• भगवान शिव की जटाओं से क्यों निकली थीं मां गंगा

  • जानें सप्तमी का संबंध मां गंगा से

आज समाज डिजिटल, अम्बाला : 
Ganga Saptami On 8th May: हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी का विशेष महत्व बताया जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन ही गंगा सप्तमी मनाई जाती है। गंगा सप्तमी का संबंध पवित्र मां गंगा से है. मां गंगा के धरती पर आने से पहले ब्रह्मा जी को ये चिंता थी, कि क्या धरती मां गंगा का भार और वेग सहन कर पाएगी। तब ब्रह्मा जी ने भागीरथ को भगवान शिव के पास जाने का सुझाव दिया। ब्रह्मा जी के सुझाव पर भगीरथ ने अपने कठोर तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया। इसके बाद भोलेनाथ को इस बात के लिए मनाया कि मां गंगा स्वर्ग लोक से सीधा धरती पर अवतरित न होकर भोलेनाथ की जटाओं में से होती हुई निकलें ताकि मां गंगा का वेग और भार कम हो सके।

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पंचाग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 08 मई के दिन मनाई जाएगी। सप्तमी तिथि 07 मई शनिवार दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से होकर 08 मई रविवार शाम 05:00 बजे तक रहेगी।

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गंगा सप्तमी 8 मई को Know Relation Of With Mother Ganga

ज्योतिषीयों के अनुसार उदयातिथि 8 मई के दिन पड़ रही है, इसलिए गंगा सप्तमी 08 मई के दिन मनाई जाएगी।  गंगा सप्तमी 2022 पूजा मुहूर्त :  गंगा सप्तमी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. और मां की कृपा से भक्तों के सभी दुखों का नाश होता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से मां की कृपा प्राप्त होती है।

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भोलेनाथ की जटाओं में उतरी थीं मां गंगा

 

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Ganga Saptami On 8th May : गंगा सप्तमी का महत्व धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मां गंगा स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर सीधे अवतरित नहीं हुई थीं। अपने वेग और भार कम करने के लिए भोलेनाथ की जटाओं में उतरी थीं। उस दिन वैशाख शुक्ल की सप्तमी तिथि थी. और इस दिन को गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है। मां गंगा के वेग को कम करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में बांध दिया। इस कारण वे पृथ्वी पर नहीं उतर सकीं। ये बात भागीरथ को नहीं पता थी। ये बात का पता लगने के बाद भगरीथ ने एक बार फिर कठोर तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया. और मां गंगा को उनकी जटाओं से होते हुए पृथ्वी पर अवतरित होने की मांग की, तब मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं और राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया।

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