नई दिल्ली। इस वर्ष का आम बजट एक फरवरी 2021 को पेश किया गया था। वित्तमंत्री निर्मलासीतारमण नेबजट पेश करतेसमय कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण किया जाएगा। हालांकि उन्होंने उस वक्त बैंकों का नाम नहीं बताया था। लोग कयास लगा रहेथे कि किन बैंकों का निजीकरण हो सकता है। अब सरकारी सूत्रों की मानें तो मझोले आकार के चार बैंक शॉर्टलिस्ट किए हैं। सरकार बैंक आॅफ महाराष्ट्र, बैंक आॅफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया का निजीकरण कर सकती है। इसका सीधा असर ग्राहकों पर पड़ेगा। गौरतलब हैकि केंद्र सरकार विनिवेश पर ज्यादा ध्यान दे रही है। सरकार राजस्व को बढ़ानेके लिए सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर इसे बढ़ाएगी। और उस पैसे का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं पर करना चाहती है। केंद्र सरकार ने 2021-22 में विनिवेश के माध्यम से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का प्रयास करेगी। जिसके लिए सरकार ने देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी, भारत पेट्रोलियम कॉपोर्रेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है। हालांकि इससे ग्राहकों को कोई नुकसान नहीं होगगा। बैंकों के निजीकरण से ग्राहकों को कोईदिक्कत नहीं होगी। ग्राहकों को पहले की तरह ही बैंकिंग सेवाएं मिलती रहेंगी। मालूम हो कि इन चार बैंकों में फिलहाल 2.22 लाख कर्मचारी काम करते हैं। सूत्रों का कहना है कि बैंक आॅफ महाराष्ट्र में कम कर्मचारी होने के चलते उसका निजीकरण आसान रह सकता है। पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर व अर्थशास्त्री रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने एक संयुक्त पत्र में भारतीय बैंकिंग तंत्र को मजबूत बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि कुछ संकटग्रस्त सरकारी बैंकों का निजीकरण बेहद जरूरी है, ताकि बैड लोन का बोझ घटाया जा सके।
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