***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-13/06/2022, सोमवार
चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मिथुन
आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहेगा। कोई बड़ी बाधा उठ खड़ी हो सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें, गुम हो सकती है। विवाद के बढ़ावा न दें। बुरी खबर मिल सकती है, धैर्य रखें। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। मेहनत अधिक होगी। लाभ के अवसर टलेंगे। मानसिक बेचैनी रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। लाभ होगा। आप अपने किसी कानूनी कार्य में कुछ बातों को गुप्त रखना होगा,नहीं तो वह आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं और आपका समय तेजी से आगे बढ़ेगा,जिसका आपको सदुपयोग करना होगा। विद्यार्थियों को शिक्षा में कुछ उलझने रहेंगी जिनके लिए उन्हें अपने सीनियर व गुरुजनों से मदद लेनी पड़ सकती है। संतान द्वारा किसी ऐसे कार्य को अंजाम दिया जाएगा,जिससे आपका मन प्रसन्न होगा। माताजी को यदि कोई रोग पहले से परेशान कर रहा था,तो उनके कष्टों में वृद्धि हो सकती है।
तिथि———- चतुर्दशी 21:02:16 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——— अनुराधा 21:23:09
योग————– सिद्ध 13:40:44
करण————– गर 10:47:01
करण———– वणिज 21:02:16
वार———————– सोमवार
माह————————– ज्येष्ठ
चन्द्र राशि—————— वृश्चिक
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु—————————ग्रीष्म
आयन——————–उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————- राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:24:37
सूर्यास्त—————- 19:14:01
दिन काल————- 13:49:24
रात्री काल————- 10:10:40
चंद्रास्त—————- 05:43:49
चंद्रोदय—————- 18:11:16
लग्न—-वृषभ 27°50′ , 57°50′
सूर्य नक्षत्र—————– मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र—————- अनुराधा
नक्षत्र पाया——————- रजत
*** पद, चरण ***
नी—- अनुराधा 10:43:08
नू—- अनुराधा 16:03:47
ने—- अनुराधा 21:23:09
नो—- ज्येष्ठा 26:41:24
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=वृषभ 27:12 मृगशिरा , 2 वो
चन्द्र = वृश्चिक 06°23 , अनुराधा , 2 नी
बुध =वृषभ 05 ° 07′ कृतिका ‘ 3 उ
शुक्र=मेष 23°05, भरणी ‘ 4 लो
मंगल=मीन 19°30 ‘ रेवती ‘ 1 दे
गुरु=मीन 11°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 26°40’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 26°40 विशाखा , 3 ते
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 07:08 – 08:52 अशुभ
यम घंटा 10:36 – 12:19 अशुभ
गुली काल 14:03 – 15:47 अशुभ
अभिजित 11:52 -12:47 शुभ
दूर मुहूर्त 12:47 – 13:42 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:33 – 16:28 अशुभ
गंड मूल 21:23 – अहोरात्र अशुभ
चोघडिया, दिन
अमृत 05:25 – 07:08 शुभ
काल 07:08 – 08:52 अशुभ
शुभ 08:52 – 10:36 शुभ
रोग 10:36 – 12:19 अशुभ
उद्वेग 12:19 – 14:03 अशुभ
चर 14:03 – 15:47 शुभ
लाभ 15:47 – 17:30 शुभ
अमृत 17:30 – 19:14 शुभ
चोघडिया, रात
चर 19:14 – 20:30 शुभ
रोग 20:30 – 21:47 अशुभ
काल 21:47 – 23:03 अशुभ
लाभ 23:03 – 24:19* शुभ
उद्वेग 24:19* – 25:36* अशुभ
शुभ 25:36* – 26:52* शुभ
अमृत 26:52* – 28:08* शुभ
चर 28:08* – 29:25* शुभ
होरा, दिन
चन्द्र 05:25 – 06:34
शनि 06:34 – 07:43
बृहस्पति 07:43 – 08:52
मंगल 08:52 – 10:01
सूर्य 10:01 – 11:10
शुक्र 11:10 – 12:19
बुध 12:19 – 13:28
चन्द्र 13:28 – 14:38
शनि 14:38 – 15:47
बृहस्पति 15:47 – 16:56
मंगल 16:56 – 18:05
सूर्य 18:05 – 19:14
होरा, रात
शुक्र 19:14 – 20:05
बुध 20:05 – 20:56
चन्द्र 20:56 – 21:47
शनि 21:47 – 22:38
बृहस्पति 22:38 – 23:28
मंगल 23:28 – 24:19
सूर्य 24:19* – 25:10
शुक्र 25:10* – 26:01
बुध 26:01* – 26:52
चन्द्र 26:52* – 27:43
शनि 27:43* – 28:34
बृहस्पति 28:34* – 29:25
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
वृषभ > 02:50 से 04:40 तक
मिथुन > 04:40 से 07:01 तक
कर्क > 07:01 से 09:20 तक
सिंह > 09:20 से 11:24 तक
कन्या > 11:24 से 13:40 तक
तुला > 13:40 से 15:55 तक
वृश्चिक > 15:55 से 18:07 तक
धनु > 18:07 से 20:16 तक
मकर > 20:16 से 22:02 तक
कुम्भ > 22:02 से 23:36 तक
मीन > 23:36 से 01:02 तक
मेष > 01:02 से 02:50 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
14 + 2 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
?? ग्रह मुख आहुति ज्ञान ??
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
? शिव वास एवं फल -:
14 + 14 + 5 = 33 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 21:02 से प्रारम्भ
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*** विशेष जानकारी ***
* चंपक चतुर्दशी (बंगाल)
* सत्यव्रत पूर्णिमा
*सर्वार्थ सिद्धि योग 21:23 तक
*** शुभ विचार ***
उर्व्यां कोऽपि महीधरो लघुतरो दोर्भ्यां धृतो लीलया
तेन त्वांदिवि भूतले च ससतं गोवर्धनी गीयसे ।
त्वां त्रैलोक्यधरं वहामि कुचयोरग्रेण तद् गण्यते
किंवा केशव भाषणेन बहुनापुण्यैर्यशो लभ्यते ।।
।। चा o नी o।।
रुक्मिणी भगवान् से कहती हैं हे केशव! आपने एक छोटे से पहाड को दोनों हाथों से उठा लिया वह इसीलिये स्वर्ग और पृथ्वी दोनों लोकों में गोवर्धनधारी कहे जाने लगे। लेकिन तीनों लोकों को धारण करनेवाले आपको मैं अपने कुचों के अगले भाग से ही उठा लेती हूँ, फिर उसकी कोई गिनती ही नहीं होती। हे नाथ! बहुत कुछ कहने से कोई प्रयोजन नहीं, यही समझ लीजिए कि बडे पुण्य से यश प्राप्त होता है।
*** सुभाषितानि ***
गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17
देवद्विजगुरुप्राज्ञपूजनं शौचमार्जवम्।,
ब्रह्मचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते॥,
देवता, ब्राह्मण, गुरु (यहाँ ‘गुरु’ शब्द से माता, पिता, आचार्य और वृद्ध एवं अपने से जो किसी प्रकार भी बड़े हों, उन सबको समझना चाहिए।,) और ज्ञानीजनों का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा- यह शरीर- सम्बन्धी तप कहा जाता है॥,14॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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