मेलबर्न में 40 साल पहले खेले गए उस टेस्ट को भला कौन भूल सकता है जब ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए सिर्फ 143 रन बनाने थे। उस समय भारत के दो मैचों की सीरीज़ में क्लीन स्वीप का खतरा पैदा हो गया था लेकिन कपिलदेव, करसन घावरी और दिलीप दोषी ने ऑस्ट्रेलिया को 83 रन पर समेटकर भारत को न सिर्फ कभी न भूलने वाली जीत दिलाई बल्कि सीरीज़ में भी बराबरी दिला दी। सिडनी में खेला गया पहला टेस्ट ऑस्ट्रेलिया ने पारी से जीता था। इस तरह भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से पहली बार सीरीज़ बिना गंवाए स्वदेश लौटी।
बेशक भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में पिछले साल ही एकमात्र टेस्ट सीरीज़ जीत पाई लेकिन इसके अलावा दो अन्य मौकों पर उसने ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ जीतने नहीं दी। इस सीरीज़ के पांच साल बाद ऑस्ट्रेलिया में खेली गई तीन टेस्ट मैचों की सीरीज़ के सभी मैच ड्रॉ रहे जिसमें भारत का दबदबा रहा। सिडनी में खेले गए तीसरे टेस्ट को ऑस्ट्रेलिया बड़ी मुश्किल से ड्रॉ करने में सफल रहा। इस टेस्ट की पहली पारी में भारत के शीर्ष क्रम के तीनों बल्लेबाज़ों – गावसकर, श्रीकांत और मोहिंदर अमरनाथ ने सेंचुरी बनाई और फॉलोऑन के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 119 रन में छह विकेट खो दिए थे। ऑफ स्पिनर शिवलाल यादव और बाएं हाथ के स्पिनर रवि शास्त्री ने इस टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के गिरे 16 में से 14 विकेट हासिल किए।
2003-04 में सौरभ गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ 1-1 से बराबर समाप्त करके लौटी। ब्रिसबेन में पहला टेस्ट ड्रॉ समाप्त होने के बाद भारत ने एडिलेड में दूसरे टेस्ट में शानदार जीत दर्ज की। इस टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 556 का स्कोर बनाने के बावजूद हार गया। इस टेस्ट को राहुल द्रविड़ की डबल सेंचुरी, वीवीएस लक्ष्मण की सेंचुरी, अनिल कुम्बले के पहली पारी में पांच और अजित आगरकर के दूसरी पारी में छह विकेट चटकाने के लिए याद रखा जाता है जहां रिकी पॉन्टिंग की डबल सेंचुरी बेकार चली गई।
इसके अलावा 2018-19 और 1977-78 की ऑस्ट्रेलिया में खेली सीरीज़ को भी कोई शायद ही भूल पाए। पहले मौके पर टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ जीतने वाली पहली एशियाई टीम होने का गौरव हासिल किया जबकि दूसरे मौके पर बेहद संघर्षपूर्ण सीरीज़ में अगर ऑस्ट्रेलिया ने तीन टेस्ट जीते तो दो टेस्ट भारत ने भी अपने नाम किए। इनमें पिछले साल टीम इंडिया की 2-1 से जीत के नायक चेतेश्वर पुजारा रहे जिन्होंने इस सीरीज़ में तीन सेंचुरी बनाई। वहीं विराट कोहली और ऋषभ पंत के नाम एक-एक सेंचुरी रही। एडिलेड और मेलबर्न में जहां भारत ने बाज़ी मारी वहीं वहीं पर्थ टेस्ट दूसरी पारी में भारत के Collapse की वजह से ऑस्ट्रेलिया ने जीता। तीसरे टेस्ट में बेशक परिणाम नहीं आ सका लेकिन पुजारा और पंत की सेंचुरियों से भारत 600 प्लस का स्कोर खड़ा करने में ज़रूर सफल रहा।
बिशन सिंह बेदी की अगुवाई में भारतीय टीम ने 1977-78 में ऑस्ट्रेलिया से दो टेस्ट जीते लेकिन पांच मैचों की सीरीज़ नहीं जीत पाई। ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिसबेन और पर्थ में खेले गए पहले दो टेस्ट अपने नाम किए जबकि मेलबर्न और सिडनी में भारत ने टेस्ट जीतकर सीरीज़ बराबर कर दी। आखिरकार पर्थ टेस्ट को जीतकर ऑस्ट्रेलिया ने सीरीज़ अपने नाम की। इस सीरीज़ की मज़ेदार बात यह थी कि भारत ने जहां दो टेस्टों में बड़ी जीत दर्ज की तो वहीं ऑस्ट्रेलिया ने बहुत नज़दीकी मुक़ाबलों में जीत दर्ज की। इनमें पर्थ टेस्ट तो ऑस्ट्रेलिया हारते-हारते बचा।
1996-97 में पहली बार बोर्डर-गावसकर ट्रॉफी शुरू हुई। तब से अब तक इसे 14 बार आयोजित किया जा चुका है जिसमें भारत आठ बार यह ट्रॉफी अपने नाम करने में सफल रहा जबकि ऑस्ट्रेलिया ने पांच बार यह ट्रॉफी जीती और एक बार इस सीरीज़ का कोई परिणाम नहीं निकला। पहले वर्ष जहां इस ट्रॉफी के अंतर्गत एक ही टेस्ट खेला गया था वहीं अगले तीन साल तक इसके अंतर्गत तीन टेस्ट की सीरीज़ खेली गई लेकिन 2003-04 से यह सीरीज़ चार टेस्ट मैचों की होने लगी। इस बार 17 दिसम्बर से बोर्डर-गावसकर ट्रॉफी शुरू हो रही है। इस सीरीज़ की सबसे बड़ी खूबी पहली बारी दोनों देशों के बीच पिंक बॉल टेस्ट का आयोजन है। यह पहला टेस्ट होगा जो एडिलेड में खेला जाएगा
-मनोज जोशी