Mata Lakshmi के लिए खास माना गया है शुक्रवार का दिन, जरूर पढ़ें कहानी, खुल जाएंगी आंखें

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Mata Lakshmi: माता लक्ष्मी के लिए खास माना गया है शुक्रवार का दिन, जरूर पढ़ें कहानी, खुल जाएंगी आंखें

Goddess Lakshmi, आज समाज डेस्क: जिस तरह से हर दिन देवी-देवता की पूजा को समर्पित हैं, उसी तरह सप्ताह में शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी के लिए खास माना गया है। इस दिन भक्त धन वैभव और सुख समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करते हैं। लोग शुक्रवार को व्रत आदि भी रखते हैं। मान्यता है कि मां लक्ष्मी के व्रत व पूजन से देवी कृपा बरसाती है। ज्योतिषों का कहना है कि यदि शुक्रवार के दिन लक्ष्मी पूजा व व्रत कथा का पाठ किया जाए तो देवी जल्द प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा करके आर्थिक लाभ प्रदान करती हैं।

गरीब महिला की पैराणिक कथा

पैराणिक कथा के मुताबिक एक शहर में एक गरीब महिला रहती थी। वह पति व बच्चों के साथ बहुत परेशानी से गुजर-बसर कर रही थी। महिला धार्मिक विचारों की थी। इसके अलावा वह शांत नेजर की थी। उसका पति भी सीधा-साधा व ज्ञानी था। महिला व उसका पति कभी किसी की बुराई नहीं करते थे। दोनों हमेशा प्रभु के भजन में समय बिताते थे। शहर के लोग उनकी गृहस्थी की तारीफ करते थे।

अचानक बुरे लोगों से संगत कर बैठा पति

अचानक समय बदला औ महिला का पति बुरे लोगों की संगत से दोस्ती कर बैठा। अब जल्द करोड़पति बनने के सपने देखने लगा, इसलिए उसने गलत रास्ते पर चलन शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप वह करोड़पति बन गया। यानी उसकी हालत रास्ते पर भटकते भिखारी जैसी हो गई। महिला को पति के विहेव से बहुत दु:ख हुआ, पर वह भगवान पर भरोसा रखकर सब कुछ सहती रही। महिला अपना ज्यादातर समय भगवान की भक्ति में बिताने लगी।

हाल जानने के लिए घर के द्वार पर आई मां

एक दिन अचानक दोपहर को उनके द्वार पर कोई आया। महिला ने द्वार खोला तो देखा कि एक मां जी खड़ी थी। उनके चेहरे पर अलौकिक तेज था और आंखों को देखकर लग रहा था मानो अमृत बह रहा था। महिला को कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर मां जी बोलीं, आप बहुत दिन से मंदिर नहीं आई। इसलिए मैं आपको देखने आ गई। मां जी के इन शब्दों से गरीब महिला का दिल जैसे पिघल गई। वह रो पड़ी। मां जी ने कहा-बेटी! सुख-दु:ख तो धूप व छांव की तरह होते हैं, इसलिए धैर्य रखो बेटी! तुझे क्या परेशानी है मुझे बता। महिला ने मां जी को अपनी सारी बात बताई। सुनकर मां जी ने कहा, कर्म की गति बहुत न्यारी होती है। हर व्यक्ति को अपने कर्म अवश्य भुगतने पड़ते हैं। इसलिए चिंता मत कर, तू अब कर्म भुगत चुकी है और जल्द अब तक तेरे सुख के दिन आने वाले हैं।

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