Gemini Horoscope 09 March 2022 मिथुन राशिफल 09 मार्च 2022

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Gemini Horoscope 09 March 2022

Gemini Horoscope 09 March 2022 मिथुन राशिफल 09 मार्च 2022

आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़ः

***|| जय श्री राधे ||***
***महर्षि पाराशर पंचांग ***
***अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
******************

***दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मिथुन

आज का दिन महत्वपूर्ण रहेगा, कार्यक्षेत्र के लिए नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। बिगड़े काम बन सकते हैं। समाजसेवा करने का मन बनेगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। व्यस्तता रहेगी। आराम का समय नहीं मिलेगा। थकान रहेगी। काम के सिलसिले में किसी दोस्त से मुलाकात होगी, यह मुलाकात आपके लिए फायदेमंद रहेगी। ऑफिस में काम का बोझ कम रहेगा। परिवार के सदस्यों के साथ अधिक समय व्यतीत करेंगे। कपड़ा व्यापारियों के लिए दिन उत्तम रहेगा, लाभ के योग बन रहे हैं।

दिनाँक-: 09/03/2022,बुधवार
सप्तमी, शुक्ल पक्ष
फाल्गुन
“”””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि——– सप्तमी 26:56:02 तक
पक्ष———————- शुक्ल
नक्षत्र——- कृत्तिका 08:30:08
योग——- विश्कुम्भ 25:14:07
करण———— गर 13:40:46
करण——- वणिज 26:56:02
वार———————- बुधवार
माह———————-फाल्गुन
चन्द्र राशि ———————-वृषभ
सूर्य राशि—————— कुम्भ
रितु———————- शिशिर
सायन———————वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————– प्लव
संवत्सर (उत्तर) ————-आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)——2078
शाका संवत————– 1943

वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:36:46
सूर्यास्त————– 18:23:02
दिन काल———– 11:46:15
रात्री काल———– 12:12:40
चंद्रोदय————- 10:35:08
चंद्रास्त————– 24:44:32

लग्न—- कुम्भ 24°16′ , 324°16′

सूर्य नक्षत्र———-पूर्वाभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र————– कृत्तिका
नक्षत्र पाया—————-लोहा

??? पद, चरण ???

ए—- कृत्तिका 08:30:08

ओ—- रोहिणी 15:13:21

वा—- रोहिणी 21:57:42

वी—- रोहिणी 28:42:58

***ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
***************************
सूर्य=कुम्भ 24:12 ‘पू o भा o , 2 सो
चन्द्र =वृषभ 09°23, कृतिका , 4 ए
बुध = कुम्भ 04 ° 07 ‘ धनिष्ठा ‘ 4 गे
शुक्र=मकर 08°05, उ oषा o ‘ 4 जी
मंगल=मकर 05°30 ‘ उ o षा o ‘ 4 जी
गुरु=कुम्भ 20°30 ‘ पू o भा o, 1 से
शनि=मकर 24°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व)वृषभ 01°50’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 01°50 विशाखा , 4 तो

***मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 12:30 – 13:58 अशुभ
यम घंटा 08:05 – 09:33 अशुभ
गुली काल 11:02 – 12:30 अशुभ
अभिजित 12:06 -12:53 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:06 – 12:53 अशुभ

***चोघडिया, दिन***
लाभ 06:37 – 08:05 शुभ
अमृत 08:05 – 09:33 शुभ
काल 09:33 – 11:02 अशुभ
शुभ 11:02 – 12:30 शुभ
रोग 12:30 – 13:58 अशुभ
उद्वेग 13:58 – 15:26 अशुभ
चर 15:26 – 16:55 शुभ
लाभ 16:55 – 18:23 शुभ

***चोघडिया, रात***
उद्वेग 18:23 – 19:55 अशुभ
शुभ 19:55 – 21:26 शुभ
अमृत 21:26 – 22:58 शुभ
चर 22:58 – 24:29* शुभ
रोग 24:29* – 26:01* अशुभ
काल 26:01* – 27:33* अशुभ
लाभ 27:33* – 29:04* शुभ
उद्वेग 29:04* – 30:36* अशुभ

***होरा, दिन ***
बुध 06:37 – 07:36
चन्द्र 07:36 – 08:34
शनि 08:34 – 09:33
बृहस्पति 09:33 – 10:32
मंगल 10:32 – 11:31
सूर्य 11:31 – 12:30
शुक्र 12:30 – 13:29
बुध 13:29 – 14:28
चन्द्र 14:28 – 15:26
शनि 15:26 – 16:25
बृहस्पति 16:25 – 17:24
मंगल 17:24 – 18:23

***होरा, रात***
सूर्य 18:23 – 19:24
शुक्र 19:24 – 20:25
बुध 20:25 – 21:26
चन्द्र 21:26 – 22:27
शनि 22:27 – 23:28
बृहस्पति 23:28 – 24:29
मंगल 24:29* – 25:30
सूर्य 25:30* – 26:31
शुक्र 26:31* – 27:33
बुध 27:33* – 28:34
चन्द्र 28:34* – 29:35
शनि 29:35* – 30:36

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

कुम्भ > 05:32 से 06:58 तक
मीन > 06:58 से 08:29 तक
मेष > 08:29 से 11:12 तक
वृषभ > 11:12 से 12:53 तक
मिथुन > 12:53 से 14:17 तक
कर्क > 14:17 से 16:41 तक
सिंह > 16:41 से 17:43 तक
कन्या > 17:43 से 08:57 तक
तुला > 08:57 से 11:24 तक
वृश्चिक > 11:24 से 02:36 तक
धनु > 02:36 से 03:40 तक
मकर > 03:40 से 05:32 तक

***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार***

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

***दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर***
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान ***
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

7 + 4 + 1 = 12 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

***ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति
08:41 शुक्र

*** शिव वास एवं फल ***

7 + 7 + 5 = 19 ÷ 7 = 5 शेष

ज्ञानवेलायां = कष्टकारक

***भद्रा वास एवं फल***

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

रात्रि 26:56 से प्रारम्भ

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

***विशेष जानकारी ***

*दुर्गाष्टमी

*रोहिणी व्रत

*मथुरेश जी पाटोत्सव मथुरा

*भावान्युत्पति

*अशोक कलिका प्रासन

* मनसादेवी पूजा (हरियाणा)

*अन्नपूर्णा पूजा (बंगाल)

***शुभ विचार ***

कुग्रामवासः कुलहीनसेवा ।
कुभोजनं क्रोधमुखी च भार्या ।।
पुत्रश्च मूर्खो विधवा च कन्या ।
विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम् ।।
।।चा o नी o।।

निम्नलिखित बाते व्यक्ति को बिना आग के ही जलाती है…
१. एक छोटे गाव में बसना जहा रहने की सुविधाए उपलब्ध नहीं.
२. एक ऐसे व्यक्ति के यहाँ नौकरी करना जो नीच कुल में पैदा हुआ है.
३. अस्वास्थय्वर्धक भोजन का सेवन करना.
४. जिसकी पत्नी हरदम गुस्से में होती है.
५. जिसको मुर्ख पुत्र है.
६. जिसकी पुत्री विधवा हो गयी है.

***सुभाषितानि ***

गीता -: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13

य एवं वेत्ति पुरुषं प्रकृतिं च गुणैः सह ।,
सर्वथा वर्तमानोऽपि न स भूयोऽभिजायते ॥,

इस प्रकार पुरुष को और गुणों के सहित प्रकृति को जो मनुष्य तत्व से जानता है (दृश्यमात्र सम्पूर्ण जगत माया का कार्य होने से क्षणभंगुर, नाशवान, जड़ और अनित्य है तथा जीवात्मा नित्य, चेतन, निर्विकार और अविनाशी एवं शुद्ध, बोधस्वरूप, सच्चिदानन्दघन परमात्मा का ही सनातन अंश है, इस प्रकार समझकर सम्पूर्ण मायिक पदार्थों के संग का सर्वथा त्याग करके परम पुरुष परमात्मा में ही एकीभाव से नित्य स्थित रहने का नाम उनको ‘तत्व से जानना’ है) वह सब प्रकार से कर्तव्य कर्म करता हुआ भी फिर नहीं जन्मता॥,23॥,

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