संयुक्त किसान मंच ने सेब के गिरते दामों के लिए अदानी, लदानी और आढ़ती के गठजोड़ को बताया जिम्मेदार
13 सितंबर को किसान तहसील, ब्लॉक व उपमंडल स्तर पर होंगे प्रदर्शन
26 सितंबर को राज्य में होगा बड़ा प्रदर्शन
लोकिन्दर बेक्टा, शिमला:
सेब के दामों में आई भारी गिरावट के बाद किसानों व बागवानों के संगठन एक मंच पर आए। किसानों-बागवानों के संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने राजधानी में जुटकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। साथ ही सेब के दामों में आई भारी गिरावट के लिए अदानी, लदानी और आढ़ती के गठजोड़ को जिम्मेदार ठहराया। संयुक्त किसान मंच के बैनर तले जुटे बागवानों ने इस मुद्दे पर आंदोलन की भावी रणनीति भी बनाई।
किसान संयुक्त मंच की बैठक में निर्णय लिया गया कि मंच 13 सितंबर को किसान तहसील, ब्लॉक व उपमंडल स्तर पर प्रदर्शन करेगा। यदि फिर भी मांगें नहीं मानी जाती तो 26 सितंबर को बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। इस बैठक में किसानों व बागवानों की समस्याओं के बारे में चर्चा की गई। प्रदेश में लगभग 89 प्रतिशत जनता गांव में रहती है तथा इसमें अधिकांश का रोजगार व आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि व बागवानी ही है। आज देश में कृषि के संकट के चलते प्रदेश के किसानों व बागवानों का संकट भी बढ़ रहा है। खेती में उत्पादन लागत कीमत निरंतर बढ़ रही है और किसानों व बागवानों को उनके उत्पाद का उचित दाम प्राप्त नहीं हो रहा। इससे इनके रोजगार व आजीविका का संकट और अधिक बढ़ रहा है। मौजूदा व्यवस्था में किसानों व बागवानों के उत्पाद की कॉरपोरेट व बागवानी क्षेत्र का संकट और अधिक गहरा हो गया है।
संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि आज सेब प्रदेश की महत्वपूर्ण आर्थिकी है और इसका करीब 5,000 करोड़ रुपए का योगदान प्रदेश की अर्थव्यवस्था में है। इसके मद्देनजर प्रदेश में मंडियों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन सरकार द्वारा जिन संस्थाओं, जिनमें एपीएमसी मुख्य है, को मंडियों के विकास व किसानों के हितों की रक्षा का दायित्व सौंपा गया है वह अपने दायित्व के निर्वहन में विफल रही है। फलस्वरूप आज भी मंडियों में किसानों व बागवानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा और इनका शोषण बढ़ा है। आज इन मंडियों में किसानों व बागवानों को एक तो उचित दाम नहीं मिलता और एपीएमसी की लचर व्यवस्था के कारण किसानों व बागवानों को कानून के अनुसार समय पर भुगतान भी नहीं किया जाता। कई किसान व बागवानों को आज भी कई वर्षों से आढ़तियों व खरीदारों द्वारा भुगतान नहीं किया गया।
हरीश चौहान ने कहा कि बैठक में चर्चा के दौरान वक्ताओं ने हाल ही में शहरी विकास मंत्री द्वारा पराला मंडी में दिए गए किसान विरोधी उस बयान की भी निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा कि बाजार सप्लाई व डिमांड ही तय करती है। यह किसान विरोधी बयान है और अदानी, आढ़ती व लदानी के पक्ष का बयान है। प्रदेश के बागवानी मंत्री इस संकट के बिल्कुल नदारद है। उन्हें इस पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री को तुरंत उन्हें पद मुक्त कर किसी जिम्मेदार को मंत्री बनाया जाए।
इस बैठक में संयुक्त किसान मंच के हरीश चौहान, संजय चौहान, दीपक सिंघा, कुलदीप सिंह तंवर, केएन शर्मा, राजेश चौहान, राजिंदर चौहान, सुशील चौहान, डिम्पल पांजटा, संदीप मस्ताना, सोहन ठाकुर, सत्यवान पुंडीर, एसएस जोगटा, जिला परिषद सदस्य विशाल शांगटा, पूर्व जिला परिषद सदस्य, नीलम सरैइक, हरीश जनारथा आदि ने भाग लिया। इस बैठक में विधायक विक्रमादित्य सिंह व राकेश सिंघा ने भी अपने विचार रखे।
मंच ने किसानों-बागवानों की समस्याओं को लेकर बनाया मांग पत्र
हरीश चौहान ने कहा कि किसानों व बागवानों की समस्याओं के कारण पैदा हुए इस कृषि संकट के चलते संयुक्त किसान मंच ने कई मांगों पर सहमति बनी। बैठक में मांग की गई कि प्रदेश में अदानी, अन्य कंपनियों तथा मडियों में किसानों के शोषण पर रोक लगे व हिमाचल प्रदेश में भी कश्मीर की तर्ज पर मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) पूर्ण रूप से लागू की जाए तथा सेब के लिए मंडी मध्यस्थता योजना के तहत ए, बी व सी ग्रेड के सेब के लिए क्रमश: 60 रुपए, 44 रुपए व 24 रुपए प्रति किलो समर्थन मूल्य पर खरीद की जाए। प्रदेश की विपणन मंडियों में एपीएमसी कानून को सख्ती से लागू किया जाए। मंडियों में खुली बोली लगाई जाए व किसान से गैर कानूनी रूप से की जा रही मनमानी वसूली जिसमें मनमाने लेबर चार्ज, छूट, बैंक डीडी व अन्य चार्जिज को तुरंत समाप्त किया जाए। किसानों के आढ़तियों व खरीदारों के पास बकाया पैसों का भुगतान तुरंत करवाया जाए। जिन खरीदार व आढ़तियों ने बकाया भुगतान नहीं किया, उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए। सेब व अन्य फलों, फूलों व सब्जियों की पैकेजिंग में इस्तेमाल किए जा रहे कार्टन व ट्रे की कीमतों में की गई भारी वृद्धि वापस की जाए।
प्रदेश में भारी ओलावृष्टि व वर्षा, असामयिक बर्फबारी, सूखा व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों व बागवानों को हुए नुकसान का सरकार मुआवजा प्रदान राहत प्रदान करे। बढ़ती महंगाई पर रोक लगाई जाए तथा मालभाड़े में की गई वृद्धि वापस ली जाए। प्रदेश की सभी मंडियों में सेब व अन्य फसले वजन के हिसाब से बेची जाए। एचपिएमसी व हिमफैड द्वारा पिछले वर्षों में लिए गए सेब का भुगतान तुरंत किया जाए।