***|| जय श्री राधे ||***
** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-27/07/2022, बुधवार
चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मिथुन
आज का दिन आपके लिए खर्चा भरा रहेगा। आप अपने बढ़ते हुए खर्चों को लेकर परेशान रहेंगे। संतान की फिजूल खर्चे की आदत पर आपको लगाम लगानी होगी। राज्य से प्रसन्नता रहेगी। कोई बड़ा काम हो सकता है। नई योजना बनेगी। नया उपक्रम प्रारंभ हो सकता है। सामाजिक कार्य करने का अवसर मिलेगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। कोई नई समस्या आ सकती है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। कोई नई समस्या आ सकती है। व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें। कुछ क्रियाकलापों में भी व्यवधान आ सकते हैं, लेकिन परिवार में किसी सदस्य को आज विदेश से नौकरी का ऑफर आ सकता है,जो आपकी प्रसन्नता का कारण बनेगा। जो लोग सरकारी नौकरी में कार्यरत है, उन्हें महिला मित्रों से सावधान रहना होगा,नहीं तो वह उनके बनते हुए कामों को बिगाड़ने की कोशिश कर सकती है।
तिथि———- चतुर्दशी 21:11:10 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— पुनर्वसु 31:03:29
योग———— हर्शण 17:04:35
करण——- विष्टि भद्र 07:59:59
करण———- शकुनी 21:11:10
वार———————— बुधवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—— मिथुन 24:20:45
चन्द्र राशि——————– कर्क
सूर्य राशि———————कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर) ———————-नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत ————————1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:40:55
सूर्यास्त————— 19:10:15
दिन काल————- 13:29:19
रात्री काल————- 10:31:12
चंद्रोदय—————- 06:00:07
चंद्रास्त—————- 18:32:53
लग्न—- कर्क 9°49′ , 99°49′
सूर्य नक्षत्र——————– पुष्य
चन्द्र नक्षत्र—————— पुनर्वसु
नक्षत्र पाया——————- रजत
**** पद, चरण ****
के—- पुनर्वसु 10:53:01
को—- पुनर्वसु 17:37:14
हा—- पुनर्वसु 24:20:45
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=कर्क 09:12 पुष्य , 2 हे
चन्द्र = मिथुन 20 °23, पुनर्वसु , 1 के
बुध =कर्क 20 ° 07′ आश्लेषा ‘ 2 डू
शुक्र=मिथुन 16°05, आर्द्रा ‘ 3 ड
मंगल=मेष 20°30 ‘ भरणी ‘ 3 ले
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°20’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°20 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 12:26 – 14:07 अशुभ
यम घंटा 07:22 – 09:03 अशुभ
गुली काल 10:44 – 12: 26अशुभ
अभिजित 11:59 – 12:53 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:59 – 12:53 अशुभ
****चोघडिया, दिन
लाभ 05:41 – 07:22 शुभ
अमृत 07:22 – 09:03 शुभ
काल 09:03 – 10:44 अशुभ
शुभ 10:44 – 12:26 शुभ
रोग 12:26 – 14:07 अशुभ
उद्वेग 14:07 – 15:48 अशुभ
चर 15:48 – 17:29 शुभ
लाभ 17:29 – 19:10 शुभ
****चोघडिया, रात
उद्वेग 19:10 – 20:29 अशुभ
शुभ 20:29 – 21:48 शुभ
अमृत 21:48 – 23:07 शुभ
चर 23:07 – 24:26* शुभ
रोग 24:26* – 25:45* अशुभ
काल 25:45* – 27:04* अशुभ
लाभ 27:04* – 28:23* शुभ
उद्वेग 28:23* – 29:41* अशुभ
**** होरा, दिन
बुध 05:41 – 06:48
चन्द्र 06:48 – 07:56
शनि 07:56 – 09:03
बृहस्पति 09:03 – 10:11
मंगल 10:11 – 11:18
सूर्य 11:18 – 12:26
शुक्र 12:26 – 13:33
बुध 13:33 – 14:40
चन्द्र 14:40 – 15:48
शनि 15:48 – 16:55
बृहस्पति 16:55 – 18:03
मंगल 18:03 – 19:10
**** होरा, रात
सूर्य 19:10 – 20:03
शुक्र 20:03 – 20:55
बुध 20:55 – 21:48
चन्द्र 21:48 – 22:41
शनि 22:41 – 23:33
बृहस्पति 23:33 – 24:26
मंगल 24:26* – 25:18
सूर्य 25:18* – 26:11
शुक्र 26:11* – 27:04
बुध 27:04* – 27:56
चन्द्र 27:56* – 28:49
शनि 28:49* – 29:41
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
कर्क > 04:06 से 06:22 तक
सिंह > 06:22 से 08:32 तक
कन्या > 08:32 से 10:42 तक
तुला > 10:42 से 12:57 तक
वृश्चिक > 12:57 से 15:12 तक
धनु > 15:12 से 17:32 तक
मकर > 17:32 से 19:15 तक
कुम्भ > 19:15 से 20:48 तक
मीन > 20:48 से 21:22 तक
मेष > 21:22 से 11:54 तक
वृषभ > 11:54 से 01:46 तक
मिथुन > 01:46 से 04:06 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 14 + 4 + 1 = 34 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
29 + 29 + 5 = 63 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 07:59 तक
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
**** विशेष जानकारी ****
* मास शिवरात्रि व्रत
**** शुभ विचार ****
अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम् ।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृध्दस्य तरुणी विषम् ।।
।। चा o नी o।।
जिस अध्यात्मिक सीख का आचरण नहीं किया जाता वह जहर है. जिसका पेट ख़राब है उसके लिए भोजन जहर है. निर्धन व्यक्ति के लिए लोगो का किसी सामाजिक या व्यक्तिगत कार्यक्रम में एकत्र होना जहर है.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
यया धर्ममधर्मं च कार्यं चाकार्यमेव च।,
अयथावत्प्रजानाति बुद्धिः सा पार्थ राजसी॥,
हे पार्थ! मनुष्य जिस बुद्धि के द्वारा धर्म और अधर्म को तथा कर्तव्य और अकर्तव्य को भी यथार्थ नहीं जानता, वह बुद्धि राजसी है॥,31॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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