***|| जय श्री राधे ||***
**** महर्षि पाराशर पंचांग ****
**** अथ पंचांगम् ****
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-15/05/2022, रविवार
चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
**** दैनिक राशिफल ****
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मिथुन
आज आपको फिजूलखर्ची करने से बचना होगा,नहीं तो आप अपने संचय धन को भी समाप्त कर सकते हैं। यदि आपको कोई शारीरिक कष्ट है,तो उसमें भी आज वृद्धि हो सकती है,जिसके कारण आप परेशान रहेंगे,लेकिन संतान पक्ष की ओर से आपको कोई हर्षवर्धन समाचार सुनने को मिल सकता है। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति पर व्यय होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। नए मित्र बनेंगे। नया उपक्रम प्रारंभ करने की योजना बन सकती है। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। शुभ समय। सामाजिक क्रियाकलापों में कुछ व्यवधान रहेंगे,जो आपकी परेशानी का कारण बनेंगे। आपके ऊपर परिवार की जिम्मेदारियां और बढ़ सकती हैं,लेकिन आपको धैर्य बनाकर उन्हें पूरा करना होगा तभी आप सफलता हासिल कर सकेंगे। यदि आपने किसी काम को किसी दूसरे के भरोसे छोड़ा,तो वह लंबा चल सकता है।
तिथि———- चतुर्दशी 12:45:14 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———– स्वाति 15:33:40
योग——— व्यतापता 09:47:19
करण———– वणिज 12:45:15
करण——- विष्टि भद्र 23:16:48
वार———————— रविवार
माह———————— वैशाख
चन्द्र राशि—————— तुला
सूर्य राशि—————— वृषभ
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———-2078
शाका संवत—————- 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:31:48
सूर्यास्त—————- 18:59:38
दिन काल————- 13:27:49
रात्री काल————- 10:31:37
चंद्रास्त—————- 05:51:00
चंद्रोदय—————- 18:14:46
लग्न—- वृषभ 0°0′ , 30°0′
सूर्य नक्षत्र—————– कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र—————— स्वाति
नक्षत्र पाया——————- रजत
**** पद, चरण ****
रो—- स्वाति 10:04:29
ता—- स्वाति 15:33:40
ती—- विशाखा 21:01:21
तू—- विशाखा 26:27:40
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=वृषभ 00:12 कृतिका , 2 ई
चन्द्र =तुला 13°23 , स्वाति , 2 पो
बुध =वृषभ 09 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=मीन 19 °05, रेवती ‘ 1 दे
मंगल=कुम्भ 28°30 ‘ पूoभाo’ 3 दा
गुरु=मीन 06°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°20’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°20 विशाखा , 3 ते
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 17:19 – 18:59 अशुभ
यम घंटा 12:16 – 13:57 अशुभ
गुली काल 15:38 – 17:19 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 17:12 – 18:06 अशुभ
चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:32 – 07:13 अशुभ
चर 07:13 – 08:54 शुभ
लाभ 08:54 – 10:35 शुभ
अमृत 10:35 – 12:16 शुभ
काल 12:16 – 13:57 अशुभ
शुभ 13:57 – 15:38 शुभ
रोग 15:38 – 17:19 अशुभ
उद्वेग 17:19 – 18:59 अशुभ
चोघडिया, रात
शुभ 18:59 – 20:19 शुभ
अमृत 20:19 – 21:38 शुभ
चर 21:38 – 22:56 शुभ
रोग 22:56 – 24:15* अशुभ
काल 24:15* – 25:34* अशुभ
लाभ 25:34* – 26:53* शुभ
उद्वेग 26:53* – 28:12* अशुभ
शुभ 28:12* – 29:31* शुभ
होरा, दिन
सूर्य 05:32 – 06:39
शुक्र 06:39 – 07:46
बुध 07:46 – 08:54
चन्द्र 08:54 – 10:01
शनि 10:01 – 11:08
बृहस्पति 11:08 – 12:16
मंगल 12:16 – 13:23
सूर्य 13:23 – 14:30
शुक्र 14:30 – 15:38
बुध 15:38 – 16:45
चन्द्र 16:45 – 17:52
शनि 17:52 – 18:59
होरा, रात
बृहस्पति 18:59 – 19:52
मंगल 19:52 – 20:45
सूर्य 20:45 – 21:38
शुक्र 21:38 – 22:30
बुध 22:30 – 23:23
चन्द्र 23:23 – 24:15
शनि 24:15* – 25:08
बृहस्पति 25:08* – 26:01
मंगल 26:01* – 26:53
सूर्य 26:53* – 27:46
शुक्र 27:46* – 28:39
बुध 28:39* – 29:31
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
मेष > 03:04 से 04:44 तक
वृषभ > 04:44 से 06:44 तक
मिथुन > 06:44 से 08:52 तक
कर्क > 08:52 से 11:10 तक
सिंह > 11:10 से 13:26 तक
कन्या > 13:26 से 05:38 तक
तुला > 05:38 से 05:50 तक
वृश्चिक > 05:50 से 08:02 तक
धनु > 08:02 से 22:04 तक
मकर > 22:04 से 11:44 तक
कुम्भ > 11:44 से 01:30 तक
मीन > 01:30 से 03:04 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान———–पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
14 + 1 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
14 + 14 + 5 = 33 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 12:45 से रात्रि 23:24 तक
पाताल लोक = धनलाभा कारक
**** विशेष जानकारी ****
* सत्य पूर्णिमा व्रत
* कूर्म जयन्ती
* चिन्नमस्ता जयन्ती
* विश्व परिवार दिवस
*गुरु अमरदास जयन्ती
**** शुभ विचार ****
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम् ।
लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ।।
।। चा o नी o।।
जिसे अपनी कोई अकल नहीं उसकी शास्त्र क्या भलाई करेंगे. एक अँधा आदमी आयने का क्या करेगा.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16
प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च जना न विदुरासुराः।,
न शौचं नापि चाचारो न सत्यं तेषु विद्यते॥,
आसुर स्वभाव वाले मनुष्य प्रवृत्ति और निवृत्ति- इन दोनों को ही नहीं जानते।, इसलिए उनमें न तो बाहर-भीतर की शुद्धि है, न श्रेष्ठ आचरण है और न सत्य भाषण ही है॥,7॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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