***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-23/04/2022, शनिवार
सप्तमी, कृष्ण पक्ष
वैशाख
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मिथुन
आज का दिन आपके लिए सामान्य रहने वाला है। यदि फाइनेंस से जुड़े कुछ मसले चल रहे थे, तो वह आज सुधरेंगे। विवाद को बढ़ावा न दें। फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। कुसंगति से बचें। घर-परिवार की चिंता रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आय बनी रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। घर में किसी व्यक्ति के विवाह की बात पक्की होने से परिवार का माहौल मांगलिक रहेगा। प्रेम जीवन जी रहे लोगों का पुराना प्यार फिर से लौट सकता है, जिसके कारण वह टेंशन में आ जाएंगे। आपको अपनी कुछ पुरानी देनदारियों को चुकाना होगा, नहीं तो वह आपके सामने आकर खड़े हो सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आप मीठी वाणी से लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहेंगे, जिसके कारण आप अपने सभी कार्य समय पर पूरे भी कर पाएंगे।
तिथि———- सप्तमी 06:26:32 तक
तिथि———– अष्टमी 28:28:59
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——–उत्तराषाढा18:52:32
योग———— साध्य 25:29:06
करण————- बव 06:26:32
करण———- बालव 17:25:21
करण———– कौलव 28:28:59
वार———————– शनिवार
माह———————— वैशाख
चन्द्र राशि——————- -मकर
सूर्य राशि———————- मेष
रितु————————– वसंत
सायन———————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शाका संवत—————- 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:48:25
सूर्यास्त————— 18:47:01
दिन काल————- 12:58:35
रात्री काल———— 11:00:29
चंद्रास्त————— 11:30:32
चंद्रोदय————— 25:51:40
लग्न—- मेष 8°41′ , 8°41′
सूर्य नक्षत्र—————– अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र————– उत्तराषाढा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
जानिए, लाखामंडल मंदिर बारे में, जहां मरा हुआ इंसान हो जाता है जिंदा
*** पद, चरण ***
भो—- उत्तराषाढा 07:30:39
जा—- उत्तराषाढा 13:11:00
जी—- उत्तराषाढा 18:52:32
खी—- श्रवण 24:35:16
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मीन 08:12 अश्विनी , 3 चो
चन्द्र =मकर 02°23 , पू oषाo , 2 भो
बुध =मेष 27 ° 07′ कृतिका ‘ 1 अ
शुक्र=कुम्भ 24°05, पू o भा o ‘ 2 सो
मंगल=कुम्भ 11°30 ‘ शतभिषा’ 2 सा
गुरु=मीन 01°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=मकर 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 29°30’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29°30 विशाखा , 3 ते
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 09:03 – 10:40 अशुभ
यम घंटा 13:55 – 15:32 अशुभ
गुली काल 05:48 – 07: 26अशुभ
अभिजित 11:52 -12:44 शुभ
दूर मुहूर्त 07:32 – 08:24 अशुभ
चोघडिया, दिन
काल 05:48 – 07:26 अशुभ
शुभ 07:26 – 09:03 शुभ
रोग 09:03 – 10:40 अशुभ
उद्वेग 10:40 – 12:18 अशुभ
चर 12:18 – 13:55 शुभ
लाभ 13:55 – 15:32 शुभ
अमृत 15:32 – 17:10 शुभ
काल 17:10 – 18:47 अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ 18:47 – 20:10 शुभ
उद्वेग 20:10 – 21:32 अशुभ
शुभ 21:32 – 22:55 शुभ
अमृत 22:55 – 24:17* शुभ
चर 24:17* – 25:40* शुभ
रोग 25:40* – 27:02* अशुभ
काल 27:02* – 28:25* अशुभ
लाभ 28:25* – 29:48* शुभ
होरा, दिन
शनि 05:48 – 06:53
बृहस्पति 06:53 – 07:58
मंगल 07:58 – 09:03
सूर्य 09:03 – 10:08
शुक्र 10:08 – 11:13
बुध 11:13 – 12:18
चन्द्र 12:18 – 13:23
शनि 13:23 – 14:27
बृहस्पति 14:27 – 15:32
मंगल 15:32 – 16:37
सूर्य 16:37 – 17:42
शुक्र 17:42 – 18:47
होरा, रात
बुध 18:47 – 19:42
चन्द्र 19:42 – 20:37
शनि 20:37 – 21:32
बृहस्पति 21:32 – 22:27
मंगल 22:27 – 23:22
सूर्य 23:22 – 24:17
शुक्र 24:17* – 25:12
बुध 25:12* – 26:07
चन्द्र 26:07* – 27:02
शनि 27:02* – 27:57
बृहस्पति 27:57* – 28:52
मंगल 28:52* – 29:48
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मेष > 04:28 से 06:17 तक
वृषभ > 06:17 से 08:10 तक
मिथुन > 08:10 से 10:23 तक
कर्क > 10:23 से 12:40 तक
सिंह > 12:40 से 14:52 तक
कन्या > 14:52 से 07:04 तक
तुला > 07:04 से 07:19 तक
वृश्चिक > 07:19 से 09:35 तक
धनु > 09:35 से 23:40 तक
मकर > 23:40 से 01:30 तक
कुम्भ > 01:30 से 03:00 तक
मीन > 03:00 से 04:28 तक
: प्रकाशेश्वर शिव मंदिर में सिर्फ जल ही चढ़ाया जाता है Prakasheshwar Shiva Temple
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 7 + 7 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
प्रातः 6:26 उपरान्त शुभ
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
22 + 22 + 5 = 49 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
*कालाष्ठमी
*अष्टमीक्षय
* सर्वार्थसिद्धि योग 18:12 से
* पद्मनाभ भट्टाचार्य पटोत्सव
* विश्व पुस्तक दिवस
*गुरु अर्जुनदेव जयन्ती
*** शुभ विचार ***
अहो वत ! विचित्राणि चरितानि महात्मनाम् ।
लक्ष्मी तृणाय मन्यन्ते तद्भारेण नमन्ति च ।।
।। चा o नी o।।
देखिये क्या आश्चर्य है? बड़े लोग अनोखी बाते करते है. वे पैसे को तो तिनके की तरह मामूली समझते है लेकिन जब वे उसे प्राप्त करते है तो उसके भार से और विनम्र होकर झुक जाते है.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15
न रूपमस्येह तथोपलभ्यते नान्तो न चादिर्न च सम्प्रतिष्ठा ।,
अश्वत्थमेनं सुविरूढमूल मसङ्गशस्त्रेण दृढेन छित्त्वा ॥,
इस संसार वृक्ष का स्वरूप जैसा कहा है वैसा यहाँ विचार काल में नहीं पाया जाता (इस संसार का जैसा स्वरूप शास्त्रों में वर्णन किया गया है और जैसा देखा-सुना जाता है, वैसा तत्त्व ज्ञान होने के पश्चात नहीं पाया जाता, जिस प्रकार आँख खुलने के पश्चात स्वप्न का संसार नहीं पाया जाता) क्योंकि न तो इसका आदि है (इसका आदि नहीं है, यह कहने का प्रयोजन यह है कि इसकी परम्परा कब से चली आ रही है, इसका कोई पता नहीं है) और न अन्त है (इसका अन्त नहीं है, यह कहने का प्रयोजन यह है कि इसकी परम्परा कब तक चलती रहेगी, इसका कोई पता नहीं है) तथा न इसकी अच्छी प्रकार से स्थिति ही है (इसकी अच्छी प्रकार स्थिति भी नहीं है, यह कहने का प्रयोजन यह है कि वास्तव में यह क्षणभंगुर और नाशवान है) इसलिए इस अहंता, ममता और वासनारूप अति दृढ़ मूलों वाले संसार रूप पीपल के वृक्ष को दृढ़ वैराग्य रूप (ब्रह्मलोक तक के भोग क्षणिक और नाशवान हैं, ऐसा समझकर, इस संसार के समस्त विषयभोगों में सत्ता, सुख, प्रीति और रमणीयता का न भासना ही ‘दृढ़ वैराग्यरूप शस्त्र’ है) शस्त्र द्वारा काटकर (स्थावर, जंगमरूप यावन्मात्र संसार के चिन्तन का तथा अनादिकाल से अज्ञान द्वारा दृढ़ हुई अहंता, ममता और वासना रूप मूलों का त्याग करना ही संसार वृक्ष का अवान्तर ‘मूलों के सहित काटना’ है।,)॥,3॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए फल्गू तीर्थ Falgu Tirtha For Peace Of Souls Of Ancestors