मिथुन राशिफल 18 अक्टूबर 2022

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Gemini Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺

दिनाँक:- 18/10/2022, मंगलवार
अष्टमी, कृष्ण पक्ष,
कार्तिक
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मिथुन

शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। हल्की हंसी-मजाक न करें। किसी अपरिचित व्यक्ति पर भरोसा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी।

तिथि———– अष्टमी 11:57:19 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र————- पुष्य 32:00:45
योग————– सिद्ध 16:50:42
करण———– कौलव 11:57:19
करण———– तैतुल 25:07:31
वार———————- मंगलवार
माह———————- कार्तिक
चन्द्र राशि——————- कर्क
सूर्य राशि——————— तुला
रितु————————- शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)———————नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————- 2078
शक संवत—————– 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:21:55
सूर्यास्त————— 17:46:22
दिन काल————- 11:24:26
रात्री काल————- 12:36:08
चंद्रास्त—————- 13:48:55
चंद्रोदय—————- 24:20:57

लग्न—-तुला 0°27′ , 180°27′

सूर्य नक्षत्र——————– चित्रा
चन्द्र नक्षत्र——————- पुष्य
नक्षत्र पाया——————- रजत

🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩

हु—- पुष्य 11:55:01

हे—- पुष्य 18:37:56

हो—- पुष्य 25:19:55

💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=तुला 00 :49 चित्रा , 3 रा
चन्द्र =कर्क 04 °23, पुष्य। , 1 हु
बुध =कन्या 16 ° 34′ हस्त ‘2 ष
शुक्र=कन्या 29°05, चित्रा ‘ 2 पो
मंगल=मिथुन 00°30 ‘ मृगशिरा’ 3 का
गुरु=मीन 06°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 20°05 भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 20°05 विशाखा , 1 ती

🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩

राहू काल 14:55 – 16:21 अशुभ
यम घंटा 09:13 – 10:39 अशुभ
गुली काल 12:04 – 13:30 अशुभ
अभिजित 11:41 – 12:27 शुभ
दूर मुहूर्त 08:39 – 09:24 अशुभ
दूर मुहूर्त 22:49 – 23:34 अशुभ
वर्ज्यम 14:09 – 15:57 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
रोग 06:22 – 07:47 अशुभ
उद्वेग 07:47 – 09:13 अशुभ
चर 09:13 – 10:39 शुभ
लाभ 10:39 – 12:04 शुभ
अमृत 12:04 – 13:30 शुभ
काल 13:30 – 14:55 अशुभ
शुभ 14:55 – 16:21 शुभ
रोग 16:21 – 17:46 अशुभ

🚩चोघडिया, रात
काल 17:46 – 19:21 अशुभ
लाभ 19:21 – 20:55 शुभ
उद्वेग 20:55 – 22:30 अशुभ
शुभ 22:30 – 24:04* शुभ
अमृत 24:04* – 25:39* शुभ
चर 25:39* – 27:13* शुभ
रोग 27:13* – 28:48* अशुभ
काल 28:48* – 30:23* अशुभ

💮होरा, दिन
मंगल 06:22 – 07:19
सूर्य 07:19 – 08:16
शुक्र 08:16 – 09:13
बुध 09:13 – 10:10
चन्द्र 10:10 – 11:07
शनि 11:07 – 12:04
बृहस्पति 12:04 – 13:01
मंगल 13:01 – 13:58
सूर्य 13:58 – 14:55
शुक्र 14:55 – 15:52
बुध 15:52 – 16:49
चन्द्र 16:49 – 17:46

🚩होरा, रात
शनि 17:46 – 18:49
बृहस्पति 18:49 – 19:52
मंगल 19:52 – 20:55
सूर्य 20:55 – 21:58
शुक्र 21:58 – 23:01
बुध 23:01 – 24:04
चन्द्र 24:04* – 25:07
शनि 25:07* – 26:10
बृहस्पति 26:10* – 27:13
मंगल 27:13* – 28:16
सूर्य 28:16* – 29:20
शुक्र 29:20* – 30:23

🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩

कन्या > 03:13 से 05:19 तक
तुला > 05:19 से 07:30 तक
वृश्चिक > 07:30 से 09:50 तक
धनु > 09:50 से 12:20 तक
मकर > 12:20 से 13:58 तक
कुम्भ > 13:58 से 15:28 तक
मीन > 15:28 से 16:00 तक
मेष > 16:00 से 17:34 तक
वृषभ > 17:34 से 20:20 तक
कर्क > 20:20 से 00:50 तक
सिंह > 00:50 से 03:08 तक

🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 8 + 3 + 1 = 27 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

💮 शिव वास एवं फल -:

23 + 23 + 5 = 51 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

🚩भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮

* भौमाष्टमी

*शुक्र: तुलायां

💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮

प्रलये भिन्नमर्यादा भवन्ति किल सागराः ।
सागरा भेदमिच्छान्ति प्रलयेऽपि न साधवः ।।
।। चा o नी o।।

जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मयारदा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के सामान भयंकर आपत्ति अवं विपत्ति में भी आपनी मर्यादा नहीं बदलते.

🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩

गीता -: भक्तियोग अo-12

तेषामहं समुद्धर्ता मृत्युसंसारसागरात्‌ ।,
भवामि नचिरात्पार्थ मय्यावेशितचेतसाम्‌ ॥,

हे अर्जुन! उन मुझमें चित्त लगाने वाले प्रेमी भक्तों का मैं शीघ्र ही मृत्यु रूप संसार-समुद्र से उद्धार करने वाला होता हूँ॥,7॥,

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