Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। अब चुनावी बिसात बिछेगी। जातीय समीकरण साधे जाएंगे। प्रत्याशियों की जोरअजमाइश होगी। हार जीत का गणित। मुद्दों के जरिए मोर्चेबंदी ये सब कुछ होगा। फिर चुना जाएगा हरियाणा का चौधरी यानी मुख्यमंत्री। जून में लोकसभा चुनाव खत्म हुए अभी दो महीने भी नहीं गुजरे कि एक बार फिर से लोकतंत्र का पर्व आ गया। मतदाता जोरशोर से इस पर्व में शामिल होकर प्रदेश के मुखिया का चुनाव करेंगे। साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने 21 सितंबर को अधिसूचना जारी की थी। इस सरकार का कार्यकाल तीन नवंबर तक है। हरियाणा में भाजपा की सरकार है। 2014 में भाजपा ने 47 सीटें जीतकर पूर्ण बहुतम की सरकार बनाई थी। साल 2019 में 40 सीटें जीती थी। लेकिन जजपा के साथ गठबंधन कर भाजपा को सरकार बनानी पड़ी थी।
हरियाणा के अब तक सीएम
भगवत दयाल शर्मा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
राव बीरेंद्र सिंह, विशाल हरियाणा पार्टी
बंसी लाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
बनारसी दास गुप्ता, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
देवी लाल, जनता पार्टी
भजन लाल, जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
बंसी लाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
देवी लाल, जनता दल
ओम प्रकाश चौटाला, जनता दल
बनारसी दास गुप्ता, जनता दल
ओम प्रकाश चौटाला, जनता दल
हुकम सिंह, जनता दल
ओम प्रकाश चौटाला, समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय)
भजन लाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
बंसी लाल, हरियाणा विकास पार्टी
ओम प्रकाश चौटाला, इंडियन नेशनल लोकदल
भूपेंद्र सिंह हुड्डा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
मनोहर लाल, भारतीय जनता पार्टी
नायब सैनी, भारतीय जनता पार्टी