मिथुन राशिफल 06 जून 2022

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मिथुन राशिफल 06 जून 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-06/06/2022, सोमवार
षष्ठी, शुक्ल पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मिथुन

आज का दिन राजनीति की दिशा में कार्यरत लोगों के लिए उत्तम रहेगा,क्योंकि उन्हें कोई नया पद सौंपा जा सकता है। विवेक से कार्य करें। लाभ होगा। सतर्कता एवं सावधानीपूर्वक व्यापारिक योजनाओं को अंजाम दें। विद्यार्थी शिक्षा में उल्लेखनीय सफलता अर्जित करेंगे। यात्रा करें। पुराना रोग उभर सकता है। कार्य में लापरवाही जल्दबाजी करें। कुसंगति से बचें। यदि आपके कुछ पुराने कर्ज हैं,तो आप उन्हें भी काफी हद तक उतारने में सफल रहेंगे और चैन की सांस लेंगे। आपको व्यापार संबंधित किसी यात्रा पर जाना पड़ सकता है और वह आपके लिए लाभदायक रहेगी। जीवनसाथी की ओर से आपको कोई सरप्राइस मिल सकता है। आप संतान को किसी संस्थान में दाखिला दिलाने में कामयाब रहेंगे। नौकरी में कार्यरत लोगों को अपने आसपास मौजूद शत्रुओं से सावधान रहना होगा,क्योंकि वह उनकी चुगली लगा सकते हैं।

तिथि———— षष्ठी 06:39:19 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र————–मघा 26:24:38
योग———— हर्शण 28:50:58
करण———– तैतुल 06:39:19
करण————– गर 19:21:25
वार————————सोमवार
माह————————– ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——————– सिंह
सूर्य राशि——————- वृषभ
रितु————————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————— नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:24:42
सूर्यास्त————— 19:11:15
दिन काल————- 13:46:32
रात्री काल———— 10:13:22
चंद्रोदय—————- 10:59:25
चंद्रास्त—————- 24:28:49

लग्न—- वृषभ 21°8′ , 51°8′

सूर्य नक्षत्र—————– रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र——————- माघ
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

मा—- मघा 06:57:03

मी—- मघा 13:28:23

मू—- मघा 19:57:37

मे—- मघा 26:24:38

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=वृषभ 21:12 रोहिणी , 4 वु
चन्द्र = सिंह 02°23 , मघा , 1 मा
बुध =वृषभ 02 ° 07′ कृतिका ‘ 2 ई
शुक्र=मेष 15°05, भरणी ‘ 1 ली
मंगल=मीन 15°30 ‘ उoभाo’ 4 ञ
गुरु=मीन 10°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°10’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°10 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 07:08 – 08:51 अशुभ
यम घंटा 10:35 – 12:18 अशुभ
गुली काल 14:01 – 15:45 अशुभ
अभिजित 11:50 -12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 12:46 – 13:41 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:31 – 16:26 अशुभ

गंड मूल 05:25 – 26:25* अशुभ

चोघडिया, दिन
अमृत 05:25 – 07:08 शुभ
काल 07:08 – 08:51 अशुभ
शुभ 08:51 – 10:35 शुभ
रोग 10:35 – 12:18 अशुभ
उद्वेग 12:18 – 14:01 अशुभ
चर 14:01 – 15:45 शुभ
लाभ 15:45 – 17:28 शुभ
अमृत 17:28 – 19:11 शुभ

चोघडिया, रात
चर 19:11 – 20:28 शुभ
रोग 20:28 – 21:45 अशुभ
काल 21:45 – 23:01 अशुभ
लाभ 23:01 – 24:18* शुभ
उद्वेग 24:18* – 25:35* अशुभ
शुभ 25:35* – 26:51* शुभ
अमृत 26:51* – 28:08* शुभ
चर 28:08* – 29:25* शुभ

होरा, दिन
चन्द्र 05:25 – 06:34
शनि 06:34 – 07:42
बृहस्पति 07:42 – 08:51
मंगल 08:51 – 10:00
सूर्य 10:00 – 11:09
शुक्र 11:09 – 12:18
बुध 12:18 – 13:27
चन्द्र 13:27 – 14:36
शनि 14:36 – 15:45
बृहस्पति 15:45 – 16:53
मंगल 16:53 – 18:02
सूर्य 18:02 – 19:11

होरा, रात
शुक्र 19:11 – 20:02
बुध 20:02 – 20:53
चन्द्र 20:53 – 21:45
शनि 21:45 – 22:36
बृहस्पति 22:36 – 23:27
मंगल 23:27 – 24:18
सूर्य 24:18* – 25:09
शुक्र 25:09* – 26:00
बुध 26:00* – 26:51
चन्द्र 26:51* – 27:42
शनि 27:42* – 28:34
बृहस्पति 28:34* – 29:25

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

वृषभ > 03:20 से 05:20 तक
मिथुन > 05:20 से 07:31 तक
कर्क > 07:31 से 09:48 तक
सिंह > 09:48 से 11:56 तक
कन्या > 11:56 से 14:12 तक
तुला > 14:12 से 16:27 तक
वृश्चिक > 16:27 से 18:48 तक
धनु > 18:48 से 20:48 तक
मकर > 20:48 से 22:34 तक
कुम्भ > 22:34 से 00:07 तक
मीन > 00:07 से 01:34 तक
मेष > 01:34 से 03:20 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

6 + 2 + 1 = 9 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शुक्र ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

6 + 6 + 5 = 17 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

* षष्ठी तिथि वृद्धि

* सर्वार्थ सिद्धि योग 19:04 तक

*** शुभ विचार ***

पठन्ति चतुरो वेदान् धर्मशास्त्राण्यनेकशः ।
आत्मानं नैव जानन्ति दवी पाकरसं यथा ।।
।। चा o नी o।।

एक व्यक्ति को चारो वेद और सभी धर्मं शास्त्रों का ज्ञान है. लेकिन उसे यदि अपने आत्मा की अनुभूति नहीं हुई तो वह उसी चमचे के समान है जिसने अनेक पकवानों को हिलाया लेकिन किसी का स्वाद नहीं चखा.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17

कर्शयन्तः शरीरस्थं भूतग्राममचेतसः।,
मां चैवान्तःशरीरस्थं तान्विद्ध्‌यासुरनिश्चयान्‌॥,

जो शरीर रूप से स्थित भूत समुदाय को और अन्तःकरण में स्थित मुझ परमात्मा को भी कृश करने वाले हैं (शास्त्र से विरुद्ध उपवासादि घोर आचरणों द्वारा शरीर को सुखाना एवं भगवान्‌ के अंशस्वरूप जीवात्मा को क्लेश देना, भूत समुदाय को और अन्तर्यामी परमात्मा को ”कृश करना” है।,), उन अज्ञानियों को तू आसुर स्वभाव वाले जान॥,6॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)