्य 12:59 – 13:52
शुक्र 13:52 – 14:45
बुध 14:45 – 15:38
चन्द्र 15:38 – 16:30
शनि 16:30 – 17:23
होरा, रात
बृहस्पति 17:23 – 18:30
मंगल 18:30 – 19:38
सूर्य 19:38 – 20:45
शुक्र 20:45 – 21:52
बुध 21:52 – 22:59
चन्द्र 22:59 – 24:07
शनि 24:07* – 25:14
बृहस्पति 25:14* – 26:22
मंगल 26:22* – 27:29
सूर्य 27:29* – 28:36
शुक्र 28:36* – 29:44
बुध 29:44* – 30:51
उदयलग्न प्रवेशकाल
वृश्चिक > 05:08 से 07:34 तक
धनु > 07:34 से 10:00 तक
मकर > 10:00 से 11:38 तक
कुम्भ > 11:38 से 13:08 तक
मीन > 13: 08 से 13: 40 तक
मेष > 13: 40 से 15:14 तक
वृषभ > 15:14 से 18:00 तक
कर्क > 18:00 से 22:30 तक
सिंह > 22:30 से 00:42 तक
कन्या > 00:42 से 03:00 तक
तुला > 03:00 से 05:19 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय) संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
4 + 1 + 1 = 6 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
ग्रह मुख आहुति ज्ञान
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
बुध ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
4 + 4 + 5 = 13 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां= शोक , दुःख कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
सांय 16:24 तक समाप्त
पाताल लोक = धन लाभ कारक
विशेष जानकारी
वैनायकी चतुर्थी व्रत
सर्वार्थ सिद्धि 12:37 से
शुभ विचार
सर्वौषधीनाममृतं प्रधानम्
सर्वेषु सौख्येष्वशनं प्रधानम् ।
सर्वेन्द्रियाणां नयनं प्रधानं
सर्वेषु गात्रेषु शिरः प्रधानम्।।
।। चा o नी o।।
अमृत सबसे बढ़िया औषधि है.
इन्द्रिय सुख में अच्छा भोजन सर्वश्रेष्ठ सुख है.
नेत्र सभी इन्द्रियों में श्रेष्ठ है.
मस्तक शरीर के सभी भागो मे श्रेष्ठ है.
सुभाषितानि
गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11
यथा प्रदीप्तं ज्वलनं पतंगाविशन्ति नाशाय समृद्धवेगाः ।,
तथैव नाशाय विशन्ति लोकास्तवापि वक्त्राणि समृद्धवेगाः ॥,
जैसे पतंग मोहवश नष्ट होने के लिए प्रज्वलित अग्नि में अतिवेग से दौड़ते हुए प्रवेश करते हैं, वैसे ही ये सब लोग भी अपने नाश के लिए आपके मुखों में अतिवेग से दौड़ते हुए प्रवेश कर रहे हैं॥,29॥,
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