***|| जय श्री राधे ||***
** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 26/07/2022, मंगलवार
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मिथुन
आज का दिन आपके लिए विशेष रूप से फलदायक रहेगा। आपको व्यर्थ की मान सम्मान की इच्छा के कार्य को करने से बचना होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। शोक संदेश मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। किसी के उकसाने में न आएं। व्यस्तता रहेगी। थकान व कमजोरी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आपका समय तेजी से आगे बढ़ेगा और आपकी अप्रत्याशित उन्नति देखकर सभी हैरान रहेंगे। नौकरी कर रहे लोगों को कोई ऐसा कार्य सौंपा जाएगा,जो उन्हें अत्यधिक प्रिय होगा। आपको कार्यक्षेत्र में भी कोई उपलब्धि हाथ लग सकती हैं। आज आपकी बातों से आपको जानबूझकर किसी का दिल दुखाने से बचना होगा। संतान की धार्मिक कार्य के प्रति रुचि बढ़ी देख आपका मन प्रसन्न रहेगा।
तिथि———- त्रयोदशी 18:46:21 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– आर्द्रा 28:08:11
योग———- व्याघात 16:05:21
करण———– वणिज 18:46:21
वार———————– मंगलवार
माह————————-श्रावण
चन्द्र राशि—————— मिथुन
सूर्य राशि——————– कर्क
रितु—————————-वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर) ———————-नल
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शक संवत——————-1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:40:23
सूर्यास्त—————- 19:10:48
दिन काल————- 13:30:24
रात्री काल————–10:30:07
चंद्रास्त—————- 17:44:34
चंद्रोदय—————- 28:03:00
लग्न—- कर्क 8°52′ , 98°52′
सूर्य नक्षत्र——————– पुष्य
चन्द्र नक्षत्र——————- आर्द्रा
नक्षत्र पाया——————- रजत
**** पद, चरण ****
कु—- आर्द्रा 07:50:48
घ—- आर्द्रा 14:36:58
ङ—- आर्द्रा 21:22:48
छ—- आर्द्रा 28:08:11
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=कर्क 08:12 पुष्य , 2 हे
चन्द्र = मिथुन 08 °23, आर्द्रा , 1 कु
बुध =कर्क 18 ° 07′ आश्लेषा ‘ 1 डी
शुक्र=मिथुन 15°05, आर्द्रा ‘ 3 ड
मंगल=मेष 19°30 ‘ भरणी ‘ 2 लू
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°30’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°30 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 15:48 – 17:30 अशुभ
यम घंटा 09:03 – 10:44 अशुभ
गुली काल 12:26 – 14:07 अशुभ
अभिजित 11:59 – 12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 08:22 – 09:17 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:23 – 24:17* अशुभ
****चोघडिया, दिन
रोग 05:40 – 07:22 अशुभ
उद्वेग 07:22 – 09:03 अशुभ
चर 09:03 – 10:44 शुभ
लाभ 10:44 – 12:26 शुभ
अमृत 12:26 – 14:07 शुभ
काल 14:07 – 15:48 अशुभ
शुभ 15:48 – 17:30 शुभ
रोग 17:30 – 19:11 अशुभ
****चोघडिया, रात
काल 19:11 – 20:30 अशुभ
लाभ 20:30 – 21:48 शुभ
उद्वेग 21:48 – 23:07 अशुभ
शुभ 23:07 – 24:26* शुभ
अमृत 24:26* – 25:45* शुभ
चर 25:45* – 27:03* शुभ
रोग 27:03* – 28:22* अशुभ
काल 28:22* – 29:41* अशुभ
**** होरा, दिन
मंगल 05:40 – 06:48
सूर्य 06:48 – 07:55
शुक्र 07:55 – 09:03
बुध 09:03 – 10:11
चन्द्र 10:11 – 11:18
शनि 11:18 – 12:26
बृहस्पति 12:26 – 13:33
मंगल 13:33 – 14:41
सूर्य 14:41 – 15:48
शुक्र 15:48 – 16:56
बुध 16:56 – 18:03
चन्द्र 18:03 – 19:11
**** होरा, रात
शनि 19:11 – 20:03
बृहस्पति 20:03 – 20:56
मंगल 20:56 – 21:48
सूर्य 21:48 – 22:41
शुक्र 22:41 – 23:33
बुध 23:33 – 24:26
चन्द्र 24:26* – 25:18
शनि 25:18* – 26:11
बृहस्पति 26:11* – 27:03
मंगल 27:03* – 27:56
सूर्य 27:56* – 28:48
शुक्र 28:48* – 29:41
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
कर्क > 04:10 से 06:26 तक
सिंह > 06:26 से 08:36 तक
कन्या > 08:36 से 10:46 तक
तुला > 10:46 से 13:01 तक
वृश्चिक > 13:01 से 15:16 तक
धनु > 15:16 से 17:36 तक
मकर > 17:36 से 19:17 तक
कुम्भ > 19:17 से 20:52 तक
मीन > 20:52 से 21:26 तक
मेष > 21:26 से 11:58 तक
वृषभ > 11:58 से 01:50 तक
मिथुन > 01:00 से 04:10 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 13 + 3 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
सांय 18:37 से प्रारम्भ
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
**** विशेष जानकारी ****
* मास शिवरात्रि व्रत
*मंगला गौरी व्रत
*कारगिल विजय दिवस
*स्मृति दिवस
**** शुभ विचार ****
अपुत्रस्य गृहं शून्यं दिशः शुन्यास्त्वबांधवाः ।
मूर्खस्य हृदयं शून्यं सर्वशून्या दरिद्रता ।।
।। चा ०नीo।।
जिस व्यक्ति के पुत्र नहीं है उसका घर उजाड़ है. जिसे कोई सम्बन्धी नहीं है उसकी सभी दिशाए उजाड़ है. मुर्ख व्यक्ति का ह्रदय उजाड़ है. निर्धन व्यक्ति का सब कुछ उजाड़ है.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
प्रवत्तिं च निवृत्तिं च कार्याकार्ये भयाभये।,
बन्धं मोक्षं च या वेति बुद्धिः सा पार्थ सात्त्विकी ॥,
हे पार्थ ! जो बुद्धि प्रवृत्तिमार्ग (गृहस्थ में रहते हुए फल और आसक्ति को त्यागकर भगवदर्पण बुद्धि से केवल लोकशिक्षा के लिए राजा जनक की भाँति बरतने का नाम ‘प्रवृत्तिमार्ग’ है।,) और निवृत्ति मार्ग को (देहाभिमान को त्यागकर केवल सच्चिदानंदघन परमात्मा में एकीभाव स्थित हुए श्री शुकदेवजी और सनकादिकों की भाँति संसार से उपराम होकर विचरने का नाम ‘निवृत्तिमार्ग’ है।,), कर्तव्य और अकर्तव्य को, भय और अभय को तथा बंधन और मोक्ष को यथार्थ जानती है- वह बुद्धि सात्त्विकी है ॥,30॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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