***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 26/10/2022, बुधवार
प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष,
कार्तिक
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मिथुन
डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। यात्रा लाभदायक रहेगी। किसी बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। व्यवसाय में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। किसी अपने का व्यवहार दु:ख पहुंचाएगा। कानूनी समस्या हो सकती है।
तिथि———- प्रतिपदा 14:41:33 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———– स्वाति 13:23:12
योग————- प्रीति 10:06:38
करण————– बव 14:41:33
करण————बालव 25:45:18
वार———————— बुधवार
माह———————- कार्तिक
चन्द्र राशि——————– तुला
सूर्य राशि——————— तुला
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————– नल
विक्रम संवत————— 2079
गुजराती संवत————– 2079
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:26:50
सूर्यास्त—————- 17:39:04
दिन काल————- 11:12:14
रात्री काल————- 12:48:24
चंद्रास्त—————- 18:20:17
चंद्रोदय—————- 30:46:01
लग्न—- तुला 8°25′ , 188°25′
सूर्य नक्षत्र—————— स्वाति
चन्द्र नक्षत्र—————— स्वाति
नक्षत्र पाया——————-रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
रो—- स्वाति 07:38:32
ता—- स्वाति 13:23:12
ती—- विशाखा 19:06:32
तू—- विशाखा 24:48:40
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=तुला 08 :29 चित्रा , 1 रू
चन्द्र =तुला 15 °23, स्वाति , 3 रो
बुध =कन्या 29 ° 34′ चित्रा ‘2 पो
शुक्र=तुला 09°05, स्वाति ‘ 1 रू
मंगल=मिथुन 01°30 ‘ मृगशिरा’ 3 का
गुरु=मीन 05°30 ‘ उ o भा o, 1 दू
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 19°40 भरणी , 2 लू
केतु=(व) तुला 19°40 विशाखा , 4 ता
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल 12:03 – 13:27 अशुभ
यम घंटा 07:51 – 09:15 अशुभ
गुली काल 10:39 – 12:03 अशुभ
अभिजित 11:41 – 12:25 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:41 – 12:25 अशुभ
वर्ज्यम 18:44 – 20:15 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 06:27 – 07:51 शुभ
अमृत 07:51 – 09:15 शुभ
काल 09:15 – 10:39 अशुभ
शुभ 10:39 – 12:03 शुभ
रोग 12:03 – 13:27 अशुभ
उद्वेग 13:27 – 14:51 अशुभ
चर 14:51 – 16:15 शुभ
लाभ 16:15 – 17:39 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 17:39 – 19:15 अशुभ
शुभ 19:15 – 20:51 शुभ
अमृत 20:51 – 22:27 शुभ
चर 22:27 – 24:03* शुभ
रोग 24:03* – 25:39* अशुभ
काल 25:39* – 27:15* अशुभ
लाभ 27:15* – 28:51* शुभ
उद्वेग 28:51* – 30:27* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 06:27 – 07:23
चन्द्र 07:23 – 08:19
शनि 08:19 – 09:15
बृहस्पति 09:15 – 10:11
मंगल 10:11 – 11:07
सूर्य 11:07 – 12:03
शुक्र 12:03 – 12:59
बुध 12:59 – 13:55
चन्द्र 13:55 – 14:51
शनि 14:51 – 15:47
बृहस्पति 15:47 – 16:43
मंगल 16:43 – 17:39
🚩होरा, रात
सूर्य 17:39 – 18:43
शुक्र 18:43 – 19:47
बुध 19:47 – 20:51
चन्द्र 20:51 – 21:55
शनि 21:55 – 22:59
बृहस्पति 22:59 – 24:03
मंगल 24:03* – 25:07
सूर्य 25:07* – 26:11
शुक्र 26:11* – 27:15
बुध 27:15* – 28:19
चन्द्र 28:19* – 29:23
शनि 29:23* – 30:27
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
तुला > 04:50 से 07:02 तक
वृश्चिक > 07:02 से 09:22 तक
धनु > 09:22 से 11:52 तक
मकर > 11:52 से 13:30 तक
कुम्भ > 13:30 से 15:00 तक
मीन > 15:00 से 15:32 तक
मेष > 15:32 से 17:06 तक
वृषभ > 17:06 से 19:52 तक
कर्क > 19:52 से 00:22 तक
सिंह > 00:22 से 02:40 तक
कन्या > 02:40 से 04:42 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
1 + 4 + 1 = 6 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
1 + 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
*गोवर्धन पूजन (अन्नकूट)
* गौक्रिडा
* गुर्जराणां नूतन वर्षारंभ
* जैन संवत्सर आरम्भ
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
एकोदरसमुद् भूता एकनक्षत्रजातकाः ।
न भवन्ति समाः शीला यथा बदरिकण्टकाः ।।
।। चा o नी o।।
अनेक व्यक्ति जो एक ही गर्भ से पैदा हुए है या एक ही नक्षत्र में पैदा हुए है वे एकसे नहीं रहते. उसी प्रकार जैसे बेर के झाड के सभी बेर एक से नहीं रहते.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: भक्तियोग अo-12
यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च यः।,
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो यः स च मे प्रियः॥,
जिससे कोई भी जीव उद्वेग को प्राप्त नहीं होता और जो स्वयं भी किसी जीव से उद्वेग को प्राप्त नहीं होता तथा जो हर्ष, अमर्ष (दूसरे की उन्नति को देखकर संताप होने का नाम ‘अमर्ष’ है), भय और उद्वेगादि से रहित है वह भक्त मुझको प्रिय है॥,15॥,
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