कांग्रेस सरकार ने शुरू किया यूनिवर्सल कार्टन
Himachal Universal Carton (आज समाज) शिमला : वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बागवानों की बात को समझते हुए वर्ष 2023 में टेलीस्कोपिक कार्टन में अधिकतम 24 किलो की सीमा को तय किया। पूरे विश्व में सेब की पैकिंग के यही मापदंड है इसलिए वर्तमान प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया कि हिमाचल के सेब को भी इसी मापदंड से भरा जाना चाहिए। बागवानों की सुविधा और सेब की खेती के भविष्य के दृष्टिगत सरकार ने वर्ष 2024 में यूनिवर्सल कार्टन लागू किया, जिसमें कि 22 से 24 किलो तक ही सेब को भरा जा सकता है।
बागवानों को 3000 से 5000 तक के दाम मिला
इस वर्ष यूनिवर्सल कार्टन को लागू करने के सुखद परिणाम भी सामने आ रहे है, जहां पिछले वर्ष तक टेलीस्कोपिक कार्टन में 30 किलो तक की पेटी में बागवानों को 2500 से 3000 रुपये तक के दाम मिल रहे थे। वहीं इस वर्ष 20 से 22 किलो तक वज़न वाले यूनिवर्सल कार्टन में बागवानों को 3000 से 5000 तक के दाम मिला है।
नई व्यवस्था से उनकी आमदनी में वृद्धि हुई
बागवानों से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस नई वयवस्था से उनकी आमदनी में वृद्धि हुई है क्योंकि पिछले वर्ष तक जहां वे 100 क्रेट में 60 पेटी भर रहे थे। इस वर्ष उन्हीं 100 क्रेट में 75 से 80 पेटी भर रहे हैं। उनकी सेब की फसल के मंडियों में भी बेहतर दाम मिल रहे है, जिससे उनकी आय में काफी बढ़ोतरी हुई है और उनके उत्पाद को बाजार में सम्मान मिला है।
अन्य राज्यों के व्यापारियों को पसंद आ रहा
इसके अलावा सेब कारोबार से जुड़े बाहरी राज्यों के व्यापारियों ने भी यूनिवर्सल कार्टन में अपना विश्वास जताया है। मुंबई के सेब कारोबारी कमल कुमार ने बताया कि यूनिवर्सल कार्टन के चलते उन्हें अपने कारोबार में काफी सुविधा हो रही है क्योंकि टेलीस्कोपिक कार्टन में क्षमता से अधिक सेब भरने के कारण उनका ज्यादातर माल खराब हो जाता था लेकिन अब उन्हें इस बात कि चिंता नहीं है। सेब सुरक्षित पहुँचने के कारण उन्हें मंडी में दाम भी अच्छे मिल रहे हैं।
इसी बात का समर्थन इलाहाबाद के व्यापारी बलवंत सोनकर और बीकानेर के कारोबारी रमेश रामावत ने भी किया है। इस पूरी प्रक्रिया में जो लघु और सीमान्त बागवान है वह सर्वाधिक लाभान्वित होता दिख रहा है क्योंकि उसे अब बड़े बागवान से वज़न के लिये प्रतियोगिता नहीं करनी पड़ रही।
बागवानी विभाग द्वारा यूनिवर्सल कार्टन में सेब की पैकेजिंग कराने हेतु किसानों के लिए जागरुकता शिविर आयोजित किए जा रहे है। अभी तक जिला में लगभग 4500 किसानों को जागरुक किया गया है और क्षेत्रीय बागवानी अधिकारी बागवानों को विभिन्न माध्यमों से जागरुक करवा रहे हैं।