गणेश उत्सव 10 से, जाने पूजन का शुभ मुहूर्त

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Lord Ganesha

आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली :
हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेशोत्सव की शुरूआत होती है। इस दिन लोग धूमधाम से गणपति को घर लेकर आते हैं और उन्हें 5, 7 या 10 दिनों के लिए घर में स्थापित करते हैं। आखिरी दिन पूजन के बाद धूमधाम से उनका विसर्जन किया जाता है।

गणेश उत्सव

वैसे तो हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सबसे बड़ी गणेश चतुर्थी माना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस दिन लोग गणपति बप्पा को अपने घर लेकर आते हैं और 10 दिनों तक उनकी सेवा की जाती है।
मान्यता है कि घर में गणपति को लाने से वे घर के सारे विघ्न हर लेते हैं। गणेशोत्सव की धूम महाराष्ट्र में तो खासतौर पर होती है। दूर-दूर से गणेश भगवान के भक्त गणेशोत्सव को देखने के लिए महाराष्ट्र में आते हैं। अनन्त चतुर्दशी के दिन धूमधाम से गणपति का विसर्जन किया जाता है। इस बार गणेश उत्सव 10 सितंबर से शुरू हो रहा है। इस दिन भगवान गणेश विराजेंगे और 19 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी के दिन उन्हें विदा किया जाएगा।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भगवान गणेश की कृपा से सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन व्यक्ति को काले और नीले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। इस दिन लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।

गणेश चतुर्थी 2021 पूजन का शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी पूजन का शुभ मुहर्त दोपहर 12:17 बजे शुरू होकर और रात 10 बजे तक रहेगा।

गणेश चतुर्थी के दिन न करें चंद्रमा के दर्शन :

मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। अगर भूलवश चंद्रमा के दर्शन कर भी लें, तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की ओर फेंक दें।

भगवान गणेश को लगाएं भोग :

गणेश जी को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि

गणेश चतुर्थी के दिन प्रातरू काल स्नान-ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प लें। इसके बाद दोपहर के समय गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें। फिर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें। भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा (घास) चढ़ाए। इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें। गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।