राम पांडे
गायत्री मंत्र की महत्ता से अधिकांश लोग वाकिफ होते ही हैं। यह पूर्णरूप से सिद्ध वैदिक मंत्र है, जिसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है मोक्ष प्राप्ति की पात्रता प्रदान करना। हालांकि इस मंत्र को आप जिस भी कामना से वशीभूत होकर जपेंगे, वह कामना अवश्य पूरी होती है। किंतु आज हम इस मंत्र के उस स्वरूप से आपका साक्षात्कार करवाएंगे, जिसे जानकर आपको बेहद हैरानी होगी।
गायत्री साधक जितना ही गहरे इसमें उतरता जाएगा, यदि वह मोक्ष की कामना से इसमें शामिल हुआ है तो ये मंत्र उस साधक को दुनियावी संसाधनों से मुक्त कर देता है। मोक्ष की कामना वाला साधक इस भौतिक जीवन के जितने भी आयाम हैं, उन्हें छोड़ देता है।
बेहद गहराई में उतरा साधक यदि राजा है, तो वह विपन्न दरिद्र बन जाएगा। वह गायत्री मंत्र का जितना अधिक जपा करेगा, उतना ही अधिक वह मोह-माया के बंधनों को काटकर उनसे ऊपर आ जाएगा। अनुभव में प्राय: यही देखने में आया है कि कई साधक जो गंगा की धारा में घंटों अनवरत गायत्री उपासना में रत रहे हैं, उनके जीवन में आने वाले सभी अवरोध क्रमश: हटते जाते हैं।
वे ज्यों-ज्यों इसमें उतरते हैं उतने ही भौतिक तत्वों का उनके जीवन से ह्रास हो जाता है। कुछ साधक अपने पुत्र, पत्नी, घर-बार सभी से मुक्त होकर साधनालीन हो गए। इसे ठीक से समझें। गायत्री मंत्र की करिश्माई शक्ति ये है कि आप इसे जिस उद्देश्य से साधेंगे, ये उसे अवश्य पूरा करेगी।
यदि आपने भौतिक सुखों की चाह में साधा तो ये आपको समृद्ध बनाएगीयदि मुक्ति व मोक्ष की कामना से साधा तो आपके सभी पूर्व संचित कर्मों (पाप व पुण्य दोनों) का नाश करके आपको परमात्मशरण में ले जाएगी। सभी दुनियावी साधन परमात्मा से दूर करते हैं जबकि गायत्री उपासना आपको परमात्मा की शरण में सहज रूप से ले जा पाने में सक्षम है।
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